शनि देव आ रहे हैं अचानक छोटे पर्दे पर किसी ब्रेकिंग न्यूज की तरह एक लाइन उभर कर आई और अपने-अपने ख्यालों में अलसाये-अघाये दर्शकों में चेतनता की लहर-सी कौंध गई। शनि पीड़ितों की आँखों में उत्सुकता कुछ ज्यादा ही भर गयी। कल्पनाओं के घोड़ों पर सवार सबके मस्तिष्क में एक ही सवाल था? यह शनि देव कहॉं जा रहे हैं, कब आ रहे हैं और क्यों आ रहे हैं? अनहोनी की आशंका सभी के मन पर सवार थी। तभी छोटे पर्दे पर दूसरी लाइन उभरी- “वर्षों बाद मंगल को आ रहे हैं, शनि देव’। तीसरी लाइन- “मांगलिक हैं, इस बार शनि देव’, चौथी लाइन- “राशियों पर शनि देव का प्रभाव? एक ब्रेक के बाद, हम आपको मिलायेंगे फलाना ज्योतिषाचार्य से। कहीं जाइयेगा नहीं, बस हम अभी आये। उद्घोषक किसी ऊदबिलाव की भांति गायब हुआ और दर्शकों को छोड़ गया कयास लगाते रहने को।
छोटे पर्दे वाले भी बड़े चतुर सुजान हैं। उन्हें पता है कि भारतीय कितने धर्मभीरू हैं। राहु-केतु और शनि का नाम सुनते ही सबको काठ मार जाता है। अब भला अब्दुल कलाम कौन बनना चाहता है, जिनके लिए नक्षत्रों-ग्रहों का इधर से उधर होना एक भौगोलिक घटना मात्र है। सभी के सिर पर अमिताभ बच्चन सवार रहते हैं, जिन्होंने मंगल को शांत करने के लिए दिन-रात एक कर दिया है। बेचारी ऐश्र्वर्या? बच्चनी मानसिकता से त्रस्त आम आदमी की दुखती रग छेड़ कर इन छोटे पर्दे वालों ने दो दिनों तक खुद कमाया और लोगों को तपाया-पकाया। थोड़ी-थोड़ी देर में शनि देव को दिखाते, दर्शकों को डराते-बहलाते, मरहम लगाने का उपाय बतलाने का वादा कर खूब विज्ञापन दिखाये गये, जो बात एक लाइन या एक मिनट में कही जा सकती है उसे एक घंटे तक खींचा गया। आखिर इस बार मामला मांगलिक शनि का था और मांगलिक शनि कोई रोज-रोज थोड़े आते हैं। मौके का फायदा उठाया गया। छोटे पर्दे और मंदिर के पंडितों में अच्छा तालमेल नजर आया। एक शनि का नाम लेकर डराता, दूसरा डर भगाने का उपाय बताता। दोनों की दुकानदारी ठीक-ठाक चली। बेचारे दर्शक दम साधे अपनी-अपनी राशि पर शनि देव का प्रभाव-कुप्रभाव जानने को उकडू हो छोटे पर्दे के सामने बैठे रहे। जब-जब ब्रेक आता, औरतें मर्दों के लिए चाय-पानी का इंतजाम कर फिर टीवी के सामने बैठ जातीं। अब उन्हें क्या पता कि खुद शनि देव भी इन चैनल वालों से परेशान थे। उन्हें इस बार समझ में आया कि रावण की कैद भली थी। रावण ही बचाये इन चैनल वालों से। मेरे पीछे हाथ-धो कर नहीं नहा-धोकर पड़े हैं। अजीब लोग हैं। मेरे बारे में ऐसी-ऐसी बातें बता रहे हैं जिनका पता स्वयं मुझे यानि कि शनि देव को भी नहीं है।
खैर, राशि पर प्रभाव जानने-देखने-सुनने को व्याकुल दर्शकों को चैनल का उद्घोषक स्टूडियो में विराजे ज्योतिषाचार्य का परिचय करवाते हुए बोला- आइये, अब हम आचार्य महोदय से ही जानते हैं कि क्या प्रभाव पड़ेगा? शनि देव के मांगलिक होने पर क्या कुछ अमंगल होने जा रहा है? ऐसे ही दो-चार सवाल दाग कर उद्घोषक ऊदबिलाव की भांति दुबक गया और आचार्य जी शिष्य तुल्य जजमान के आज्ञाकारी होने का विश्र्वास पाल कर मास्टर जी की तरह बोले-देखिये ऐसा संयोग बहुत कम होता है जब शनि देव का आगमन अर्थात् उनका जन्मदिन मंगलवार को पड़े। इसके महत्वपूर्ण होने का एक कारण यह भी है कि जब शनि देव को रावण ने अपने आदेश का उल्लंघन करने पर बंदी बना लिया था तब हनुमान जी ने ही उन्हें रावण की कैद से छुड़वाया था। इसलिए भक्त यदि हनुमान जी की आराधना करें तो शनि देव प्रसन्न हो जाते हैं। अर्थात् हनुमान जी प्रसन्न तो शनि देव भी प्रसन्न हो जाएंगे। अगर हनुमान जी नाराज तो शनि देव भी कुपित हो जाएंगे। इस पर छोटे पर्दे के सामने बैठे दर्शकों को फिल्म “शोले’ की याद आ गयी, जब “बसंती’ शंकर भगवान से वर मांगने मंदिर जाती है तब धर्मेंद्र शंकर भगवान की मूर्ति के पीछे छुपकर बसंती के सवालों का जवाब देते हैं। धर्मेंद्र बसंती से कहते हैं- अगर वीरू (धर्मेंद्र) प्रसन्न होगा तो हम प्रसन्न होंगे। अगर वीरू नाराज होगा तो हम कुपित हो जाएंगे। ऐसे में बेचारी बसंती भगवान की बात मानने के सिवा और कर भी क्या सकती है? भला हो अमिताभ बच्चन का जो उसने धर्मेंद्र की नौटंकी का राज खोल दिया और बसंती को बचा लिया। लेकिन दर्शक रूपी बसंती को इन चैनल वालों से कौन बचायेगा?।
You must be logged in to post a comment Login