महिला सशक्तिकरण ऐसे भी

इंडियन बैंक स्टाफ टेनिंग सेन्टर तिरुवन्तपुरम् के प्रशिक्षण प्रबंधक श्री पी. के. विश्र्वनाथन् ने हाल ही में स्त्री-सशक्तिकरण से संबंधित अपने शोध पर पी.एच.डी. की उपाधि पाई है। उन्होंने मेरे साथ हुए वार्तालाप में स्त्री सशक्तिकरण के कुछ रोमांचकारी उदाहरण बताए जो इस बात के द्योतक हैं कि अल्पशिक्षित एवं अशिक्षित स्त्रियां भी स्वयं सहायक संघ जैसे नए-नए सामाजिक अभियानों के तहत इतनी सशक्त हो गई हैं कि न केवल उनका आर्थिक तथा सामाजिक स्तर उन्नत हुआ है, बल्कि विभिन्न प्रकार की सामाजिक कुरीतियों को रोकने में भी वे एक हद तक सफल हो रही हैं।

उनका बताया एक उदाहरण यूँ है- तिरुवनन्तपुरम् के समीप विषिजम नामक स्थान पर एक महिला अवैध रूप से देसी शराब का व्यापार करती आ रही थी। आसपास के कई मर्द दिनभर की मजदूरी के बाद जो मजूरी हाथ लगती, उसे लेकर सीधे महिला की अवैध मधुशाला में पहुँच जाते थे और पेटभर पीकर खाली हाथ, निरी बेहोशी की हालत में अपने-अपने घर लौटते और जब तक नशा न उतरता तब तक बीबी-बच्चों को बुरी तरह उत्पीड़ित करते। इन उत्पीड़ित महिलाओं ने मिलकर सलाह-मशविरा किया और यह निर्णय लिया कि वे सब मिलकर कुछ ऐसा कार्य करेंगी, जिससे उक्त महिला का यह अवैध मद्य व्यापार सदा के लिए रुक सके। उन्होंने गर्मी के मौसम में एक दोपहर को उक्त महिला को एक खाली जगह पर अकेले में कुछ इस तरह घेर लिया कि घंटों तक उसे उस कड़ी धूप में खड़ी रहना पड़ा। इस घेराव में वह इतनी संत्रस्त हो गई कि उसने उन महिलाओं को वचन दिया कि अब आगे कभी वह मद्य का व्यापार नहीं करेगी। देखा, महिलाओं की शक्ति का प्रभाव!

महिला सशक्तिकरण की एक और मिसाल मलयालम समाचार-पत्र “मातृभूमि’ में प्रकाशित हुई है, जिसका सारांश कुछ यूँ है- स्थान है केरल में किलिमानूर नामक स्थान का एक मंदिर। मंदिर के मुख्य द्वार के सामने विवाह का मंडप सजा हुआ है। वधू पक्ष और वर पक्ष के करीब डेढ़ हजार बन्धु-मित्रों के लिए प्रीतिभोज का इंतजाम किया गया है। वधू विशिष्ट वस्त्राभूषणों से अलंकृत हो नम्रमुख खड़ी है वर की प्रतीक्षा में कि वर के पधारते ही उसका विधिवत स्वागत करना है। विवाह मंडप में वाद्य घोष के साथ लिवा लाना है और अग्नि को साक्षी बनाकर वधू द्वारा वरमाला अर्पित किया जाना है। वर भी वधू के गले में वरमाला अर्पित करेगा, जिसके उपरान्त वधू का पिता दोनों का पाणिग्रहण कराएगा। विवाह के इस मंगल कर्म के तुरंत बाद ही प्रीतिभोज होगा।

पर हुआ यूँ कि वर जब मोटर से उतरा, तब उसके पॉंव लड़खड़ा रहे थे। मंडप के समीप आने पर वह जब नशे के कारण गिरने को हुआ तो वधू ने शराबी वर से विवाह करने में ऐतराज प्रकट किया। उसके रिश्तेदारों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने उसका मेडिकल चेकअप कराया तो वह नशीले पदार्थ का शिकार पाया गया। चूंकि वधू ने विवाह करने से इन्कार कर दिया था इसलिए बिना प्रीतिभोज का स्वाद चखे ही सारे बन्धुजन तितर-बितर हो गए।

जरा सोचिए, यदि वह विवाह किसी प्रकार संपन्न हो गया होता तो उस वधू की और वधू के घरवालों की क्या दुर्दशा हुई होती। सामान्यतः मॉं-बाप का कहना मानकर ऐसे शराबियों को भी गले में वरमाल्य अर्पित करने के लिए बेचारी लड़कियां मजबूर हुआ करती हैं। मॉं-बाप भी यह सोचकर बेटियों को नरक में धकेल देते हैं कि इतना सब करने के बाद कैसे इनकार करें। चलो, लड़की की बदनसीबी मान लेंगे। पर यहॉं वधू ने साहस से काम लिया जो तमाम नव-वधुओं के लिए भी प्रेरणास्पद हो सकता है और होना भी चाहिए।

 

– के. जी. बालकृष्ण पिल्लै

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