सहारा वन पर मिला मौका

सहारा वन पर प्रसारित होने वाले लोकप्रिय धारावाहिक “वो रहने वाली महलों की’ से छोटे पर्दे पर आने वाली करुणा पांडेय का दूसरा धारावाहिक था “प्यार के दो नाम…’। इसके बाद उसका तीसरा धारावाहिक “मेरा ससुराल’ भी सहारा वन पर ही प्रसारित किया जा रहा है।

सहारा वन पर प्रसारित अपने शुरूआती धारावाहिकों में काम करना कैसा लगा?

मुझे खशी है कि सहारा वन पर प्रसारित होने वाले ये धारावाहिक दर्शकों को पसंद आये और इसी माध्यम से मेरी भी पहचान बन गई।

मेरा ससुराल धारावाहिक में अपने किरदार के बारे में बताइये।

इसमें मैं अमृत नामक पाकिस्तानी लड़की की भूमिका निभा रही हूं, जो कैप्टन ओमी के अपोजिट है। देखा जाये तो, इधर किसी भी धारावाहिक में पाकिस्तानी किरदार दिखाई नहीं पड़ रहा है। पाकिस्तान से जुड़ा होने के साथ-साथ इस किरदार में कई शेड्स हैं। अतः यह भूमिका किसी चुनौती से कम नहीं है।

अभिनय की दुनिया में कैसे आ गईं?

अभिनय का चस्का तो खैर बचपन से ही था। स्कूल और कॉलेज के समय भी कार्याम में भाग लेती रहती थी, जिससे मेरा अभिनय निखरा। आगे चलकर थियेटर से जुड़ गई, जहॉं मुझे काफी कुछ सीखने को मिला। हॉं, पर्दे पर अभिनय करने के बारे में कभी नहीं सोचा था। थियेटर से ही “वो रहने वाली महलों की’ में काम करने का मौका मिला।

छोटे पर्दे पर अब तक की अभिनय यात्रा और कामयाबी के बारे में क्या कहना चाहेंगी?

इसके पीछे मेरी मेहनत और मेरे अभिभावकों का आशीर्वाद है। मेहनत तो खैर सभी लोग करते हैं, लेकिन कामयाबी सभी को नहीं मिलती। खुशनसीब हूँ मैं कि मुझे अपनी मेहनत का फल मिला तथा अधिक संघर्ष भी नहीं करना पड़ा।

बड़े पर्दे पर किस्मत आजमाना चाहेंगी?

मुझे तो अभिनय की दुनिया में बढ़िया काम करने से मतलब है, फिर चाहे बड़ा पर्दा हो या छोटा। हॉं, सिर्फ शो पीस बनना या मात्र हीरो के साथ नाच-गाने तक सीमित रहना मुझे मंजूर नहीं। सार्थक और चुनौतीपूर्ण भूमिकाएँ मिलेंगी तो जरूर करूंगी। वैसे भी मैं एक समय में एक ही काम करना पसंद करती हूं। सीरियल भी मेरा एक ही चल रहा है। अन्य प्रस्तावों के बारे में मैंने अभी कुछ सोचा नहीं है।

आज भी आप थियेटर करती हैं?

जी हां, थियेटर मेरा पहला प्यार है। थियेटर की बदौलत ही मैंने यह मुकाम हासिल किया है। इसे मैं कभी नहीं छोड़ सकती। नाटक “गोलमाल प्यार का’ के कई शो कर चुकी हूं। इसमें मेरे साथ मनोज जोशी और राजपाल यादव जैसे कलाकारों ने काम किया है। हॉं, छोटे पर्दे से जुड़ने के पश्र्चात समय थोड़ा कम मिलता है, किंतु थोड़ा-बहुत समय निकाल ही लेती हूं।

 

– करुणा पांडेय

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