महात्मा गांधी जी की 139 वीं जयंती के अवसर पर अहिंसा परमोधर्म के साथ-साथ धूम्रपान पर भी प्रतिबंध लगाने का कानून पारित हुआ, जो एक अच्छा कदम है। जिस तरह से प्रतिबंध पारित हुआ उसी तरह से केन्द्र को चाहिए कि देश के सभी राज्यों में इसे सख्ती से लागू किया जाए। जहॉं कहीं भी संभव हो, यथा सार्वजनिक या सरकारी कार्यालय, बस स्टैंड, सार्वजनिक शौचालय आदि स्थानों पर इस प्रतिबंध को सख्ती से लागू करें और जो पकड़े जाएं उन पर जुर्माना लगाकर सजा दी जाए। इससे धूम्रपान की निर्बाध आदतों में निःसंदेह कमी आएगी। इसे लागू करने में नर्मी बरतने से कानून का आम लोगों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। धूम्रपान रोकना मुश्किल है पर नामुमकिन नहीं। यह बात अलग है कि जो अधिकारी इसे अमल में लाने वाले हैं, शायद वे ही लोग धूम्रपान की आदत वाले हों। पहले उन्हेंे स्वयं इसे त्यागना होगा, तब कहीं जाकर धूम्रपान पर प्रतिबंधन कानून रफ्ता-रफ्ता अमल में आ पाएगा। वर्ना कई ऐसे कानून हैं जो किताबों में बंद पड़े हैं। जिसकी शायद कानून बनाने वालों को भी याद नहीं। धूम्रपान निषेध देश के लिए बड़ा ही महत्वपूर्ण विषय है। वैसे सभी को पता है कि सिगरेट-तंबाकू स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं फिर भी पढ़े-लिख लोग ही इसका अधिक सेवन करते हैं।
– अरविंद कुमार डी.आर्य (हुमनाबाद)
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