मैं फिल्मों के लिए टीवी नहीं छोड़ सकती

श्वेता गुलाटी पिछले काफी समय से छोटे पर्दे पर अभिनय कर रही है, लेकिन उसे पहचान अब जाकर मिलनी शुरू हुई है। पिछले दिनों “बिंदास’ चैनल पर उसका नया धारावाहिक “किस्स-किस्स बैंग-बैंग’ शुरू हुआ है, जिसमें वह नायिका रीवा का रोल कर रही है। इससे पहले भी वह “शगुन’, “क्यों होता है प्यार’, “परदे के पीछे’, “रीमिक्स’, “प्यार के दो नाम’, “एक चाबी पड़ोस में’ और “दुर्गेश नंदिनी’ जैसे कई धारावाहिक कर चुकी है।

टीवी धारावाहिकों में श्र्वेता के नाम से कई एक्टेस हैं, उनमें ज्यादातर आप से पहले आई हैं, क्या यही कारण है कि आप अभी तक अपनी खास पहचान नहीं बना सकी हैं?

हॉं, श्र्वेता तो कई हैं पर सभी कुछ न कुछ कर रही हैं। असल में पहचान रोल से मिलती है। एक बड़ा रोल मिल जाए और वह हिट हो जाए तो पहचान बन जाती है। मैंने धारावाहिक तो कई किए लेकिन किसी में मेरी भूमिका छोटी थी और किसी में मेरी बाद में ऐन्टी हुई। “प्यार के दो नाम’, “दुर्गेश नंदिनी’ और “एक चाबी है पड़ोस में’ मेरे कैमियो रोल ही थे, पर अब मुझे मुख्य और सशक्त भूमिकाएं मिलने लगी हैं, जिससे मेरी पहचान बन रही है। अब राह चलते लोग मुझे पहचानने लगे हैं।

कुछ समय पहले आपने फिल्मी चैनल के धारावाहिक “जिगर मा बड़ी आग है’, में कॉमेडी रोल किया था। क्या इसीलिए कॉमेडी रोल शुरू कर दिए हैं?

“जिगर मा बड़ी आग’ करके काफी मजा आया। मेरा किरदार दमदार था और कॉमेडी से परिपूर्ण था, लेकिन यह धारावाहिक तीन-चार महीने ही चलना था। मझे इसके बंद होने का अफसोस है, पर नीना गुप्ता, कंवलजीत जैसे कलाकारों के साथ काम करके बहुत कुछ सीखने को मिला। यह इत्तफाक है कि मुझे “किस्स-किस्स बैंग-बैंग’ में भी कॉमेडी रोल मिला है। मुझे कॉमेडी मिले या धारावाहिक रोल मैं दोनों ही दिल से करती हूँ। धारावाहिक “अम्बर-धरा’ में तो मैंने नेगेटिव करेक्टर भी किया था।

क्या आप फिल्मों में काम पाने की भी कोशिश कर रही हैं?

नहीं, मैं फिल्मों में काम पाने के लिए हाथ-पैर नहीं मारना चाहती। टीवी ने मुझे बनाया है। फिल्मों के लिए टीवी के साथ धोखा देना ठीक नहीं। यदि आप देंखें तो आए दिन कई टीवी एक्टेस फिल्मों में जाती हैं लेकिन वहॉं चल नहीं पातीं। मैं नहीं चाहती कि फिल्मों में जाकर मुझे उल्टे पांव छोटे पर्दे पर वापस आना पड़े।

इन दिनों आप कोई और धारावाहिक भी कर रही हैं?

नहीं, अभी कोई और धारावाहिक नहीं है पर मैं थिएटर कर रही हूँ। एक “आस्था’ नाम का प्ले है, जिसके लेखक-निर्देशक सैफ हैदर हसन हैं। यह प्ले काफी समय से हो रहा है, पर मैं इसे पहली बार कर रही हूँ।

 

– श्र्वेता गुलाटी

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