बरसों से स्पर्म व्हेल को उससे मिलने वाले तेल के लिए मारा जाता रहा, जिसका इस्तेमाल बतौर लुब्रिकेंट भारी उद्योगों में होता रहा। लेकिन सन् 1970 में कई देशों ने कानून पारित कर व्हेल के शिकार पर तथा उसके तेल से बने उत्पादों के आयात पर पाबंदी लगा दी और इस तरह वह विलुप्त होते-होते रह गयी। लेकिन वैज्ञानिक यदि व्हेल के तेल का विकल्प नहीं खोज लेते तो कहानी कुछ और ही होती।
व्हेल के तेल का विकल्प बन कर आया जोजोबा नामक एक पौधा। दक्षिण अमेरिका और मेक्सिको में पाए जाने वाले काफी सख्त, 1.8 मीटर ऊँचे सदाबहार झाड़ियों वाले इस पौधे की पत्तियां काफी बड़ी और मोटी होती हैं।
लेकिन इसका महत्व है इसके गिरीदार फलों से, जिसमें वसा नहीं बल्कि द्रव रूप में मोम भरा रहता है।
जोजोबा का तेल आज खाद्य, लुब्रीकेट, फर्श और कार-मोम, कीटनाशक और शैंपू, ाीम तथा विभिन्न प्रकार के मरहमों के मूल पदार्थ के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। औषधियों में तो इसके अनगिनत उपयोग हैं। जोजोबा के तेल पर न सिर्फ प्रिायाएँ ही कम करनी पड़ती हैं, क्योंकि यह काफी शुद्घ होता है, बल्कि इसकी एक अन्य विशेषता यह भी है कि यह सूखी और बंजर मिट्टी में भी अच्छी तरह उग आता है। भारत में राजस्थान और गुजरात में किसानों ने इसे आसानी से उगाने में सफलता हासिल की है।
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