अगर आपको चुनौतियां पसंद हैं और ऐसे लोगों की मदद के लिए तहेदिल से तैयार रहते हैं जो परेशान हैं, तो पेस्ट मैनेजमेंट में आपका स्वागत है। यह नौकरी आपको चुनौती तो देती ही है साथ में पुरस्कार भी देती है। पेस्ट मैनेजमेंट के तहत पेस्ट कंटोलर वास्तव में कई तरह की सर्विस उपलब्ध कराते हैं। मसलन, बिल्ंिडग की जांच, रसायनों का भराव और घर में पैदा हुए तमाम तरह के कीड़े-मकोड़ों को खत्म करना और यह प्रबंध करना कि अगली बार वह न पैदा हों।
यह काम वही कर सकता है, जिसे विभिन्न किस्म के कीटनाशकों के बारे में ज्ञान हो और यह पता हो कि कौन-सा कीड़ा किस जहरीले कीटनाशक से खत्म होता है और हां, इसके साथ ऐसे व्यक्ति को कॉाोचों से डरने वाला भी नहीं होना चाहिए। चूंकि इस काम में दिन भर कई किस्म के जहरीले रसायनों/कीटनाशकों के साथ रहना पड़ता है, इसलिए कीटनाशकों का ज्ञान और उनके उपयोग का प्रशिक्षण हासिल करना बहुत जरूरी है। याद रखिए, कीटनाशकों का इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति अगर एक्सपर्ट नहीं है तो न सिर्फ उस घर में रहने वाले लोगों की जिंदगी के लिए खतरा है बल्कि खुद वह अपने लिए भी खतरा मोल ले सकता है। इसलिए कीटनाशकों का सही तरह से इस्तेमाल करना पेस्ट कंटोलर को जरूर आना चाहिए।
कई बार कोई कीटनाशक टारगेट किए गये कीड़े पर असर नहीं करता। लेकिन वह उस घर में रहने वाले लोगों को जरूर प्रभावित कर देता है। इसलिए यह जानना जरूरी है कि किस कीड़े के लिए कौन-सा पेस्ट असरकारक होगा और उसे असरकारक बनाने के लिए सही इस्तेमाल का तरीका क्या होगा। याद रखें, कीटनाशकों के इस्तेमाल के दर्जनों तरीके होते हैं और सही तरीके के इस्तेमाल से ही कीड़े-मकोड़े पूरी तरह से मरते हैं। इसीलिए घर में जब भी कीटनाशकों का छिड़काव करायें या कीड़े-मकोड़ों से निजात पाने की कोशिश करें, तो यह सुनिश्र्चित करें कि यह काम जिस व्यक्ति को सौंपा गया हो, वह वेल टेंड हो।
किसी पेस्ट कंटोलर को न सिर्फ प्राणी विज्ञान का ज्ञान होना चाहिए, बल्कि कीटनाशक किस तरह असर करते हैं और कीड़े-मकोड़े उनसे किस तरह बचाव करने का प्रयास करते हैं, इस सब के बारे में भी पता होना चाहिए। साथ ही किसी कीटनाशक का कीड़े-मकोड़े के साथ-साथ आदमी पर कितना और कैसा असर पड़ता है, पेस्ट कंटोलर को यह बात भी पता होनी चाहिए। क्योंकि नौकरी से ज्यादा अहम चीज आपका स्वास्थ्य होता है। ऐसे में किसी भी तरह की गलती सबसे पहले पेस्ट कंटोलर को ही नुकसान पहुंचाती है। आमतौर पर देखा गया है कि बिना प्रशिक्षण के महज मजबूरीवश इस तरह का काम शुरू करने वाले लोग जल्द ही सांस की समस्या से पीड़ित हो जाते हैं और कई तो मर भी जाते हैं। क्योंकि ये कीटनाशक अलग-अलग रूप में तो जहरीले होते ही हैं, कई बार जब इन्हें आपस में मिला दिया जाता है, तो और जहरीले हो जाते हैं। जबकि यह अक्सर कीड़े-मकोड़ों से पूरी तरह से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है। इसलिए किसी पेस्ट कंटोलर को तेजतर्रार, त्वरित बुद्घि का इस्तेमाल करने में माहिर, समस्या का समाधान खोजने में होशियार और तेजी से सकारात्मक तरीके से काम करने की क्षमता वाला होना चाहिए। जरूरत पड़े तो वह त्वरित निर्णय भी ले सके तथा इस सब बातों के अलावा उसमें अपने काम के लिए कमिटमेंट तथा एथिक्स होना चाहिए।
जहां तक किसी पेस्ट कंटोलर की क्वालीफिकेशन की बात आती है तो इस क्षेत्र में सुपरवाइजर और टेक्निकल ऑफिसर जैसे पद संभालने वालों को साइंस, विशेषकर रसायन विज्ञान और कृषि में ग्रेजुएट होना चाहिए। मगर दुर्भाग्य की बात यह है कि देश में कोई ऐसा इंस्टीट्यूट नहीं है, जो पेस्ट मैनेजमेंट में डिग्री प्रदान करता हो। सेंटर फॉर टेक्नोलॉजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट, मैसूर एक सैद्घांतिक पाठ्याम जरूर पेस्ट मैनेजमेंट में उपलब्ध कराता है। जबकि अमेरिका में परड्यू यूनिवर्सिटी पत्राचार के जरिए ऐसा एक पाठ्याम उपलब्ध कराता है, जिसे हिंदुस्तान के लोग कर सकते हैं, साथ ही ब्रिटिश पेस्ट कंटोल एसोसिएशन इस क्षेत्र में एक औपचारिक डिग्री प्रदान करता है।
जहां तक इस क्षेत्र में अलग-अलग पदों और काम करने वालों का सवाल है, तो यहां ऑपरेटर, सुपरवाइजर, टेक्निकल ऑफिसर, विाय प्रतिनिधि, कॉल ऑफिसर और एकाउंट ऑफिसर जैसे कई महत्वपूर्ण और अलग-अलग किस्म का काम करने वाले लोग होते हैं। ऑपरेटर का काम कॉल ऑफिसर से ऑर्डर लेना और क्लायंट की साइट में पेस्ट कंटोल लेकर पहुंचना होता है। ऑपरेटर बनने के लिए दसवीं पास पर्याप्त शैक्षणिक योग्यता है। जिन्हें दो-तीन साल का इस क्षेत्र में अनुभव है, मगर वह दसवीं पास नहीं हैं, उन्हें भी लिया जा सकता है। ऑपरेटरों में जो अनुभवी हो जाता है, जिसे इस पूरे काम में दक्षता हासिल हो जाती है, वह सुपरवाइजर बन जाता है। सुपरवाइजर ऑपरेटरों से काम करवाने को सुनिश्र्चित करता है तथा ग्राहक को संतुष्ट करने का दायित्व भी उसी पर होता है।
जहां तक टेक्निकल ऑफिसर का सवाल है तो वह इस पूरी प्रिाया को निर्देशित करता है। सुपरवाइजर से लेकर ऑपरेटर तक को वह दिशा-निर्देश देता है। यह तय करता है कि कौन-सा पेस्ट छिड़कना वाजिब रहेगा। कहने का मतलब है कि यह सारी टेक्निकल जिम्मेदारी इसी पर होती है। जबकि विाय प्रतिनिधि ग्राहकों को तलाशता है, अपनी कंपनी के काम का प्रचार करता है और ऑर्डर हासिल करता है। आमतौर पर विाय प्रतिनिधि के लिए मार्केटिंग एम.बी.ए. और टेक्निकल ऑफिसर के लिए केमिस्टी में ग्रेजुएशन की डिग्री जरूरी होती है। कॉल ऑफिसर लोगों के फोन सुनता है और लोगों को फोन करता है। उसका विभिन्न तरह के पेस्ट का कोई तकनीकी और वैज्ञानिक अध्ययन तो नहीं होता, लेकिन उसके लिए भी यह जरूरी समझा जाता है कि वह चीजों का जानकार हो ताकि ग्राहक को फोन में संतुष्ट कर सके और ऑर्डर हासिल कर सके। आमतौर पर कॉल ऑफिसर के लिए ऐसे लोगों को रखा जाता है, जो कस्टमर रिलेशंस जैसे विषयों में ग्रेजुएट हों। एकाउंट ऑफिसर का इस पूरे काम के साथ कोई तकनीकी रिश्ता नहीं होता। वह सिर्फ संस्थान के वित्तीय लेन-देन या बही-खाते को दुरुस्त रखता है।
जहां तक यह सवाल है कि पेस्ट कंटोलर को नौकरी कहां मिलती है तो यह जान लीजिए कि ज्यादातर पेस्ट कंटोलर पेस्ट कंटोल इंडस्टी में नौकरी करते हैं और यह इंडस्टी निजी घरों, सरकारी संस्थानों, स्कूलों, दफ्तरों आदि को कीड़े-मकोड़ों से मुक्त रखने का ठेका लेते हैं। ये रिहायशी घरों में भी घर-घर जाकर कीड़े-मकोड़े भगाने या मारने का काम करते हैं। हां, कुछ डेवलपर्स अपने प्रोजेक्ट में एक ऐसी टीम की भी व्यवस्था रखते हैं, जो घरों को तैयार होने के पहले ही उन्हें कीड़ों-मकोड़ों से सुरक्षित बनाने का काम करती है। जहां तक इस क्षेत्र में आय का सवाल है, तो प्रशिक्षित और योग्य प्रोफेशनलों के लिए अच्छा-खासा वेतन मिलता है, जिनकी तुलना दूसरी बड़ी इंडस्टी के साथ की जा सकती है। कुछ कंपनियां तो बहुराष्टीय कंपनियों के बराबर वेतन देती हैं। मगर ऑपरेटर स्तर पर शुरू में 5 से 7 हजार रुपये महीने ही वेतन मिलता है, पर सुपरवाइजर और कॉल ऑफिसर जैसे पदों में बैठे प्रोफेशनलों को 15 से 30 हजार रुपये मासिक का वेतन शुरुआत से ही मिल जाता है।
– जी.एस. नंदिनी
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