मैं जनसंपर्क नहीं जानता

रामगोपाल वर्मा की फिल्म “जंगल’ से चर्चा में आए अभिनेता सुशांत सिंह करीब पॉंच सालों बाद फिर टीवी पर लौटे और उनका मानना था कि इस बार वे अपने पहले शो “धड़कन’ से जरा ज्यादा चुनौती भरे चरित्र का सामना कर रहे थे। इस बार दसवें ओसियान फिल्म समारोह में उनकी निर्देशक मजहर कामरान की फिल्म “मोहनदास’ जब दिखायी गयी तो उनके नेगेटिव पात्र और चरित्र को लेकर लोगों में खासी उत्सुकता दिखायी दी। वे अपने टीवी शो विरुद्घ के बीच में बंद होने को दुःखद मानते हैं।

जब आप मोहनदास जैसी फिल्में करते हैं तो इसका अर्थ है कि अब आप केवल विशेष फिल्मों के अभिनेता हो गये हैं?

कौन कहता है? अगर ऐसा होता तो मैं फैमिली और शोले जैसी फिल्में क्यों करता? (हंसते हैं)

पर इनमें भी आपने नेगेटिव भूमिकाएं कीं और मोहनदास में भी?

ऐसी बात नहीं। मोहनदास की भूमिका नेगेटिव नहीं है। वह केवल एक ऐसे आदमी की कहानी है, जो बेरोजगार है और षड्यंत्र करके नायक की नौकरी हथिया लेता है और फिर उसे बनाए रखने के लिए तमाम प्रयास करता है।

फिर भी आपने जो चरित्र “लीजेंड भगत सिंह’ में निभाया उसके मुकाबले अब आपके पास फिल्में नहीं हैं, जबकि आप रामू और संतोषी के प्रिय अभिनेता माने जाते हैं?

ऐसी फिल्में बार बार नहीं बनतीं, लेकिन जब किसी को लगता है कि मैं उनके लिए योग्य हो सकता हूँ तो मुझे बुला लेते हैं। (हंसते हैं)

स्मृति ने आपको कैसे बुलाया था और सोनी के धड़कन में निभाए अपने पहले चरित्र डॉ. एलन से यह कैसे अलग था?

उन्होंने मेरा काम देखा था और वे थियेटर के एक शो में मुझे मिली थीं। बस जब “विरुद्घ’ की योजना बनी तो उन्होंने मुझे बुला लिया। जहॉं तक मेरे पहले शो की बात है तो उसमें मेरे पास ज्यादा काम करने का मौक नहीं था और उसमें मुझे रोमांस करने का मौका नहीं मिला था। इसमें अखबार का एक आदर्शवादी पत्रकार होने के साथ-साथ अपने प्रेम और खुद को साबित करने के लिए मुझे इसमें काफी संघर्ष करना पड़ा।

आपकी “जंगल’ और “सहर’ के बाद शहीद भगत सिंह जैसी फिल्में सराही गईं पर फिर भी आप पीछे क्यों रह गए?

मैं नहीं जानता। फैमिली की भूमिका तो बिग बी के बेटे की थी, पर कई बार ऐसा होता है कि आप जो चाहते हैं वो आपको नहीं मिलता। अब सिर्फ प्रतिभा काफी नहीं रही।

इसकी वजह क्या है?

अब प्रतिभा भी जनसंपर्क मांगती है। मैं यह नहीं कर सकता। मुझे यह नहीं आता, पर मैं अच्छी भूमिकाओं के सहारे वह करने की कोशिश कर रहा हूँ।

अब आप खुद को कहॉं देखते हैं?

मैं अभिनेता बनना चाहता था सो बन गया। अब मैं फिल्म निर्देशक बनना चाहता हूँ और अपनी फिल्म बनाना चाहता हूँ।

तो क्या अब पूरी तरह टीवी और फिल्में दोनों करने का इरादा है?

नहीं। जब भी मौका मिलेगा तो करूंगा। विरुद्घ भी मैंने इसलिए किया कि स्मृति ने मुझे अपने शो “थोड़ी सी जमीन थोड़ा सा आसमान’ के लिए बुलाया था पर मैं उस समय व्यस्त था, इसलिए जब खाली हो गया तो आ गया।

थियेटर के लिए समय मिलता है?

सच कहूं तो नहीं। मैं काफी व्यस्त हूँ।

 

– सुशांत सिंह

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