कॉमेडी का मजा लेता हूँ

टीवी और फिल्मों में उनके उच्चारण और चरित्रों पर गौर करें तो कोई नहीं मानेगा कि वे एक तमिल भाषी हैं और उनका पंजाबी से कोई लेना-देना नहीं। पर इसके बावजूद वे कभी गुजराती और इस बार तो स्टार वन के नए शो पानीपूरी में पंजाबी चरित्र विकास के साथ नए रूप में वापसी कर रहे हैं। हालांकि हाल ही में वे अजय देवगन के साथ उनकी फिल्म यू मी और हम में भी दिखे पर वे मानते हैं कि उनकी असली जगह तो टीवी है।

इतने दिन गायब रहने का क्या मतलब?

गायब नहीं। बस अच्छे मौके की तलाश में था।

मौका तो आपको अजय देवगन की फिल्म यू मी और हम में भी मिला था। तब लोगों ने कहा कि आप अब टीवी नहीं करेंगे?

ऐसी बात नहीं। मैंने कभी टीवी छोड़ने के बारे में नहीं सोचा, पर मैं टाइप्ड नहीं होना चाहता था सो थोड़े समय के लिए ब्रेक पर चला गया। अब मौका मिला तो वापस आ गया।

तमिल होते हुए आपने जो चरित्र निभाए वे आपके लिए आसान तो नहीं थे?

हॉं, लेकिन मैं मुंबई में पैदा हुआ तथा पला- बढ़ा हूँ। इसलिए कभी रंगमंच करते हुए भी भाषा का मामला आड़े नहीं आया। अपने इस शो में भी मुझे भाषा की कमी महसूस नहीं हो रही है।

शो में आपका विकास का चरित्र शुद्घ पंजाबी है पर उसमें आप पंजाबी नहीं बोल रहे?

शो तो हिन्दी में है ना। यह केवल दो परिवारों की कहानी है। इसका मतलब हम भाषा के आधार पर कोई युद्घ नहीं करने जा रहे हैं।

आपके चरित्र का क्या आधार है?

यह विकास पुरी नाम का एक कट्टर पंजाबी है, पर एक दक्षिण भारतीय उच्च वर्ग की लड़की दिव्या पाणी से प्रेम करता है और जब दोनों परिवार उनके प्रेम को लेकर एक साथ आमने-सामने आते हैं तो हंगामा मच जाता है। बस इसी हंगामे के बीच खुद को बचाने और अपने प्रेम के साथ दोनों परिवारों को मिलाने की कहानी वाला चरित्र है मेरा।

आप आजकल कॉमेडी ही कर रहे हैं लेकिन आपने जब अपना पहला शो श्रीकांत किया था तो वह साहित्यिक कृति पर बना था?

ऐसी बात नहीं, पर ऐसे मौके बार-बार नहीं मिलते। मैंने तो सीआईडी के विशेष एपिसोड भी किए और बाद में कुछ फिल्में भी। लेकिन अपने साराभाई के साहिल से मुझे जो लोकप्रियता मिली वह दोहराई नहीं गई बस।

यह सही है कि जब आप दूसरे शोज करते हैं तो वे नहीं चलते?

अब यह मैं कैसे कह सकता हूँ, लेकिन यदि मेरे दूसरे शोज की बात है तो मेरे अकेला और रेशम डंक जैसे शोज खासे सराहे गए हैं। मुझे दुःख है कि वे बीच में ही बंद हो गए।

और गाना, आपने तो एनडीटीवी इमेजिन का से शावा शावा का गीतों वाला रिएल्टी शो भी जीत लिया था?

वह मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि थी। मैंने कभी जीवन में ऐसा नहीं सोचा था लेकिन जब मैं जीत गया तो खुद हैरान था कि कैसे हो गया? मैंने कभी गाने की कोई शिक्षा नहीं ली। मुझे लोग बॉबी देओल का क्लोन तो कहते थे पर कभी किशोर दा के बारे में किसी ने बात नहीं की। मैं अभिनय और गाने में से यदि कुछ चुनने के बारे में सोचूं तो अभिनय को चुनूंगा। रियाज मेरे बस की बात नहीं।

पर आपकी काबिलियत के बारे में लोग केवल कॉमेडी को जोड़ कर ही बातें करते हैं?

ऐसा नहीं है कि मैं कॉमेडी ही कर सकता हूँ। मैं चाहता हूँ कि मैं थोड़ा नेगेटिव शेड वाला चरित्र निभाऊँ। मैंने थियेटर में हर तरह की भूमिकाएं निभाई हैं। अकेला में तो मेरी भूमिका एक ऐसे पुलिस वाले की थी जो अपराध के लिए लड़ता है। लेकिन निर्माता निर्देशकों को मेरी कद काठी और चेहरा कॉमेडी के लिए ही सही लगते हैं। मैं भी इसमें मजा लेता हूँ।

आप कॉमेडी को किस रूप में देखते हैं?

जब हम कोई शो करते हैं तो वह हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण तब बनता है जब उसके साथ लोग भावनात्मक रूप से भी जुडें। कॉमेडी के बारे में लोग ऐसा नहीं सोचते। वे सोचते हैं यह आसान काम है पर लोगों को रूलाना जितना आसान है हंसाना उतना ही चुनौती भरा रहता है।

टीवी पर तो आपकी ट्यूनिंग जेड़ी और आतिश से ज्यादा जमती है पर रंगमंच का साथी कौन है?

दिलीप जोशी और अमित मिस्त्री। इसके अलावा जेडी और आतिश के नाटक तो करता ही हूँ। उनके शोज में काम करने वाले रत्ना पाठक शाह और सतीश शाह जैसे लोगों से भी मैं काफी सीखता हूँ।

कॉमेडी के इस द्वंद्व में सुमित राघवन कहॉं हैं?

यह कोई ़जरूरी नहीं कि आप हमेशा खुद की पसंद और भूमिकाओं से मेल खाने वाले चरित्रों में ही उतरें। व्यक्तिगत जीवन में कलाकार इसके बिलकुल उलट होता है। मैं जब काम नहीं कर रहा होता हूँ तो अपनी पत्नी और परिवार के साथ होता हूँ। लेकिन मैं खुश हूँ कि मैंने जो भूमिकाएं कीं वे बेहतर चरित्रों वाली और मुझे स्थापित करने वाली थीं।

अपने कौन से शोज और विज्ञापनों को आप सबसे बेहतर मानते हैं?

हद कर दी, साराभाई और शुभ मंगल सावधान। जहॉं तक विज्ञापनों की बात है तो बजाज और मैकडॉनल्ड मेरे सबसे पसंदीदा विज्ञापन हैं, लेकिन अब इसके लिए समय कम मिलता है।

आपने एक रियाल्टी शो किया और जीत लिया दूसरे शो के बारे में नहीं सोचते?

क्यों नहीं सोचता? पर कोई मिले तब ना।

– सुमित

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