रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया द्वारा रैपो रेट बढ़ाने के बाद बैंकों ने अपनी सावधि जमा पर ब्याज की दर बढ़ाने के निर्णय लेने शुरू कर दिये हैं, परन्तु सावधि जमा पर अधिक ब्याज के बावजूद पीपीएफ अभी भी लोगों की बचत को सुरक्षित रखने व ज्यादा ब्याज दिलवाने के लिए आकर्षक समझा जा रहा है। ओरिएण्टल बैंक ऑफ कॉमर्स ने “आशा किरण’ योजना में 400 दिन की सावधि जमा पर वरिष्ठ नागरिकों के लिए 9.75 प्रतिशत तथा अन्य के लिए 9.25 प्रतिशत ब्याज दर निर्धारित की है। निजी क्षेत्र के कुछ बैंकों ने भी ब्याज दरों में 0.50 प्रतिशत की वृद्घि की है तथा ब्याज दरों में संशोधन करके एक से डेढ़ वर्ष की सावधि जमा पर 10 प्रतिशत तक ब्याज दिया जा रहा है, जबकि अन्य को 9.50 प्रतिशत की दर पर ब्याज मिलेगा।
देश के सबसे बड़े बैंक “स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया’ ने भी एक जून से 5 से 10 वर्ष की सावधि जमा पर 9 प्रतिशत ब्याज कर दिया है तथा वरिष्ठ नागरिकों को 0.5 प्रतिशत ब्याज अधिक देने का निर्णय लिया है। बैंक ऑफ इण्डिया ने भी सावधि जमा पर 0.5 प्रतिशत ब्याज दर बढ़ाई है। एक वर्ष से अधिक व दो वर्ष से कम की सावधि जमा पर 9.15 प्रतिशत ब्याज दिया जाएगा। दो वर्ष से लेकर तीन वर्ष की अवधि के लिए जमा पर 9.25 प्रतिशत ब्याज देने का निर्णय लिया गया है।
बैंकों में सावधि जमा पर मिलने वाला ब्याज आयकर के योग्य होता है तथा वह आयकरदाता की आय में जुड़ जाता है, उस ब्याज पर आयकर चुकाना पड़ता है। पीपीएफ खाते में 70,000 रुपये प्रतिवर्ष रकम जमा कर सकते हैं तथा उस पर 8 प्रतिशत का चावृद्घि ब्याज मिलता है, जिसकी तुलना में जमाकर्ता को डाकघर व बैंक में जमा पर अधिक ब्याज मिलता है, परन्तु उस ब्याज पर आयकर देने से कुल आय पीपीएफ की आय से कम हो जाती है तथा आयकर की धारा 80-सी से आयकर में मिलने वाली कटौती अलग लाभ देती है। पीपीएफ की जमा पर मिलने वाला ब्याज पूर्ण रूप से आयकर से मुक्त होता है, जिससे अभी भी “सार्वजनिक प्रॉवीडेण्ट फण्ड’ निवेशकों के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। पीपीएफ का खाता कभी भी खुलवाना लाभदायक होता है। सार्वजनिक प्रॉवीडेण्ट फण्ड अधिनियम 1968 के अंतर्गत सार्वजनिक प्रॉवीडेण्ट फण्ड स्थापित हुआ। सार्वजनिक प्रॉवीडेण्ट फण्ड के खाते को कोई भी व्यक्ति, वेतन भोगी व गैर-वेतनभोगी डाकघर अथवा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया व इसके सहयोगी बैंकों व अन्य कुछ राष्टीयकृत बैंकों में भी खुलवा सकता है। वेतन भोगी अन्य प्रॉवीडेण्ट फण्ड का सदस्य होते हुए भी इस फण्ड का सदस्य हो सकता है। सार्वजनिक प्रॉवीडेण्ट फण्ड में एक वर्ष में कम से कम 500 रुपये व अधिकतम 70,000 रुपये की रकम जमा की जा सकती है। यह रकम एकमुश्त अथवा मासिक रूप में भी जमा की जा सकती है। जमा की गई रकम 5 रुपये की गुणा में होनी चाहिए। सार्वजनिक प्रॉवीडेण्ट फण्ड की रकम 15 वर्ष के उपरान्त बैंक से निकाली जा सकती है। यदि जमाकर्ता चाहे तो उसे इस अवधि को 5 वर्ष के उपरान्त आंशिक आहरण की सुविधा भी दी जाती है।
सार्वजनिक प्रॉवीडेण्ट फण्ड में प्रतिवर्ष जमा रकम पर आयकर की धारा 80-सी के अंतर्गत कटौती मिलती है। सार्वजनिक प्रॉवीडेण्ट फण्ड खाते की परिपक्वता पर मिलने वाली सम्पूर्ण धनराशि आयकर से मुक्त होती है। करदाता अपने, अपनी पत्नी, अपने बच्चों के नाम एक से अधिक खाते भी खोल सकता है। परन्तु उसकी आयकर धारा 80-सी में मिलने वाली कटौती में 70,000 रुपये तक की ही रकम शामिल होगी। अतः जिन लोगों की बचत 70,000 रुपये वार्षिक से कम होती है, उनके लिए बचत को सार्वजनिक प्रॉवीडेण्ट फण्ड में जमा करना लाभदायक होता है, परन्तु जिन लोगों की बचत 70,000 रुपये वार्षिक से अधिक होती है तो फिर वे 70,000 रुपये तक सार्वजनिक प्रॉवीडेण्ट फण्ड में जमा करके इसका लाभ उठा सकते हैं व बाकी रकम को सावधि जमा खाते में रख सकते हैं। ये लोग सार्वजनिक प्रॉवीडेण्ट फण्ड में जमा 70,000 रुपये की रकम पर आयकर की धारा 80-सी का भी लाभ ले सकते हैं।
– डॉ. सूर्य प्रकाश अग्रवाल
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