उस राजा को एक आँख नहीं थी। उसने अपना चित्र बनवाने के लिए चित्रकारों को आमंत्रित किया। साथ ही उसने यह घोषणा भी कि जो चित्रकार सबसे सुन्दर चित्र बनाएगा, उसे एक लाख रुपये का ईनाम दिया जाएगा।
प्रतियोगिता के लिए तीन सुन्दर चित्र चुने गये।
प्रथम चित्र में राजा की दोनों आँखें बतायी गयी थीं।
राजा ने कहा, “”चित्र बहुत आकर्षक है, किन्तु सत्य नहीं है।”
दूसरा चित्र राजा का वास्तविक चित्र था, जिसमें वह एक आँख से काना बताया गया था।
राजा ने कहा, “”इसमें सत्य है, किन्तु सुन्दरता नहीं है।”
उसने तीसरे चित्रकार का चित्र पसन्द कर लिया, जिसमें राजा को तीर चलाते हुए दिखाया गया था। जिसमें एक आंख स्वतः बन्द दिख रही थी।
राजा ने कहा, “”यह चित्र सत्य भी है, सुन्दर भी है।” उस चित्रकार को पुरस्कृत किया गया।
जीवन में सत्य और सुन्दर का समन्वय ही समस्याओं के समाधान का मार्ग है।
– दिनेश शर्मा
You must be logged in to post a comment Login