समय के साथ हर तरफ तब्दीलियां आई हैं तो पर्यटन के रंग और अर्थ में भला कैसे नहीं आतीं। विभिन्न क्षेत्रों में हुए व्यापक बदलाव, संसाधनों एवं सुविधाओं के विकास ने पर्यटन के भी कई रूप सामने लाए हैं। पर्यटन का मतलब अब सिर्फ घूमना-फिरना या उस जगह की जानकारी हासिल करना ही नहीं रह गया है बल्कि यह कई अन्य रूपों में भी सामने आया है। आज पर्यटन कहीं सभ्यताओं और संस्कृतियों के रूप में प्रकट हुआ है तो कहीं रोमांचक पहलुओं को उजागर करता है। अब पर्यटन सिर्फ घुमक्कड़ी करने का जरिया नहीं रह गया है, बल्कि शारीरिक और बौद्घिक क्षमताओं को नये सिरे से परखने में कारगर होने लगा है। चिकित्सीय लाभ के लिए भी एक जगह से दूसरी जगह लोग जाने लगे हैं।
आज पर्यटन को कई नामों से लोग पुकारने लगे हैं जैसे- रोमांचक पर्यटन, सांस्कृतिक पर्यटन, हैरिटेज पर्यटन, कोस्टल टूरिज्म (सागरतटीय पर्यटन), गार्डन टूरिज्म (बागबानी), हेल्थ पर्यटन और मेडिकल पर्यटन। हम यहां जिा कर रहे हैं चिकित्सीय पर्यटन यानी (मेडिकल टूरिज्म) का। चिकित्सकीय कारणों से इन दिनों कई देशों का पर्यटन उफान पर है, जिसे मेडिकल टूरिज्म कहते हैं। भारत मेडिकल पर्यटन को बढ़ावा देने वाला अग्रणी देश माना जा रहा है और अब ये मेडिकल आउटसोर्सिंग जैसे नये स्वरूप भी आख्तयार कर रहा है।
दरअसल, मेडिकल टूरिज्म की व्याख्या मरीजों को जरूरी शल्य चिकित्सा व दूसरे विशेष इलाज देने के वास्ते पर्यटन उद्योग से तालमेल बनाकर गैर-सरकारी मेडिकल केयर की व्यवस्था करने के रूप में की जा सकती है। इस प्रिाया में मेडिकल केयर से जुड़े सेक्टर, प्राइवेट व सार्वजनिक क्षेत्र के पर्यटन उद्योग द्वारा सहायता प्रदान की जा रही है। मेडिकल, डेंटल, आई केयर, कास्मेटिक टीटमेंट, ऑर्थोपेडिक सर्जरी व सर्जिकल इलाजों के लिए दूसरे देशों का भ्रमण करना चिकित्सीय पर्यटन के तहत आते हैं। उसी दौरान वे भ्रमण किये जाने वाले देश के आकर्षण व सुंदरता का भी अनुभव कर लेते हैं। औद्योगिक राष्टों में अधिक महंगे हेल्थ केयर, दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारत में आसान व सस्ती यात्राएं, विश्र्व अर्थव्यवस्था में मनमाफिक मुद्रा की अदला-बदली, तेजी से तकनीक व इलाज के स्तर में होते सुधार और हेल्थ केयर के प्रमाणित सुरक्षा मानक जैसे अति महत्वपूर्ण पहलुओं ने मेडिकल टूरिज्म के उत्थान को बल प्रदान किया है। अधिक से अधिक लोग अपने गृह देश की तुलना में अधिक सस्ते, आनंदमय, इलाज के लिए सुरक्षित विकल्प के तौर पर भारत की यात्रा को तवज्जो दे रहे हैं। इनमें अक्सर दुनिया के औद्योगिक देशों खासतौर से अमेरिका, कनाडा, ग्रेट ब्रिटेन, पश्र्चिमी यूरोप, ऑस्टेलिया व मध्यपूर्व देशों के लोग ही ज्यादा होते हैं। लेकिन दूसरे देशों के लोग भी ऐसी जगहों की तलाश में हैं, जहां उन्हें कम कीमत पर छुट्टियां बिताने के साथ-साथ मेडिकल केयर भी मिल सके। अब तो अप्रवासी भारतीय भी बहुत बड़ी तादाद में मेडिकल पर्यटन के रूप में भारत आने लगे हैं।
मेडिकल टूरिज्म हमारे देश के लिए एक उभरती हुई अवधारणा है, जहां लोग दुनियाभर से अपने चिकित्सीय व आराम की जरूरतों के वास्ते भ्रमण करने आते हैं। आमतौर पर ऐसे क्षेत्रों में हृदय शल्य चिकित्सा, घुटने का प्रत्यारोपण, कॉस्मेटिक शल्य चिकित्सा व दांतों के इलाज होते हैं। भारत एक पसंदीदा भ्रमण क्षेत्र इसलिए भी है, क्योंकि इसकी बुनियादी सुविधाएं व तकनीक यू.एस.ए., यू.के. व यूरोप जैसे देशों के समान ही है। भारत के पास दूसरे देशों के मुकाबले बेहतर सुविधाओं से सम्पन्न कुछ बढ़िया अस्पताल व इलाज केन्द्र हैं। चूंकि यह दुनियाभर के बेहतरीन पर्यटन स्थलों में से एक है। औषधि इस्तेमाल के साथ-साथ पर्यटन का जुड़ाव प्रभावशाली हो रहा है। यहीं से मेडिकल पर्यटन की सोच का आगज होता है।
भारत के अलावा क्यूबा, हंगरी, इजरायल, जॉर्डन, लिथूहेनिया, मलेशिया और थाइलैंड भी मेडिकल टूरिज्म के क्षेत्र में उन्नति कर रहे हैं। पोलैंड और सिंगापुर भी इस क्षेत्र में दाखिल हो चुके हैं। देश के सरकारी और प्राइवेट सेक्टर के अध्ययन बताते हैं कि मेडिकल टूरिज्म की वजह से 2012 तक भारत में एक बिलियन डॉलर से दो बिलियन डॉलर की आमदनी होगी। अध्ययन से यह भी सामने आया है कि प्रति साल की दर से भारत में मेडिकल टूरिज्म 30 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। भारत की उच्च दर्जे की शिक्षा प्रणाली से कंप्यूटर प्रोग्रामर और इंजीनियर ही नहीं बल्कि हर साल औसतन 20 से 30 हजार डॉक्टर और नर्स भी बन रहे हैं। भारत का अपोलो अस्पताल ग्रुप मेडिकल यात्रियों को सेवा मुहैय्या कराने वाले हॉस्पिटल एंटरप्राइजेज में शामिल हो चुका है। दूसरी बात यह कि अमेरिका के मुकाबले भारत में कॉस्मेटिक सर्जरी पर होने वाला खर्च 60-70 फीसदी कम है। इसी के मद्देनजर सरकार ने मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए खाका भी तैयार कर लिया है। मेडिकल पर्यटन मोर्चे में शामिल सभी भारतीय किस्म की दवाएं व प्राकृतिक पद्घति को रणनीतिक तरीके से बढ़ावा देने की बात की जा रही है। इसे बढ़ावा देने के लिए भारत इसी साल बर्लिन में अंतर्राष्टीय पर्यटन, एक अग्रणी पर्यटन व्यापार मेला से भागीदारी करने जा रहा है। मेडिकल पर्यटन कैसे उन्नति करे? इसके लिए भारत में जिला स्तर तक के सभी अस्पतालों को अधिकार पत्र मुहैय्या कराने, स्वास्थ्य बीमा कराने, आयुर्वेद, होम्योपैथ, यूनानी जैसी पारंपरिक हेल्थ केयर पद्घतियों को वैज्ञानिक पुष्टीकरण के वास्ते 1.25 अरब रुपये की योजना का लक्ष्य रखा गया है, जो मेडिकल पर्यटन को बढ़ाने में कारगर साबित हो सकती है।
मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए एक अहम कदम है, छुट्टी से युक्त मेडिकल पैकेज और साथ ही सस्ती कीमत पर विश्र्व स्तरीय इलाज का इंतजाम। इनमें से कुछ अस्पताल जैसे इंद्रप्रस्थ अपोलो दिल्ली, अपोलो अस्पताल चेन्नई, हैदराबाद, अहमदाबाद, कोलकाता मुख्य हैं, जहां मेडिकल पर्यटन पैकेज की व्यवस्था है। अगर आप इन सुविधाओं से वंचित हैं तो दूसरी जगहों पर विलासिता वाले कमरों से लेकर कम खर्चीले धर्मशाला में ठहरने की व्यवस्था का भी देश के किसी भी राज्य में पूरा-पूरा इंतजाम है। आयुर्वेद विश्रामालय व स्पा में आयुर्वेद चिकित्सा क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं के विकास का गवाह रहा है। लेकिन धीरे-धीरे यह क्षेत्र अब आधुनिक स्टेट ऑफ आर्ट तकनीक से सजा-धजा, फलता-फूलता उद्योग बन चुका है। एक अनुमान है कि भारत में 75-80 फीसदी हेल्थ केयर सेवाएं और निवेश गैर- सरकारी के माध्यम से ही मुहैय्या करायी जाती हैं। इसके अलावा भारत विश्र्व के विशाल फार्मास्युटिकल उद्योगों में एक अहम स्थान रखता है। यह 180 से अधिक देशों में डग सुरक्षा व डग सुरक्षा निर्यात में पूरी तरह आत्मनिर्भर हो चुका है। बात चाहे आस्थ मज्जा प्रत्यारोपण या मस्तिष्क की शल्य चिकित्सा की हो, भारत में इस इलाज का कोई सानी नहीं है।
मेडिकल टूरिज्म को पहले पहल बढ़ावा दिया केरल राज्य ने। “लैंड ऑफ कोकोनट’ कहे जाने वाले इस राज्य को चिकित्सीय दृष्टि से सबसे बेहतर माना जाता है। यहां की आबोहवा और जड़ी-बूटियां ऐसी हैं, जो मरीजों के लिए रामबाण का काम करती हैं, जो किसी भी रोग से लड़ने की क्षमता रखती हैं। हिन्दुस्तान के दस राज्यों में इसे सबसे ऊपर रखा गया है। यहां आयुर्वेदिक हेल्थ रिजॉर्ट भी स्थापित किये गये हैं। यदि दिमाग शांत व तनावमुक्त रखना चाहते हैं और प्रकृति के करीब रहकर नैसर्गिक सुख उठाना चाहते हैं तो इससे बेहतर विकल्प भला दूसरा क्या हो सकता है। दूसरे नंबर पर गुजरात भी शामिल हो चुका है। हर साल यहां एक हजार से ज्यादा एनआरआई और विदेशी पर्यटक चिकित्सा लाभ के लिए आते हैं। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तरांचल, राजस्थान और उत्तर प्रदेश को भी मेडि सिटीज में शामिल किया जा चुका है। यहां तरह-तरह की चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही हैं।
– संतोष दूबे
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