इन दिनों एनडीटीवी इमैजिन पर धारावाहिक “रामायण’ का प्रसारण हो रहा है, जिसने अपने प्रसारण के साथ ही नए रिकॉर्ड बनाने शुरू कर दिए हैं। बीस साल पहले राम के चरित्र को निभाकर अरुण गोविल हर घर में भगवान राम की तरह पूजे जाने लगे थे। बहरहाल, वक्त के साथ अब काफी कुछ बदल चुका है। अब “रामायण’ में राम के चरित्र को मूलतः पटना (बिहार) के रहने वाले गुरमीत चौधरी निभा रहे हैं।
सबसे पहले अपने बारे में बताएं?
सच कहूँ तो मैंने एक्टर बनने की बात कभी सोची ही नहीं थी, लेकिन तकदीर ने मुझे कलाकार बना दिया। मेरे पिता आर्मी में हैं, जिसकी वजह से मैं श्रीनगर, चेन्नई, जबलपुर सहित पूरे देश में घूमता रहा। मैंने जबलपुर में ही अपनी पढ़ाई पूरी की और उसके बाद मॉडलिंग करने लगा। हॉं! जबलपुर में मैं शौकिया थिएटर किया करता था। मॉडलिंग के ही दौरान मुझे “सहारा चैनल’ के “मिस्टर या मिस बॉलीवुड’ प्रतियोगिता से जुड़ने का मौका मिला और मैं विजेता बन गया, जबकि मैंने कभी अभिनय की कोई टेनिंग नहीं ली। सहारा चैनल पर सर्वश्रेष्ठ कलाकार चुने जाने के बाद मैंने दक्षिण में “जी वी फिल्म्स’ के साथ दो तमिल फिल्मों में बतौर हीरो अभिनय किया। उसके बाद मैंने भारत के पहले थ्री डी शो “मायावी’ में भी अभिनय किया, जिसे सियोल में सर्वश्रेष्ठ शो का पुरस्कार मिला। इस पुरस्कार को टीवी का ऑस्कर पुरस्कार माना जाता है। उसके बाद मुझे धारावाहिक “रामायण’ से जुड़ने का मौका मिला।
तो क्या आप पहले से ही छोटे पर्दे पर काम करने के इच्छुक थे?
सच कहूँ तो मैं टीवी पर काम नहीं करना चाहता था। मैं सिर्फ फिल्मों में काम करन चाहता था। मैं सागर बंधुओं के पास इसी मकसद से मिलने गया था। मैं चाहता था कि मुझे उनकी किसी फिल्म में काम करने का मौका मिल जाए, क्योंकि वह तब तक “1971′ नामक फिल्म बना चुके थे और कुछ फिल्मों की योजना पर काम कर रहे थे। मैं आनंद सागर और शक्ति सागर से मिला। उन्होंने मुझे काम देने का वादा भी किया। कुछ दिनों बाद अचानक शक्ति सागर का फोन आया। उन्होंने मुझसे कहा- “जब तुम मुझसे मिलने आए थे तो तुम्हें देखते ही मेरे दिमाग में आ गया था कि तुम ही हमारे “राम’ हो सकते हो, इसीलिए हमने तुम्हें धारावाहिक “रामायण’ में राम का किरदार निभाने के लिए चुना है।’ शक्ति सागर की बात सुनकर मुझे लगा कि जैसे कोई बहुत बड़ा तोहफा मिल गया हो।
1987 में प्रदर्शित रामानंद सागर के धारावाहिक “रामायण’ में अरुण गोविल ने राम की भूमिका निभायी थी। तो क्या अब उनसे आपकी किसी तरह की प्रतिस्पर्धा है?
अरुण गोविल बहुत वरिष्ठ कलाकार हैं। मैं उनसे अपनी बराबरी नहीं कर सकता। उनसे मेरी कोई प्रतिस्पर्धा भी नहीं हो सकती। मैं तो सिर्फ अपने काम को अच्छे तरीके से अंजाम देने का प्रयास कर रहा हूँ।
क्या 1987 की ही तरह लोग “रामायण’ को पसंद कर रहे हैं?
आज स्थितियां बदली हुई हैं। इन बदली हुई स्थितियों में सफलता पाना बहुत मुश्किल है। इसके अलावा इस धारावाहिक का प्रसारण एकदम नए चैनल एनडिटीवी इमैजिन पर शुरू हुआ। लेकिन रामायण का दूसरा एपीसोड प्रसारित होते ही यह चैनल तीसरे नंबर पर पहुँच गया है।
क्या आपने पुरानी रामायण को देखा था?
मेरी पैदाइश 1984 की है और इससे पहले 1987 में रामायण का प्रसारण हुआ था। यानी कि उस वक्त मेरी उम्र तीन-चार साल थी। इतनी छोटी-सी उम्र में किसी चीज को देखना कोई महत्व नहीं रखता। उसके बाद रामायण देखने का मौका नहीं मिला।
राम बनने के बाद आपको कैसे अनुभव हो रहे हैं?
जनवरी में इस धारावाहिक का प्रसारण शुरू हुआ और तब से मैं शूटिंग में इतना व्यस्त हूँ कि बाहर निकलने के लिए समय नहीं मिल रहा है, लेकिन मेरे कई फैन क्लब खुल गए हैं। गूगल और आर्कूट पर भी मेरे तमाम फैन क्लब हैं, जहॉं मुझे कई तरह की प्रतििायाएं मिल रही हैं। इतना ही नहीं बड़ौदा, जहॉं इस धारावाहिक की शूटिंग होती है, वहॉं हर दिन हजारों लोग शूटिंग देखने आते हैं। बीच में तो कुछ लोगों के फोन आए, जिन्होंने कहा कि यदि राम से मुलाकात नहीं होगी, तो वे आत्महत्या कर लेंगे।
राम बनने के बाद आपके जीवन में क्या फर्क आया?
रामायण एक ऐसा धर्मग्रंथ है, जिसे पढ़ने से इनसान के जीवन में काफी बदलाव आ जाता है, फिर मैं तो रामायण के राम यानी कि मर्यादा पुरुषोत्तम के चरित्र को अपने अभिनय से साकार कर रहा हूँ। ऐसे में स्वाभाविक तौर से इसका मेरे जीवन पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ रहा है। राम बनने के बाद मेरे जीवन में बहुत फर्क आया है।
आपने राम के चरित्र को निभाने के लिए क्या तैयारी की?
इसमें आनंद सागर ने मेरी बड़ी मदद की। वह बीस साल पहले बनी “रामायण’ से भी जुड़े हए थे और अब बन रही “रामायण’ से भी जुड़े हुए हैं। शूटिंग शुरू होने से पहले 15 दिनों तक सेट पर उन्होंने मेरे साथ मेहनत की। उन्होंने मुझे बहुत कुछ समझाया। बारीक से बारीक चीजों की तरफ मेरा ध्यान आकर्षित किया। मैंने पटकथा को पढ़ा और अपने हिसाब से चरित्र को लेकर वर्कआउट किया कि किस तरह चलना है, किस तरह बातें करनी हैं और किस तरह मुस्कुराना है?
जब अरुण गोविल राम का चरित्र निभा रहे थे, तो लोग उनके पैर छूते थे। क्या आपके साथ भी ऐसा कुछ हो रहा है?
उस घटनााम को बीस साल गुजर चुके हैं। बीस साल में एक नयी पीढ़ी तैयार हुई है। कई तरह के बदलाव बड़ी तेजी से हुए हैं और अब लोग भी काफी समझदार हो गए हैं। अब लोग भी इस बात को ज्यादा अच्छी तरह समझने लगे हैं कि मैं भगवान नहीं हूँ, बल्कि मैं तो उनके चरित्र को निभा रहा हूँ। इसलिए लोग मेरे पैर नहीं छूते।
तो क्या अब फिल्मों के ऑफर आने बंद हो गए हैं?
रामायण का प्रसारण शुरू होने के बाद से फिल्मों के ऑफर काफी बढ़ गए हैं, लेकिन रामायण में व्यस्तता के चलते फिलहाल फिल्मों के ऑफर स्वीकार नहीं कर रहा हूँ।
– गुरमीत चौधरी
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