अभिनय

टेन ने स्टेशन से रफ्तार पकड़ी ही थी कि द्वितीय श्रेणी के आरक्षित डिब्बे में एक किशोर बड़ी कठिनाई के साथ घसीटता हुआ कहीं से आया और दीनता से यात्रियों के आगे हाथ फैला दिये। उसकी हालत देखकर कई यात्रियों का दिल पसीज गया और उन्होंने दो-पॉंच रुपये उसकी हथेली पर रख दिये। “भूखा होगा बेचारा’ यह सोचकर एक महिला यात्री ने कागज पर रोटी और सब्जी रखकर उसे दे दी। धीरे-धीरे वह दरवाजे तक पहुँच गया और वहीं आड़ा पड़ गया। तकरीबन एक घंटे के बाद जंक्शन पर गाड़ी रुकी, वह किशोर बिजली की तेजी से उठा और लगभग दौड़ते हुए, भीड़ में गुम हो गया। उसका जबर्दस्त अभिनय देखकर पहले तो सभी यात्री हैरान हो गये, पर बाद में एक-दूसरे को देखकर हौले से मुस्कुराए और संयत होकर सीट पर बैठ गये।

– दीपाली शुक्ला

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