“”क्या कहा बहू, चैक अप? अब तुम पता लगाओगी तुम्हारी कोख में लड़का है या लड़की?” जानकी गरज कर बोलीं।
“”लेकिन, वो तो बुआ जी… ” पहली बार सास का गुस्सा देखकर रमा हड़बड़ा-सी गयी।
“”बस अब जाओ अपने कमरे में, बहस मत करो।” जानकी के मन में दबी हुई चिंगारी आज बरसों बाद भी भड़क उठी थी। आज फिर वही बेरहम राक्षस उनके सामने खड़ा था, उनकी बहू की कोख उजाड़ने के लिए। लेकिन, परिस्थितियॉं अब उनके बस के बाहर न थीं।
जानकी आँखें मूंद कर सोने का प्रयास करने लगीं, लेकिन नींद तो कोसों दूर भाग चुकी थी और बार-बार कड़वी यादें उनकी नजरों के सामने दस्तक देने लगीं। उनकी सास ने कहा था,
“”मुझे कुछ नहीं पता, एक पोता और चाहिए, उसके बाद जो जी, में आये जनती रहना।” “”लेकिन मॉं जी रवि के बाद आपकी बात मानकर मैंने दो बार यह पाप किया है। इस बार भी मुझे वही पाप करने के लिए मजबूर मत करिये।” कहते हुए जानकी की रुलाई फूट पड़ी थी। परन्तु उनकी सास पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा था। उनके सामने मुंह खोलने की हिम्मत किसी में भी नहीं थी। रवि के पापा अर्थात जानकी के ससुर ने इस मामले पर चुप्पी साध ली थी और फिर वही हुआ, जिसका जानकी को डर था। डॉक्टर ने साफ तौर पर आगे सावधान रहने की ताकीद कर दी थी, क्योंकि भगवान ने भविष्य में उनसे मां बनने का हक छीन लिया था।
“”मम्मी जी, खाना खा लीजिए।” बहू की आवाज सुनकर जानकी जैसे नींद से जाग उठीं।
“”इधर बैठो,” जानकी ने बहू का हाथ पकड़कर अपने पास बैठाते हुए कहा, “”देखो बहू, भगवान के दिये इस वरदान को बिना किसी संकोच के स्वीकार कर लो, चाहे वह लड़का हो या लड़की। पहले से ही एक बेटी है तो क्या हुआ, आज के जमाने में लड़कियॉं लड़कों से कोई कम हैं क्या? माना रवि की नौकरी छोटी है, पर मैं तुम लोगों के साथ हूँ। मेरी अपनी पेंशन है, जब तक मैं जिंदा हूँ, वह तुम लोगों के भी काम आ सकती है और फिर आजकल सरकार भी ऐसे परिवारों के साथ है, जहां केवल लड़कियॉं हैं।” जानकी की बात बहू की समझ में आ गई।
जानकी आज उस बेरहम राक्षस को परास्त करने में कामयाब हो गईं और अपनी इस कामयाबी पर आज उन्हें बड़ा गर्व है।
– भगत राम फुल
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