26 वर्षीय आकाश चोपड़ा के चेहरे पर अचानक बहुत सारे मुहांसे निकल आये। डॉक्टर के पास जाने की बजाय, जैसा कि आमतौर पर अपने देश में होता है, आकाश ने स्वतः ही अपना इलाज करना शुरू कर दिया। वे विटामिन-ई की गोलियॉं लेने लगे। 4 माह तक यह गोलियॉं नियमित खाने के बाद उनकी त्वचा तो बेहतर होने लगी लेकिन आँखों की बिनाई कमजोर होने का अहसास उन्हें होने लगा, साथ ही सिर में दर्द की भी शिकायत रहने लगी। वे डाक्टर के पास गये और उन्हें मालूम हुआ कि उन्होंने विटामिन-ई की खुराक जरूरत से ज्यादा ले ली है। गौरतलब है कि विटामिन-ई सप्ताह में 500 मिलीग्राम लेना चाहिए, जबकि वे रोज ही इतने मिग्रा की गोली खा रहे थे।
आकाश चोपड़ा के अनुभव से कुछेक बातें एकदम स्पष्ट हो जाती हैं। एक, हमें अपना इलाज स्वयं नहीं करना चाहिए और विटामिन्स भी डाक्टर की सलाह पर ही लेने चाहिए। दो, विटामिन से भी नुकसान होता है। तीन, अति हर चीज की बुरी होती है और यह बात विटामिन्स पर भी लागू होती है। …और अंतिम यह कि विटामिन्स का भी साइड इफेक्ट होता है, इसलिए उन्हें सीमित मात्रा में डाक्टर की निगरानी में ही लेना चाहिए वरना जिगर खराब हो सकता है, जोड़ों में दर्द हो सकता है या जबरदस्त दस्तों की शिकायत हो सकती है।
विशेषज्ञों की राय है कि सिर्फ तीन स्थितियों में ही विटामिन सप्लीमेंट की मात्रा को बढ़ाना चाहिए-
- अगर आपका हीमोग्लोबिन स्तर कम है और आप प्रेगनेंट हैं।
- अगर आप गंभीर बीमारी से उठे हैं और आपके डाक्टर ने निश्चित अवधि के लिए विटामिन्स लेने के लिए कहा है।
- अगर आप कुपोषित बच्चे हैं और आपको उचित पौष्टिक आहार नहीं मिलता। यह भी डाक्टर की निगरानी में ही किया जाना चाहिए।
बाकी लोगों को चाहिए कि वे संतुलित आहार लें।
विटामिन्स को मुख्य रूप से दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है-
- फैट में घुलने वाले विटामिन्स- विटामिन ए,डी,ई और के। इन्हें फैट टिश्यू़ज हजम करते हैं और ये फैटी फूड्स और फिश लीवर आयल्स में पाये जाते हैं।
- पानी में घुलने वाले विटामिन्स- विटामिन बी और सी। इन्हें शरीर स्टोर नहीं कर पाता और इसलिए इनकी रोज ही जरूरत पड़ती है। यह अनाज, पोल्टी और सिटरस फ्रूट्स में मुख्य रूप से पाये जाते हैं।
पानी में घुलने वाले विटामिन्स की मात्रा अगर शरीर में अधिक हो भी जाए तो उनसे कुछ खास नुकसान नहीं होता क्योंकि वे जिस्म से बाहर निकल जाते हैं। लेकिन अगर फैट में घुलने वाले विटामिन्स अधिक मात्रा में शरीर में पहुँच जाएँ तो उनसे बहुत से रोग हो सकते हैं, जैसे-
विटामिन-ए : सिरदर्द, चक्कर आना, जी मितलाना, उल्टी आना, थकन, जिगर को नुकसान पहुँचना, बालों का उड़ना और मासिक चा में अनियमितता।
विटामिन-डी : वजन कम होना, पीला पड़ना, कब्ज, बुखार, शरीर में जगह-जगह कैल्शियम का जमा होना (जिसे अक्सर कैंसर समझ लिया जाता है), बहरापन, मितली आना, गुर्दे में पथरी, हड्डियों का कमजोर होना, हाई ब्लडप्रेशर, हाई ब्लड कोलेस्टाल, दस्त और ज्यादा प्यास लगना।
विटामिन-ई : कमजोरी, थकन, हाई ब्लडप्रेशर आदि।
विटामिन-के : जिगर का बढ़ना।
पानी में घुलने वाले विटामिन्स की अधिकता भी साइड इफेक्ट्स पैदा कर सकती है। मसलन, विटामिन डी से सिरदर्द, ौंप्स, उल्टी हो सकती है और विटामिन सी से यूरिक एसिड का स्तर बढ़ना, गुर्दे व पेशाब की थैली में पथरी और यूरिनरी टैक में जलन हो सकती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि विटामिन सप्लीमेंट्स लेने से कहीं बेहतर यह है कि प्राकृतिक तौर पर संतुलित आहार लिया जाए। एक रिपोर्ट के अनुसार एंटी ऑक्सीडेंट्स विटामिन लेने से असमय मृत्यु का खतरा 16 प्रतिशत बढ़ जाता है। विटामिन ई नियमित लेने से धूम्रपान करने वालों में फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। भारतीय डॉक्टरों की राय है कि विटामिन सी की गोलियॉं खाना पूर्णतः पश्चिमी संस्कृति है क्योंकि वहॉं आलू और ब्रेड पर लोग जिंदा रहते हैं। अपने देश में लोग सब चीजें खाते हैं, इसलिए अगर बहुत ही कुपोषण का मामला है तो ही विटामिन सप्लीमेंट लिये जाएँ, वह भी डॉक्टरों की निगरानी में, वरना संतुलित आहार, ढेर सारे फल और सब्जियों से ही काम चलाना चाहिए।
विटामिन्स लेने से पहले सोचें
विटामिन्स की छोटी खुराक लें, क्योंकि उनका काम शरीर की रासायनिक प्रिायाओं को रेग्युलेट करने में मदद करने का होता है।
विटामिन सप्लीमेंट्स फूड का विकल्प नहीं हैं। इनसे खानपान की खराब आदतें पड़ती हैं। इनसे ऊर्जा नहीं मिलती क्योंकि इनमें कैलोरी नहीं होती। अगर आप कमजोरी महसूस कर रहे हैं तो अपनी डायट बढ़ा दें।विटामिन से किसी रोग का इलाज नहीं होता, सिवाय उस स्थिति के, जो विटामिन की कमी से जुड़ी हों।
अन्य दवाओं की तरह विटामिन भी एक्सपायर हो जाते हैं। इसलिए खाने से पहले एक्सपायरी डेट को अवश्य देख लें।
अगर आप मल्टी विटामिन्स ले रहे हों तो उन्हें अधिकतम हजम करने के लिए यह सुनिश्चि कर लें कि आप पेट भरकर खाना खा रहे हैं। विटामिन्स की एक गोली सुबह लेना काफी नहीं होता है क्योंकि बहुत से विटामिन्स दिन के अलग-अलग समय में अधिक फायदेमंद होते हैं और हजम भी होते हैं।
अगर आप गर्भनिरोधक गोलियॉं ले रही हैं तो विटामिन्स लेना आवश्यक नहीं है।
नाखूनों के फटने का अर्थ यह नहीं है कि आपमें विटामिन की कमी है। फंगल इंफेक्शन या कोई और कारण नाखूनों के फटने की वजह हो सकती है।
सिरदर्द की गोलियों की तरह विटामिन्स तुरंत अपना कमाल नहीं दिखाते, किसी भी समस्या का समाधान करने में उन्हें समय लगता है।
सिर्फ एफडीए (फूड एंड डग एडमिनिस्टेशन) से स्वीकृत विटामिन सी लें। स्थानीय कंपनियों के विटामिन्स न लें।
– डॉ. भारत भूषण
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