29 सितम्बर, 08 के मिलाप का संपादकीय “मोदी-फोबिया से ग्रस्त कांग्रेस’ सुचिन्तित, विश्र्लेषित सटीक एवं मूल समस्या की ओर इंगित करने वाला है। कांग्रेस को चुनाव पूर्व ऐसी सकारात्मक, कटु यथार्थ से परिपूर्ण आलोचनाओं का स्वागत करना चाहिए। ये उसकी सेहत के लिए आरोग्यवर्धिनी गुटिका तुल्य है। जिसकी ओर ध्यान देकर वह अपनी कमियों को सुधार सकती है।
कोई माने या ना माने, आज का राजनीतिक सत्य यही है कि श्री नरेन्द्र मोदी का कद राष्टीय परिप्रेक्ष्य में ऊँचे कद्दावर राजनेता का हो गया है जिसकी ओर राष्ट की करोड़ों निगाहें आश्र्वस्त होकर निहार रही हैं। कहीं न कहीं आडवाणी जी भी विचलित हैं इस स्थिति से। अतएव केन्द्र सरकार को मोदी पर सोच-समझकर टिप्पणी करनी चाहिए। श्री वीरप्पा मोइली अत्यंत धीर-गंभीर, सुलझे हुए नेता माने जाते हैं। पर उनकी यह टिप्पणी कि मोदी यदि दूसरे देश में होते तो अंतर्राष्टीय अदालत उन्हें फांसी पर लटका देती, नितांंत अशोभनीय एवं फूहड़ है।
उनके इसी बयान के चलते आजकल यह स्लोगन चल पड़ा है, “कांग्रेस के राज्य में अफजल को माफी और मोदी को फांसी।’ लगता है समूची कांग्रेस मोदी फोबिया से ग्रस्त है।
– भगवानदास जोपट (सिकन्दराबाद)
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