मॉं के ऑपरेशन के कारण विवाहिता बेटी नेहा कई दिनों से अस्पताल में साथ रह रही थी। “”बेटी कल राखी है, शायद तेरा भाई राजन तुझसे राखी बंधवाने आ जाये, तू घर जाकर तैयारी कर ले।” मॉं ने शिथिल स्वर में कहा। “”कैसी तैयारी मॉं, जो भाई अपने घर-संसार में ऐसा रमा कि अपनी जन्मदायिनी मां को ही भुला बैठा है, उसकी सेवा तो दूर उसका हाल तक पूछने नहीं आ सका। उसे केवल राखी बांधने के लिए ही मैं तुम्हें इस हाल में अकेला छोड़कर घर नहीं जा सकती। यदि उसे राखी बंधवानी ही है तो वह यहॉं आकर भी बंधवा सकता है, इसी बहाने तुमसे मिल भी लेगा।” आाोश भरे स्वर में अपनी बात पूरी कर नेहा दवाई लेने डिस्पेंसरी की ओर बढ़ गई।
– सुकीर्ति भटनागर
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