मोटे, या फिर कहें अत्यधिक मोटापे के शिकार पुरुषों एवं महिलाओं को समाज में शारीरिक, भावनात्मक एवं मानसिक परेशानियों से तो गुजरना पड़ता ही है, साथ ही इससे उनका सेक्स जीवन भी प्रभावित होता है। वैवाहिक जीवन की सफ़लता और यौनतुष्टि के बीच गहरा रिश्ता है। हाल ही में किये गये एक सर्वेक्षण के अनुसार- भारत में तलाक के मामलों में से 50 प्रतिशत के पीछे यौनतुष्टि का अभाव मुख्य कारण रहता है। यौन संबंध विफल हो जाने या पूर्णरूपेण संतुष्टि ना होने के पीछे कार्यरत मुख्य कारणों में किसी एक साथी का मोटापा भी एक कारण हो सकता है।
यौन िाया एवं आनंद में मोटापा तीन स्तरों पर बाधक रहता है- शारीरिक, भावनात्मक तथा मानसिक। शारीरिक तौर पर देखा जाये तो मोटे या थुलथुल शरीर के प्रति मन में आकर्षण उत्पन्न नहीं होता, जिससे कामवासना या कामेच्छा भी जागृत नहीं होती। आलसी, बेडौल और हद से ज्यादा मोटे व्यक्ति को अच्छे और हंसमुख व्यवहार के बावजूद लोग पसंद नहीं करते। इस पर मोटे व्यक्ति तन्हा रह जाते हैं और उनमें अपने अनाकर्षक और बेडौल शरीर को लेकर शर्मिंदगी और हीन भावना घर कर जाती है। इसी अहसास के चलते और अपने अनाकर्षक शरीर के कारण, वे अपने साथी की कामेच्छा जगाने में सफल नहीं हो पाते तथा ऐसी भावनाओं के कारण वे स्वयं भी कामोत्तेजित नहीं हो पाते। ऐसे में उनके साथी के लिए सेक्स लाइफ एक भयानक अनुभव और परेशानी का सबब बन कर रह जाती है।
इसके अतिरिक्त मोटापा यौन िाया के दौरान विभिन्न प्रकार की पीड़ाओं- कमर दर्द, जोड़ों का दर्द तथा कम़जोरी इत्यादि- के रूप में भी बाधक बनता है। मोटे व्यक्ति की गतिविधियॉं और िायाकलाप भी धीमे रहते हैं तथा वह यौनिाया के दौरान शीघ्र थकान महसूस करने लगता है। अगर पुरुष और महिला दोनों ही मोटापे का शिकार हों तो वे सेक्स का पूर्ण आनंद उठाने से वंचित रहते हैं। विशेष तौर पर अत्यधिक मोटे पुरुष टेस्टोस्टेरोन की कमी के चलते सहवास के दौरान विफल रह जाते हैं। इतना ही नहीं, हद से ज्यादा मोटे पुरुषों में नारीयोचित प्रणाली सिाय हो जाती है। उनमें वसायुक्त उत्तकों के हार्मोंस महिलाओं में पाये जाने वाले हार्मोन एस्टोजेन में परिवर्तित हो जाते हैं। ऐसे पुरुषों में कामेच्छा में कमी रहना लाजमी है।
मोटे पुरुषों की परेशानी मोटी महिलाओं की परेशानी से नितांत भिन्न होती है। थुलथुल महिलाएँ अपने शरीर की बेडौलता से उत्पन्न शर्मिंदगी और हीन भावना के चलते बेशक यौन िाया के समय पूरा आनंद नहीं उठा पातीं या फिर इसी अहसास के चलते उनमें कामोत्तेजना भी मुश्किल से होती है, फिर भी वे यौन िाया में सहयोग करती हैं, जबकि मोटे पुरुषों में चाहे शरीर की बेडौलता को लेकर शर्मिंदगी नहीं होती किंतु मोटापा उनकी कामोत्तेजना के आड़े आता है और स्खलन भी शीघ्र होता है- कहना है एक सेक्स क्लिनिक के डायरेक्टर तथा साइकेटिक यूनिट के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. यिझाक बेन जिऑन का।
इसके अतिरिक्त मोटे लोगों में उच्च रक्तचाप, मधुमेह, खून में टिग्लीसेराड्स की मात्रा अधिक होना, अच्छे कोलेस्टोल की मात्रा कम तथा खराब कोलेस्टोल की मात्रा अधिक होना, सांस फूलना तथा मादा हार्मोंस की अधिकता के चलते रक्त-शिराएँ अवरुद्घ हो जाना इत्यादि कामोत्तेजना और यौन आनंद के दुश्मन साबित होते हैं। इसका प्रभाव उनके परस्पर रिश्ते पर पड़ना स्वाभाविक ही है। वेट कंटोल विशेषज्ञ प्रोफेसर एलेक्जेंडर पोलास्की कहते हैं कि कामोत्तेजना और कामेच्छा में कमी के चलते मोटे व्यक्तियों को भावनात्मक स्तर पर यह अहसास भी सताता रहता है कि उनका साथी पूर्ण यौन आनंद नहीं उठा पा रहा है, जिससे उनमें शर्मिंदगी घर कर जाती है।
मोटे पुरुष और महिलाओं में कामेच्छा या कामवासना इसलिए भी कम होती है क्यूँकि उन्हें मनपसंद भोजन करने पर ही संतुष्टि हो जाती है। इस संतुष्टि और गरिष्ठ भोजन की अधिकता से उत्पन्न आलस्य और सुस्ती का प्रभाव भी कामोत्तेजना पर पड़ता है।
मोटापा ऐसा श्राप है जिसका असर व्यक्ति के जीवन के सभी पहलुओं पर पड़ता है। मोटापे से उत्पन्न तरह-तरह की व्याधियॉं उसे शारीरिक स्तर पर बीमार बनाती हैं तो बैडोल शरीर का भद्दापन सामाजिक शर्मिंदगी का कारण बनता है। इन सबसे बढ़ कर है- व्यक्ति की सेक्स लाइफ पर पड़ने वाला प्रभाव, जो उसके जीवन को नीरस एवं बेरंग बना देता है और वह नितांत अकेला पड़ जाता है। अतः मोटापे से निजात पाने के लिए सभी तरह के प्रयास करने चाहिए। चिकित्सक से सलाह लें, व्यायाम करें, योगा करें, संतुलित और समय पर भोजन करें इत्यादि।
इस सबके बावजूद मोटे व्यक्तियों को पूरी तरह से नकारना भी ठीक नहीं है। देखा जाये तो मोटे व्यक्ति बेहद अच्छे प्रेमी सिद्घ होते हैं, क्यूंकि वे अपनी इस शारीरिक अक्षमता की पूर्ति अन्य तरीकों से साथी को खुश करके करते हैं और उसकी खुशी और संतुष्टि का पूर्णरूपेण ध्यान रखते हैं। इसके अतिरिक्त मोटे व्यक्ति को यदि स्वयं अपनी शारीरिक बेडौलता से कोई परेशानी नहीं है और वह स्वयं को चुस्त-दुरुस्त और फिट समझता है तो यौनिाया के दौरान भी उसे किसी प्रकार की परेशानी नहीं आती। अगर स्थिति इसके विपरीत भी है, तो ़जरूरत है अपने साथी और उसकी आवश्यकताओं को समझकर उसका साथ देने की, जिससे वह जीवन के इस अभिशाप से मुक्त हो सके।
प्रस्तुति-डॉ. नरेश बंसल
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