रेखा शास्त्री से साक्षात्कार

प्रकृति ने जो भी निर्माण किया है वह सब सार्थक है। हाथ की रेखाएँ मनुष्य के जीवन में सभी समस्याओं के समाधान में पूरी तरह से सहायक हैं बशर्ते रेखाओं की जानकारी पूरी तरह से हों। रेखाएँ अपने भीतर कितने रहस्य लिये हुए हैं यदि रेखा विशेषज्ञ उनके बारे में विस्तार से बात करें तो प्रश्र्न्नकर्ता को स्वाभाविक रूप से आश्र्चर्य होता है। वैसे एक समय था जब हस्त रेखाओं के बारे में भ्रामक प्रचार किया गया कि रेखाएँ तो गर्भ में शिशु की मुट्ठी बंद होने के दौरान बन जाती हैं। इनका भविष्य से कोई संबंध नहीं होता। यह भ्रामक प्रचार पाश्र्चात्य लोगों द्वारा किया गया था, लेकिन जब विदेशों में कीरो जैसे विद्वानों ने अपने अनुभव से विश्र्व को चकित कर दिया तो रेखा शास्त्र के प्रति लोगों में आस्था का संचार होने लगा। पौर्वात्य और पाश्र्चात्य लोग रेखा शास्त्र से संबंधित भ्रामक प्रचार से दूर होने लगे। यह बात भी बताना आवश्यक है कि “कीरो’ ने अपनी “लैंग्वेज ऑफ द हैण्ड’ और “पामिस्टी फॉर आल’ पुस्तकों में स्पष्ट लिखा था कि “राजस्थान के जोशी’ परिवार में रहकर उन्होंने “रेखा शास्त्र’ संबंधी ज्ञान प्राप्त किया।

जीवन से संबंधित सभी समस्याओं का समाधान या उनके बारे में मार्गदर्शन, अनुभवी विद्वानों से ही प्राप्त किया जा सकता है। जितनी भी भविष्य कथन की विधाएं हैं वे सभी, मैं ऐसा मानता हूँ, किसी यात्री को, यात्रा में पथ दिखाने के लिए प्रकाश स्तंभ का कार्य करती हैं। भविष्य दर्शन से जुड़ी सभी विधाएं मार्गदर्शन का कार्य करती हैं। यदि सही समय पर मार्ग दर्शन हासिल हो जाता है तो लाभ ही लाभ है। आजकल कुछ विज्ञापन ऐसे पढ़ने को मिलते हैं कि देवी-देवताओं की साधना के द्वारा प्राप्त दैवी शक्तियों की मदद से कथित विज्ञापन दाताओं द्वारा यह दावा किया जाता है कि वे सभी समस्याओं का 24 घंटे में समाधन करने में सक्षम हैं और निराश व्यक्ति का पूजा-पाठ के नाम पर ऐसे लोगों द्वारा शोषण किया जाता है। इन विज्ञापनों को पढ़ कर ऐसा लगता है कि वे सर्वशक्तिमान हैं जो कि बिल्कुल गलत है। हस्तरेखाओं से जुड़ी भविष्य दर्शन की अनेक विधियॉं हैं जैसे मात्र अंगूठे की छाप लेकर भविष्य दर्शन करना अथवा पूरे हाथ की छाप लेकर वर्ष, महीना और तारीखों तक का उल्लेख करना अथवा नाखूनों की आकृति को देख कर रोगों/समस्याओं का निदान करना संभव है। साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य, विवाह, संतान व जीवन संबंधी अन्य बातों के बारे में बताया जा सकता है। जिस व्यक्ति को, जिस विधा का गहन अध्ययन होता है, प्रश्र्न्नकर्ता को उतना ही मार्गदर्शन मिलता है।

भविष्य जानने के लिए मनुष्य जीवन की कौन सी अवस्था सबसे उचित है?

शास्त्रों में यह लिखा गया है कि जब तक हाथ की रेखाएँ परिपक्व न हों। लगभग 16 से 20 वर्ष की अवस्था के बीच हाथ की रेखाएं प्रायः परिपक्व होने लगती हैं। आज के दौर में उच्च शिक्षा का विशेष महत्व है। शिक्षा की अनेकों शाखाएँ पनपती जा रही हैं और करियर के नये-नये क्षेत्र खुलते जा रहे हैं ऐसे में सही शिक्षा क्षेत्र का चयन करने के लिए “हाथ की रेखाएँ और जन्मकुंडली सहायक होती हैं और करियर का निर्धारण करने से पूर्व हस्त रेखा विशेषज्ञ से परामर्श सहायक सिद्घ हो सकता है। वैसे जीवन के किसी भी महत्वपूर्ण मोड़ पर फैसला लेने से पूर्व रेखा शास्त्री से परामर्श लेना उचित होता है।

कृपया हाथ की रेखाओं और जन्म कुंडली का संबंध स्पष्ट करें।

जन्म कुंडली में जन्म का समय स्थान आदि सही होना आवश्यक है। ग्रहों की स्थिति, डिग्री, दृष्टि, मित्रता, शत्रुता, बल ये सभी यदि सही बनाया जाय तो प्रश्र्न्नकर्ता और उत्तरदाता को सफलता मिलती है।

हाथ की रेखाएं उँगुलियों की रेखाएँ, शंखचा के चिह्न, पर्वतों का दबा हुआ/उभरा हुआ रूप, ग्रहों की स्थिति जन्म कुंडली से मेल खाती हैं। यह कहा जा सकता है कि हाथ की रेखाएं और बनावट जन्म कुंडली का पूरक होती हैं।

पहले ज्योतिषि जन्म कुंडली बनाया करते थे जबकि आजकल कम्प्यूटर की मदद से भी जन्म कुंडली बनायी जाने लगी है। क्या दोनों ही सही हैं? यदि नहीं तो…

पहले जब कम्प्यूटर नहीं थे तो हर क्षेत्र में इस शास्त्र के अनुभवी विद्वान होते थे। वे जन्म कुंडलियॉं बना कर भविष्य का मार्गदर्शन करते थे लेकिन कम्प्यूटर युग ने इस क्षेत्र में एक ाांतिकारी योगदान तो किया है लेकिन सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि कम्प्यूटर की मदद से जन्म कुंडली बनाने वाले व्यक्ति इस शास्त्र से अनभिज्ञ होते हैं और कम्प्यूटर साफ्ट वेयर में फीड की गयी जानकारी (डाटा) के आधार पर ही “जन्म कुंडली’ बनाते हैं। कम्प्यूटर से बनाई गयी जन्म कुंडली में दशाओं का विवरण दिया जाता है वह ठीक है लेकिन भविष्य कथन की विद्या बिल्कुल रुटीन होती है और उनसे प्राप्त जानकारी सही नहीं होती। यह अच्छा होता यदि कम्प्यूटर से जन्म कुंडली बनाने वाला व्यक्ति स्वयं भी ज्योतिष शास्त्र का जानकार होता।

कुंडली बनाते समय स्टैण्डर्ड जानकारी के अतिरिक्त, अन्य सहायक जानकारी, जैसे जन्म के समय का वातावरण, मॉं द्वारा जन्म के समय किया गया भोजन, पिता की मौजूदगी, आदि बातें जानकर लग्न को शुद्घ बनाया जा सकता है जबकि यह सब कम्प्यूटर के लिए संभव नहीं हैं।

आजकल भविष्य दर्शन के क्षेत्र में अंक ज्योतिष और टैरोकार्ड प्रणाली का काफी प्रचलन है इनको प्रचलित ज्योतिष की तुलना में आप कहॉं पाएंगे?

अंक विज्ञान जिसमें जन्म की तारीख, नाम के अक्षरों से बनने वाले अंकों को लेकर विश्र्व प्रसिद्घ “कीरो’ ने अंक विज्ञान से आश्र्चर्यजनक परिणाम दिये हैं, क्योंकि अंक विज्ञान ज्योतिष विद्या का ही एक अंग है। हर अंक के ग्रह हैं और उसी के आधार पर अंक ज्योतिष सफल है। बात वहीं आ जाती है कि इस क्षेत्र के विशेषज्ञ का अनुभव कितना गहन है। जिस प्रकार एक अनुभवी डॉक्टर के अनुभव का लाभ मरीजों को मिलता है ठीक उसी प्रकार इस क्षेत्र में प्राप्त अनुभव का लाभ जिज्ञासुओं/प्रश्र्न्नकर्ताओं को मिलता है। ज्योतिष और मेडिकल साइंस का गहन संबंध है। आजकल तो मेडिकल एष्टोलॉजी बीमारी होने से पहले ही यह जानकारी दे देती है कि “प्रश्र्न्नकर्ता’ को किस उम्र में क्या तकलीफ होगी।

ताश के पत्तों का व अन्य तरीकों का टीवी पर प्रचार होता है लेकिन मेरी दृष्टि में यह ऊपर लिखे शास्त्रों से ज्यादा प्रभावशाली नहीं हैं।

पंडित जी इस क्षेत्र में आप कब से सक्रिय हैं।

मेरी आयु इस समय 81 वर्ष है। हमारे परिवार में ज्योतिष और आयुर्वेद गत 250 वर्षों से है। मुझे इस क्षेत्र में पारिवारिक संस्कारों के कारण 20 वर्ष की आयु से रुचि हो गयी थी। प्रपितामह, पितामह और पिता, जोकि इन शास्त्रों के विद्वान रहे, से मार्ग दर्शन मिला। लगन और रुचि के कारण मैंने अपना स्थान बनाया।

भारत के प्रमुख नगरों में सफलता पूर्वक कार्य किया। देश और विदेश की यात्राएँ कीं। यह कहा जा सकता है कि पचपन-साठ साल से मैं इस कार्य से संलग्न हूँ।

हैदराबाद में ही मैं लगातार 45 वर्षों से आ रहा हूँ। मेरे श्रद्घालुओं की संख्या सभी शहरों में पर्याप्त है। इस समय मेरे पास 40 ह़जार जन्म कुंडलियॉं और हाथ के प्रिंट्स हैं। जो रिकॉर्ड में सुरक्षित रहते हैं। मैं आने वाले सज्जन को उसका संदर्भ दे देता हूँ इससे वह किसी भी समय फोन के द्वारा भी मुझसे संपर्क कर सकता है।

 

परिचय

रेखाशास्त्री उर्फ पं. शिव कुमार शास्त्री महेन्द्रगढ़, हरियाणा से संबंध रखते हैं और उनका मानना है कि जीवन में घटने वाली घटनाएँ तीन प्रकार की होती हैं। अनिवार्य, अर्ध अनिवार्य और अनायास घटने वाली घटनाएं। कुंडली के अध्ययन से मनुष्य के जीवन में घटने वाली इन तीनों प्रकार की घटनाओं का अनुमान लगाया जा सकता है। अर्ध अनिवार्य और अनायास घटने वाली घटनाओं को, कुछ सावधानियां बरत कर, टाला जा सकता है, लेकिन होनी को टालना संभव नहीं है। उसका सिर्फ पूर्वानुमान किया जा सकता है। गुरुनानक देव जी के शबद का हवाला देकर वह कहते हैं “चिंता ताकि कीजिए जो अनहोनी होए… फिर भी मनुष्य वही बुद्घिमान है जो जीवन में सावधान रहे और यथासंभव सावधानियां बरत कर जीवन को सुखद और श्रेयस्कर बनाने का प्रयास करे और शेष ईश्र्वर पर छोड़ दे।

पंडित जी हैदराबाद में पिछले 48 सालों से लगातार आकर अपने श्रद्घालुओं का मार्गदर्शन सफलतापूर्वक करते आ रहे हैं।

 

– पं. शिव कुमार शास्त्री

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