“परिणीता’ के प्रदर्शन के साथ ही विद्या बालन ने बॉलीवुड में कदम रखा था और चर्चा का विषय बन गयी थी। उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। फिल्मों की सफलता या असफलता ने कभी भी उनके कॅरियर में रोड़े नहीं अटकाए। उन्हें अजीज मिर्जा निर्देशित रोमांटिक फिल्म “किस्मत कनेक्शन’ से बहोत ही ज्यादा आशाएं हैं।
आप किस्मत में कितना यकीन करती हैं?
मैं किस्मत में बहुत ही ज्यादा यकीन करती हूँ। मैं यह नहीं मानती कि कुंडली के मिलाने से तकदीर बदल जाती है। मेरा मानना है कि लोगों के मिलने से भी जीवन में बदलाव आता है। ़यदि एक इनसान आपसे मिलता है और वह आपके प्रति पूरी तरह से सकारात्मक रुख अपनाता है, तो आपकी जिंदगी में इससे बदलाव आ सकता है। इसे आप यूं कह सकते हैं “संगत का असर भी इनसान की जिंदगी में बदलाव लाता है।’ देखिए, मैं प्रदीप दा (प्रदीप सरकार) निर्देशित म्यूजिक वीडियो देख कर सोचती थी कि काश मुझे उनके साथ म्यूजिक वीडियो करने को मिले। उस वक्त मैं मॉडलिंग से जुड़ी हुई थी। मैंने उनके साथ एक म्यूजिक वीडियो में काम किया फिर मेरे दिमाग में आया कि यदि उनके निर्देशन में कोई फिल्म करने को मिले तो, फिर मैंने सोचा कि वह फिल्में बनाते ही नहीं हैं मगर पूरे चार साल बाद जब उन्होंने “परिणीता’ की योजना बनायी तो मुझे बुलाया और “परिणीता’ ने मेरी किस्मत बदल दी। तो किस्मत बहुत मायने रखती है। एक मशहूर अंग्रेजी लेखक ने लिखा है- “जब आप सच्चे दिल से कुछ चाहते हैं, तो संसार की पूरी ताकत उसे पूरा करवाने में जुट जाती है।’
अजीज मिर्जा निर्देशित फिल्म “किस्मत कनेक्शन’ के साथ कैसे जुड़ना संभव हुआ?
इसे भी किस्मत ही कहा जाएगा। फिल्म “चलते चलते’ के बाद अजीज अंकल ने छह वर्ष तक कोई फिल्म निर्देशित नहीं की। और “चलते चलते’ के प्रदर्शन से पहले मेरी फिल्म “परिणीता’ नहीं आयी थी।
लगभग छह वर्ष बाद जब अजीज अंकल ने फिल्म “किस्मत कनेक्शन’ की योजना बनायी, तो उन्होंने मेरे बिजनेस मैनेजर संजय को फोन करके मुझे मिलने के लिए बुलाया। उस वक्त तक फिल्म की पटकथा तैयार नहीं थी। मैं अजीज अंकल से मिली। मैंने उनसे कहा- “फिल्म की पटकथा पूरी होने के बाद यदि आपको लगे कि मेरे लायक किरदार नहीं हैं, तो भी आप मुझे याद कीजिएगा। मैं आपके साथ बतौर सहायक निर्देशक काम करना चाहूँगी। क्योंकि मैं आपके साथ काम करना चाहती हूँ।’ और सकारात्मक बात यह हुई कि मुझे ही इस फिल्म में अभिनय करने का मौका मिला।
फिल्म “किस्मत कनेक्शन’ किस प्रकार की फिल्म है?
जिन लोगों की आपस में नहीं बनती है, पर यदि किस्मत में उनके साथ रिश्ते बनना लिखा है, तो रिश्ते बनकर रहेंगे। यही बात इस फिल्म में कही गयी है। इससे अधिक क्या बता सकती हूँ? यह पूरी तरह से एक रोमांटिक कॉमेडी फिल्म है।
अपने किरदार को लेकर क्या कहेंगी?
मैंने इस फिल्म में कनाडा के टोरंटो शहर में रहने वाली एक साधारण लड़की प्रिया का किरदार निभाया है। यह एक चुलबुली लड़की है, जिसे जिंदगी से प्यार है उसका मकसद होता है कि जिससे भी वह मिले उसे प्यार बांटे।
शाहिद कपूर को लेकर क्या कहेंगी?
शाहिद कपूर एक श्रेष्ठ कलाकार हैं। दृश्य की भलाई के लिए जो ़जरूरी होता है, वही वे करते हैं। दूसरे कलाकार पर हावी होने की वे कोशिश नहीं करते। उनका व्यवहार बहुत दोस्ताना होता है। वे एक अऩुशासित कलाकार हैं।
लेकिन उनके साथ आपके रोमांस की खबरें भी…?
पूरी तरह से गलत बातें हैं। इस फिल्म के लिए हमने लगातार सात दिनों तक टोरंटों शहर में रहते हुए शूटिंग की। वहॉं से वापस लौटते ही इस तरह की खबरें मुझे छपी हुई दिखायी दीं। पहले इस ढंग की खबरें पढ़ कर मुझे गुस्सा आता था, बहुत अपसेट हो जाती थी। पर अब तो हंसी आती है कि लोग किस तरह से कल्पना के घोड़े दौड़ाते हैं? यदि दो कलाकारों के बीच अच्छी जमती है, तो उसका यह अर्थ नहीं कि उनके बीच रोमांस चल रहा है। देखिए, मैं भी सिंगल हूँ और शाहिद कपूर भी सिंगल हैं। इसलिए यदि इस तरह की कोई बात होती, तो मैं छिपाती नहीं।
अब फिल्म “किस्मत कनेक्शन’ के प्रदर्शन को लेकर दबाव बढ़ रहा होगा?
नहीं! मेरे लिए हर दिन और हर फिल्म अलग होती है। फिल्म के प्रदर्शन का दिन नजदीक आ रहा हो तो मैं सोचती नहीं हूँ। मैंने फिल्म “सलाम-ए-इश्क’ से यह बात सीख ली। फिल्म “सलाम-ए-इश्क’ में 12 बड़े कलाकार थे। बहुत ही अच्छी कहानी थी। हर कलाकार को इस फिल्म की सफलता को लेकर पूरी उम्मीदें थीं। लेकिन कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ हुई, जिसकी वजह से फिल्म नहीं चली। हम आज तक यह बात नहीं समझ पाए कि फिल्म “सलाम-ए-इश्क’ असफल क्यों हुई?
फिल्म की शूटिंग के दौरान की कोई घटना जो कभी न भुलाई जा सकती हो?
मैं इस फिल्म के लिए टोरंटों में शूटिंग कर रही थी। जिस दिन रोमांटिक गीत “बा खुदा तुम ही हो’ के फिल्मांकन का पहला दिन था, उसी दिन मुंबई में मेरे ताऊजी का देहांत हो गया। चाह कर भी मैं मुंबई नहीं आ सकी।
अजीज अंकल ने कहा कि मैं दो दिन के लिए मुंबई चली जाऊं, पर मैंने सोचा कि इसके बाद शूटिंग के लिए लोकेशन नहीं मिलेगी। दूसरी तरफ मेरे पापा ने भी फोन पर कहा कि “तुम्हारे आने से यहॉं पर कुछ बदलेगा नहीं, इसलिए काम पर ध्यान दो।’ पापा की बात ने मुझे एक साहस दिया। इस बीच मेरी मॉं भी टोरंटों में ही मेरे साथ थी। यूनिट के सभी सदस्य मुझे हंसाने और मेरी स्पिरिट को बढ़ाने की कोशिश करते रहे।
शाहरुख की जगह शाहिद
अजीज मिर्जा पॉंच साल के लंबे गैप के बाद एक बार फिर से नई फिल्म “किस्मत कनेक्शन’ के साथ मैदान में हैं। गौरतलब है कि उनकी आखिरी फिल्म 2003 में शाहरुख खान और रानी मुखर्जी की “चलते-चलते’ आई थी। खास बात यह है कि अजीज की यह पहली ऐसी फिल्म है, जिसमें शाहरुख खान मौजूद नहीं हैं। अजीज के नए हीरो शाहिद कपूर और उनके अपोजिट विद्या बालन हैं। ऐसे में शाहरुख और शाहिद में तुलना होना बिल्कुल जायज है। इस बार आपके फेवरिट हीरो शाहरुख खान फिल्म में नहीं हैं? इसके जवाब में अजीज कहते हैं, “”यह बिल्कुल सही है कि शाहरुख मेरे पसंदीदा हीरो हैं। मैंने पहले “किस्मत कनेक्शन’ की सिप्ट शाहरुख और जूही चावला को सुनाई थी। सिप्ट सुनकर जूही ने कहा कि अगर शाहरुख की उम्र 15-20 साल कम होती, तो यह फिल्म उनके लिए बिल्कुल परफेक्ट रहती। इसलिए आपको उनकी जगह किसी यंग एक्टर को लेना चाहिए।” आपने शाहरुख की जगह शाहिद को ही क्यों सिलेक्ट किया? तो अजीज ने कहा, “”मेरी नजर में शाहरुख और शाहिद दोनों हार्ड वर्किन्ग हैं और अच्छे एक्टर हैं। उनका एनर्जी लेवल काफी हाई है। उनसे मैं बिना किसी झिझक के रीटेक के लिए कह सकता हूँ। अगर दोनों में कोई फर्क है, तो सिर्फ यह कि शाहरुख काफी लंबी पारी खेल चुके हैं और शाहिद ने अभी करियर स्टार्ट किया है।
रामू हैटिक की तैयारी में “कॉन्टेक्ट’
अंडर वर्ल्ड पर आधारित “सत्या’ और “कंपनी’ के बाद “कॉन्टेक्ट’ के रूप में रामू अपनी हैटिक लगाने जा रहे हैं। 1998 में प्रदर्शित “सत्या’ में रामू ने अंडरवर्ल्ड की भीतरी जानकारी दर्शकों के सामने प्रस्तुत की थी, तो 2002 में प्रदर्शित “कंपनी’ अंडरवर्ल्ड की कार्यप्रणाली को लेकर बनाई गई थी। अब “कॉन्टेक्ट’ में रामू मात्र अंडर वर्ल्ड को ही लेकर नहीं चलते बल्कि उसका गठजोड़ आतंकवाद से भी करवा दिया गया है, जो एक निहायत ही खतरनाक स्थिति है। फिल्म में कथ्य पर अधिक बल दिया गया है, जबकि स्टार-कास्ट एकदम नई है। कोई जाना-माना कलाकार फिल्म में दिखाई नहीं देगा।
फिल्म के मुख्य किरदारों में से एक अमन (आधविक महाजन) जिंदगी में एक लक्ष्य लेकर चलता है और उसी के लिये अपनी जान भी दे देता है। तत्पश्र्चात, अहमद हुसैन (पुरंदर प्रसाद- अब तक छप्पन का दुबई वाला डॉन) की इमेज के एकदम विपरीत इस फिल्म में उसे मुंबई पुलिस के एसीपी की भूमिका दी गई है। इस पुलिस चीफ़ के चेहरे पर कभी भी किसी भी तरह के भाव दृष्टिगोचर नहीं होते। उसके पत्थर जैसे सख्त चेहरे के पीछे एक शातिर दिमाग छिपा है। वह किसी पर भी विश्र्वास नहीं करता। यहॉं तक कि उसके दाहिने हाथ को भी पता नहीं होता कि उसका बायां हाथ क्या कर रहा है? आर डी (सुमीत निझावन) एक खतरनाक गैंगस्टर है। वही अंडरवर्ल्ड और आतंकवाद के बीच होने वाले नापाक करार के लिये जिम्मेदार है। यह गैंगस्टर दिल से एकदम बच्चा है और यही बात उसे अत्यधिक खतरनाक बनाती है। आर डी के इस मुकाम तक पहुँचने के पीछे अर्थात सफल गैंगस्टर बनने के पीछे गूंगा (उपेंद्र लिम्या) की प्रमुख भूमिका रही है। अब गूंगा का बसेरा पानी में एक केलिपोत पर है। वहॉं से वह अपने पोत तक हर आने-जाने वाले पर कड़ी ऩजर रखता है। वह एक तरह से गुमनाम और देश निकाले की जिंदगी जी रहा है। उसका एक ही मकसद है, आर डी का कत्ल कर डॉन बनना। आर डी की बहन इया (साक्षी गुलाटी) किसी को अपना दिल दे बैठती है। यहॉं स्वाल यह है कि वह जिससे प्यार करती है वह वाकई में कोई आदमी है या के मात्र उसका नाम। सुल्तान (जाकिर हुसैन) की जिंदगी का मकसद लोगों का कत्ल करना है तो मुंबई के टॉप काउंटर कॉप दारा (किशोर कदम) को लोगों का खून बहाने में ही खुशी मिलती है।
रामू की इस फिल्म में बच्चों की नर्सरी राइम “टिं्वकल-टिं्वकल’ को शॉकिंग अंदाज में पेश किया गया है। यह शॉक लगने की ही बात है कि एक बच्चा इस कविता की आखिरी लाइन “ऍप अबव दी वर्ल्ड सो हाई’ के बाद एक और पंक्ति जोड़ कर गाता है- एक बम्ब लगाना मांगता है भाई।
अब देखना यह है कि रामू की यह हैटिक कितनी जोरदार लगती है..?
– विद्या बालन
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