अन्नापूर्णा माँ विन्ध्यवासिनी

vidhyavasini-mata-mandirदो सदी पूर्व हिमाचल प्रदेश के इस गॉंव में मंदिर का निर्माण कर मॉं की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा की गयी थी। यह वही विन्ध्यवासिनी माता का मंदिर है, जिसे स्थानीय लोग बंदला माता कहते हैं। आगे चलकर यह गॉंव बंदला के नाम से ही प्रसिद्घ हो गया। इस मंदिर के चारों ओर चाय के बागान हैं, जिन्हें बंदला टी इस्टेट के नाम से पुकारा जाता है।

माँ का मंदिर बड़ा मनोहारी है। प्रवेश द्वार पर शिव, गणेश, हनुमान आदि देवताओं की कलात्मक प्रतिमाएँ हैं। मंदिर के भीतर माँ विन्ध्यवासिनी की भव्य मूर्ति सबका मन मोह लेती है।

कुछ वर्ष पूर्व इस मंदिर के संचालक (स्वर्गीय महंत जी) के मन में भावना यह जागी कि विश्र्व कल्याण हेतु कोटि-चंडी महायज्ञ किया जाये। यह निश्र्चय करके महंत जी ने अपनी सारी शक्ति लगाकर 1997 में चंडी महायज्ञ का आयोजन किया, जो नौ दिन तक चला। इस यज्ञ में 1200 पंडित बैठे थे। देश के कोने-कोने से लाखों की संख्या में श्रद्घालुओं व भक्तों को शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। हिमाचल-प्रदेश के इतिहास में शायद ही इतना बड़ा अनुष्ठान हुआ हो।

इस प्रकार का दूसरा महायज्ञ 24 मई, 2003 को संचालक महंत सोमगिरी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। इसमें भारत भर के 501 नामी पंडितों ने भाग लिया। अब इस मंदिर की चर्चा देशभर में है।

मंदिर में मॉं की आरती प्रातः व सायं को ठीक 8 बजे होती है। भक्ति-रस से परिपूर्ण यह आरती सबको आनंदमय बना देती है। मंदिर परिसर में प्रत्येक मंगलवार को लंगर लगता है। मॉं के प्रति श्रद्घा रखने वालों की मनोकामना मॉं विन्ध्यवासिनी अवश्य पूर्ण करती हैं।

– राजेंद्र निशेश

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