सुबह-सुबह रिंकी के कमरे में फिर से फोन की घंटी बजी। दफ्तर हो या घर, उसी ब्लैंक-कॉल ने रिंकी को परेशान कर रखा था।
फोन पकड़ते ही रिंकी के चेहरे की हवाइयॉं उड़ने लगीं, चेहरा फक् पड़ गया और पुनः उसके चेहरे पर दहशत ऩजर आने लगी। करीब एक हफ्ते से रिंकी को कोई व्यक्ति फोन करके उसमें असुरक्षा की भावना उत्पन्न करने की कोशिश कर रहा था। रिंकी के घर-परिवार के सदस्यों, उसके दफ्तर, सहेलियों के विषय तक के बारे में वह व्यक्ति भली-भांति परिचित था। रिंकी किसके साथ दफ्तर जाती है, क्या पहनती है, क्या खाती है, कब बाजार जाती है, उसने बाजार से क्या सामान खरीदा? और कितने बजे घर पहुंची? हर बात की उसे खबर रहती है, यही बात फोन पर बताकर वह रिंकी में दहशत उत्पन्न करने में सफल होता। रिंकी भय के कारण किसी से कुछ न कह पाती थी। उसे अब न तो दफ्तर जाना भाता था और न ही किसी से बात करना। सिर्फ अकेली इसी कशमकश में डूबी रहती कि आखिर कौन हो सकता है, जो मेरी हर बात से परिचित है?
आज सुबह से तीन-चार बार ब्लैंक-कॉल आ चुके थे, जिससे रिंकी को खीज होने लगी थी। आज उसने ठान ली कि अपने पिताजी को सब बात बताएगी और बात पता चलते ही रिंकी के पिताजी ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवायी। जल्दी ही वह व्यक्ति पकड़ा गया। वह था रिंकी का एक सहकर्मी।
पुलिस की मार पड़ने पर उस व्यक्ति ने अपनी बात जाहिर की कि वह उसके प्रति आकर्षित था। रिंकी के आगे-पीछे उसने कई चक्कर लगाए, किन्तु बात कुछ न बन पाने के कारण उसने उसे इस तरह से तंग करने की कोशिश की। रिंकी के चेहरे पर दहशत देखकर उसे आनन्द आता था। ऐसा केवल रिंकी के साथ ही नहीं, आपके साथ, मेरे साथ या किसी अन्य युवती के साथ भी हो सकता है। इसके कारण कई देखे गये हैं। अस्सी प्रतिशत तो मनोवैज्ञानिक इसे मनोरोग मानते हैं, जो कि आज की युवा-पीढ़ियों में ज्यादातर देखा गया है। उनकी यह धारणा होती कि जो चीज मेरी नहीं तो वह और किसी की नहीं हो सकती।
युवतियां आज स्वयं आर्थिक स्वतंत्रता के चलते काम करने के लिए ही घर से बाहर आयी हैं। युवती सुंदर है, चरित्रवान है तथा मेहनती है तो उसके व्यक्तित्व से सभी आकर्षित होते हैं। कई बार, कई पुरुष आगे-पीछे भी होते हैं, किन्तु असफलता हाथ लगने पर तंग करना शुरू कर देते हैं। ऋतु टीवी सीरियल में काम करती थी। उसका सुंदर व आकर्षक व्यक्तित्व सभी को लुभाता था। कई पुरुषों ने उसके आगे-पीछे चक्कर लगाए। कई बार उसे कॉल द्वारा मोटी रकम देकर एक रात की ऑफर भी की गयी। अब चूंकि वह चरित्रवान व हिम्मती थी, किसी के आगे नहीं टूटी। वरना साधारणतः लोगों की धारणा है कि युवतियां आर्थिक स्वतंत्रता के चलते आगे बढ़ी हैं तो कभी न कभी किसी रकम पर टूट जाएंगी। उसने अपना आत्मविश्र्वास और हिम्मत कायम रखी और सतर्कता बनाये रखी। आज भी ऐसे परिवेश में वह अपने निर्मल चरित्र को कायम किये हुए है।
हर क्षेत्र में स्वयं की रक्षा हेतु सतर्कता की आवश्यकता है। इसके लिए जरूरी है रिंकी की भांति डरें नहीं और न ही देर न लगाएं, इससे मानसिक यातना से तो प्रताड़ित तो होंगी ही, साथ ही अपराधी को भी शरण देगी। अतः जरूरत है, हिम्मत से काम लेने की। अपने से बड़ों की सहायता, पुलिस को सूचना तथा ठीक समय पर उचित निर्णय एवं सतर्कता से केवल आप इस प्रकार की घटनाओं से बच सकती हैं, वरन् अन्य युवतियों को भी प्रेरित कर सकती हैं।
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