इधर योगासनों का बड़ा बोलबाला है। रोज नये-नये योगाचार्य प्रकट हो रहे हैं और इस असार संसार को नये-नये योगासनों से अभिभूत कर रहे हैं। मैंने भी नेताओं के लिए कुछ नये योगासनों का आविष्कार किया है जो नये, पुराने तथा भावी नेताओं के बड़ा काम आयेगा। उनके लाभार्थ ये आसन नीचे दे रहा हूँ।
प्रत्येक नेता को चाटुकारासन में महारत हासिल करनी चाहिये। कुछ आचार्य इसे चमचासन भी कहते हैं। इस आसन को करने के लिए शरीर को चमचे के रूप में विकसित करना पड़ता है। अनुभव से यह आसन आ जाता है।
हर नेता को राजधानी आसन का अभ्यास करना चाहिये। इस आसन हेतु नेता को राजधानी की ओर मुंह करके अपनी पार्टी के मुख्यालय का ध्यान धरना चाहिये। ध्यानावस्था में ही पार्टी अध्यक्ष की चरण वंदना करनी चाहिये।
नये नेताओं को चुनावासन का भी अभ्यास करते रहना चाहिये। एक चुनाव हारने के बाद दूसरे चुनावासन की तैयारी करनी चाहिये। लगातार अभ्यास से चुनाव की वैतरणी पार हो जाती है। सभी नेताओं को बेशर्मासन का भी अभ्यास किसी योग्य भूतपूर्व नेता की देखरेख में करना चाहिये। इस आसन को सिद्घ करने के बाद नया नेता इतना बेशर्म हो जाता है कि उस पर किसी भी प्रकार का कोई असर नहीं होता है। नेताओं को एक पार्टी छोड़ कर दूसरी पार्टी में जाने के आसन को गृह-वापसी आसन कहा जाता है। कोई भी नेता विशेष प्रयास से इस आसन की योगमुद्रा को अपना सकता है। चुनाव के दिनों में टिकट के लिए नेता को इस आसन से विशेष फल प्राप्ति की संभावना बनी रहती है।
नेताओं को इस आसन हेतु घर-गृहस्थी छोड़ कर दूसरी बसानी पड़ सकती है। मगर इस खतरे के बावजूद इस आसन के बहुत फायदे हैं, सो इसे आजमाना चाहिये।
सभी नेताओं को चुनाव के समय वादा आसन करना पड़ता है और चुनावों की समाप्ति के बाद वादा-तोड़ो आसन करना चाहिये। इन दोनों आसनों को करने के बाद नेता जनता को आसानी से बेवकूफ बना सकता है।
नेता को गृह-वापसी आसन के बाद टिकटासन का गम्भीरता से अभ्यास करना चाहिये। टिकटासन करने के लिए नेता को पार्टी अध्यक्ष के चरणों में अपना सिर रख देना चाहिये। अब सिर को ऊपर तभी उठाना चाहिये जबकि अध्यक्ष द्वारा टिकट रूपी प्रसाद मिल जाये। इस आसन को कष्टसाध्य आसन कहा गया है मगर प्रयास और अभ्यास से टिकटासन में नेता प्रवीण हो सकता है।
अधिकांश नेता दलदलासन का महत्व नहीं समझते हैं। हर दल दलदल है। अतः दलदलासन का महत्व ज्यादा है। दलदल में खड़े होकर अपने दल की प्रशंसा करना और दूसरे दल को दलदल कहना ही इस आसन का अभीष्ट है। इस आसन को करने से नेता हर दल की सरकार में बना रह सकता है। सत्ता सुन्दरी का स्वाद चखने के लिए यह एक आवश्यक आसन है। अनुभवी नेताओं के लिए मुखौटासन भी काफी अच्छा आसन माना गया है। इस आसन में नेता को तरह-तरह के मुखौटे लगाकर जनता के सामने जाना पड़ता है और मुखौटे के सहारे ही सत्ता सुख की प्राप्ति करनी पड़ती है।
अक्सर नेताओं पर असत्य बोलने के आरोप लगते रहते हैं। ऐसे में नेताओं को तोड़-मरोड़ासन का सहारा लेना चाहिये। इस आसन में वक्तव्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने के लिए मीडिया को जिम्मेदार ठहराया जाता है। इस आसन को करने में केवल कंठ व जिव्हा का ही प्रयोग होता है। राजनीति के जंगल में किसी पुराने, प्रतिष्ठित, बूढ़े, खाये, अघाये और ताकतवर नेता रूपी ऋषि, आचार्य की देख-रेख में आसन करने से नेताओं को स्वर्ग सुख की प्राप्ति हो सकती है। यदि ऐसा नहीं हो तो नेताओं को अन्त में आत्मकथा-लेखन आसन करने का अभ्यास करना चाहिये। इस आसन से चंद कागज व एक कलम लेकर बड़े-बड़े नेताओं का कच्चा चिट्ठा खोलने की घोषणा कर देनी चाहिये। यथाशीघ्र नेताजी का संन्यासन कुर्सी आसन में बदल जायेगा।
हे शिष्यों, योगगुरु यशवन्ताचार्य जी के इन आसनों का जमकर अभ्यास करने से सफलता तुम्हारे चरण चूमेगी।
– यशवन्त कोठारी
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