चौंकिए नहीं! कांग्रेस आलाकमान का पन्द्रहवीं लोकसभा चुनाव में 543 सीट में से 250 सीट हासिल करने का सुनहरा गणित है। कांग्रेस के रण कक्ष के अनुसार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की स्थिति में अभूतपूर्व सुधार होना निश्र्चित है।
यही कारण है कि पार्टी अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी कम्युनिस्ट पार्टियों के महंगाई, अमेरिका से परमाणु संधि के विरोध को नजरअंदाज करते हुए चुनाव के लिए खम ठोंककर खड़ी हुई हैं। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के चुनाव प्रबंधकों ने श्रीमती गांधी को विश्र्वास दिलाया है कि मात्र 30 दिन के भीतर लोकसभा चुनाव का धुआंधार प्रचार सम्पन्न किया जा सकता है। श्रीमती सोनिया गांधी और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महामंत्री राहुल गांधी के रोड शो की रूपरेखा तैयार है। जैसे श्रीमती सोनिया गांधी, राहुल के रोड शो देश के 67 करोड़ मतदाताओं पर काला जादू कर देंगे।
इसके विपरीत पार्टी चुनाव प्रबंधकों का कहना है, “चौदहवीं लोकसभा के वर्तमान सांसदों की 145 की संख्या में किसी भी प्रकार की कमी नहीं हो सकती है।’ यानी कांग्रेस के लोकसभा चुनाव में 250 विजय के मिशन में न्यूनतम 145 सीट का लक्ष्य बताया जा रहा है। पार्टी ने चुनावी रणकक्ष की कमान नीति समन्वय िायान्वयन प्रकोष्ठ के अध्यक्ष एम. वीरप्पा मोइली को सौंपकर काम शुरू किया है। 99 साउथ एवेन्यू में एक बार फिर चुनावी रणनीतियां तैयार की जाने लगी हैं। यह वही कक्ष है जहां सन् 2004 में चुनावी रणनीति बनाई गई थी। अतः इस फ्लैट को शुभ माना जा रहा है। कभी इसकी कमान सलमान खुर्शीद के हाथ में थी। पार्टी ने लोकसभा चुनाव को ध्यान में रख कर प्रचार समिति का कोर-सघन समूह गठित किया है। कांग्रेस सघन प्रचार समूह में राहुल गांधी, बौद्घिक राजा विश्र्वजीत पृथ्वीजीत सिंह आदि हैं। लेकिन कांग्रेस का संगठनात्मक कैडर और प्रचार तंत्र चुनावी महाभारत के लिए तैयार नहीं है। अभी भी कुछ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों की नियुक्ति करनी है। चुनाव के बारे में रक्षामंत्री एके एंटोनी की रपट भी उत्साहजनक नहीं है।
श्रीमती सोनिया गांधी-राहुल गांधी के सामने लोकसभा चुनावी जीत की चकाचौंध करने वाली तस्वीर पेश की गई है। कांग्रेस शासित आंध्र प्रदेश, असम, गोवा, पांडिचेरी, हरियाणा, दिल्ली में चुनाव में पार्टी की स्थिति अपेक्षाकृत ठीक होने का दावा किया जा रहा है। इनमें कुल 76 लोकसभा सीटें हैं। कांग्रेस गठबंधन वाली सरकारों के राज्यों में-महाराष्ट, जम्मू-कश्मीर, झारखंड में भी स्थिति अच्छी कही जा रही है। इनकी कुल लोकसभा सीट 68 है। तमिलनाडु में कांग्रेस पट्ठाली मक्कल काछी, अभिनेता विजयकांत का हाथ पकड़कर कमाल करना चाह रही है। उस स्थिति में कांग्रेस द्रविड़ मुनेत्र कषगम के एम. करुणानिधि को तलाक दे सकती है। श्रीमती सोनिया को केरल, राजस्थान, मध्यप्रदेश में भी सबसे अधिक सीट मिलने का अतिरंजित दावा किया जा रहा है।
पार्टी आलाकमान लोकसभा चुनावी गणित में यह भूल गया कि वाम मोर्चे की केरल, पश्र्चिम बंगाल, त्रिपुरा में सरकारें हैं। वामो असम, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखंड में चुनाव संतुलन बनाए हैं। प्रमुख प्रतिपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी की कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश में अपने बलबूते पर सरकार है। भाजपा की गठबंधन सरकार बिहार और पंजाब में है, उड़ीसा में भाजपा की सहयोगी पार्टी बीजू जनता दल की सरकार है। उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की सरकार है। इस प्रकार समूचे भारतवर्ष के नक्शे में कांग्रेस की प्रादेशीय सरकारें भाजपा से भी कम हैं। लोकसभा की 120 सीट वाले बिहार, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का नामोनिशान नहीं है। लोकसभा की 87 सीट वाले पश्र्चिम बंगाल, तमिलनाडु में भी कांग्रेस 30 से 40 वर्षों से सत्ता से बाहर है। लोकसभा की 48 सीट वाले महाराष्ट में कांग्रेस शरद पवार की राष्टवादी कांग्रेस पार्टी की बैसाखी पर टिकी है। कर्नाटक में कांग्रेस को अस्तित्व बचाने लाले पड़े हैं। एचडी देवगौड़ा जनता दल को सशक्त कर आने वाली केन्द्रीय सरकार में भागीदारी की योजना बना रहे हैं। इस परिदृश्य में कांग्रेस 350 लोकसभा सीटों पर अपना अस्तित्व खो चुकी है। सवाल है, केवल 200 सीट पर शक्तिशाली होकर कांग्रेस 250 सीट कैसे ला सकती है?
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को कांग्रेस से औपचारिक समझौता करते ही 18.5 प्रतिशत मुसलमान वोट बैंक से हाथ धोना पड़ेगा। चुनांचे सपा अधरझूल में है। लोकसभा चुनाव का मुख्य विषयवस्तु महंगाई, बेरोजगारी, विशेष आर्थिक क्षेत्र में किसानों के साथ लूट, भ्रष्टाचार, अमेरिका से परमाणु संधि, सरकारी उद्योगों की बिाी, छोटे काम-धंधों की तबाही, शेयर का गोरखधंधा रहेगा। देश के कुल मतदाताओं में 20 करोड़ की शक्तिशाली मध्य वर्ग की कमर महंगाई से टूट चुकी है। यह मध्य वर्ग अमेरिका से परमाणु संधि का भी विरोध कर रहा है। देश में 18-36 वर्षीय 36 करोड़ युवा वोट बैंक बेरोजगारी, अर्द्घबेरोजगारी से त्राहि-त्राहि कर रहा है। युवा वोट बैंक कांग्रेस के लिए महाकाल बना है। पॉंच वर्षों में 1.25 करोड़ लघु-मध्यम-कुटीर उद्योग आयात की आंधी में बंद हुए हैं। ये सभी कांग्रेस को ही हानि पहुँचायेंगे। लोकसभा चुनाव में केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, सरकारी उद्यमों, बैंक कर्मियों का 9 करोड़ वोट बैंक महंगाई, महंगी उच्च शिक्षा, आश्रितों की बेरोजगारी से तीन मोर्चों पर लड़ रहा है। कांग्रेसनीत गठबंधन सरकार ने अंधाधुंध 404 सेज को स्वीकृति देकर 1.25 करोड़ एकड़ खेतिहर जमीन को घेरे में ले लिया है। देशभर में किसान सेज के विरुद्घ आन्दोलन कर रहे हैं। किसान भुखमरी के कारण आंध्र प्रदेश, महाराष्ट, कर्नाटक सरीखे विकसित प्रदेशों में लगातार आत्महत्यायें कर रहे हैं। शेयर के सांड के दम तोड़ने से उच्च-मध्य वर्ग कांग्रेस से वैसे ही कुपित है। यह अलग बात है कि देश का 9 करोड़ मुस्लिम वोट-बैंक अमेरिका के मसले पर कांग्रेस, राष्टीय जनता दल, लोक जनशक्ति पार्टी, सपा को करारा सबक सिखाने के लिए उतारू है।
इस विश्र्लेषण के अनुसार 15वीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए मिशन 250 के स्थान पर वर्तमान 145 सीट भी बरकरार रखना असम्भव लगता है। श्रीमती सोनिया गांधी को समझना चाहिए कि पार्टी का परम्परागत वोट बैंक-किसान, वनवासी, दलित, मुस्लिम, मध्यमवर्ग खिसकने के बाद लोकसभा की सौ सीटों पर भी विजय प्राप्त करना आसमान से तारे तोड़ने के समान है। पर कांग्रेस चुनाव प्रबंधक हैं कि पार्टी की विजय का अतिरंजित दावा अभी से पेश किए जा रहे हैं।
– राम शास्त्री
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