इंटरनेट शॉपिंग ने हमें यह सिखा दिया है कि जो कुछ हम हमेशा खरीदना चाहते थे, उसे अब सेकेंड हैंड भी खरीदा जा सकता है। मुहम्मद रफी के विनाइल एलपी रिकॉड्र्स से लेकर आईपोड्स और उनकी एक्सेसरी़ज तक सभी उपलब्ध हैं। बस आपको अपना दाम कोट करना है।
लेकिन हर सेकेंड हैंड ची़ज अच्छी नहीं होती। कहने का मतलब है कि हर सेकेंड हैंड सौदा अच्छा नहीं होता। कुछ कंज्यूमर गुड्स इस्तेमाल करने में बहुत अच्छी होती हैं, लेकिन कुछ चीजों को नया ही खरीदना चाहिए। असल बात यह है कि आपको यह फर्क करना आना चाहिए कि कौन-सी ची़ज सेकेंड हैंड खरीदी जाए और कौन-सी ची़ज नयी खरीदी जाए। इस संदर्भ में एक सामान्य नियम यह है कि अगर सेकेंड हैंड ची़ज या इस्तेमालशुदा वस्तु को डीलर ने सर्टिफाई कर दिया है तो इससे आप जो रिस्क ले रहे हैं, वह काफी हद तक कम हो जायेगा।
बहरहाल, इन खामियों से पार पाने के लिए हमने कुछ विशेषज्ञों और अनुभवी खरीदारों से बात की ताकि आप उनके तजुर्बे से फायदा उठा लें और जान जाएं कि कौन-सी ची़ज सेकेंड हैंड खरीदनी चाहिए और कौन-सी नहीं। मुख्य रूप से पांच चीजें ऐसी हैं, जिन्हें सेकेंड हैंड खरीदा जा सकता है।
- एक, हाथ से इस्तेमाल करने वाले औजार जैसे- हथौड़ी, रेंच और वह चीजें जो चोटें बर्दाश्त करने के लिए बनायी जाती हैं। लेकिन पावर टूल्स खरीदना खतरे की घंटी हो सकती है, क्योंकि वे रिपेयर किए हुए हो सकते हैं या उनका मोटर फिर से बंधा हुआ हो सकता है।
- होम जिम को भी सेकेंड हैंड खरीदा जा सकता है। गौरतलब है कि होम जिम को बहुत महंगा कपड़ों का हैंगर भी कहा जाता है, क्योंकि अक्सर लोग इसका दो-चार बार इस्तेमाल करके भूल जाते हैं। लेकिन अगर वे इस पर नियमित वर्कआउट करें तो भी हाइएंड मॉडर्न मॉडल्स इतने अच्छे बने हुए होते हैं कि पूरी ़िंजदगी काम कर सकते हैं। इनमें औद्योगिक शक्ति वाले केबिल होते हैं और वारंटी भी अनेक वर्षों या जीवन भर की होती है। इसलिए सेकेंड हैंड होम जिम कम दामों में अच्छा मिल जाता है।
- डिजाइनर एक्सेसरी़ज। जिन मफलरों, बैग्स आदि को लोग पहले इस्तेमाल कर चुके हैं, उन पर बहुत शानदार डिस्काउंट मिल जाता है। एक विशेषज्ञ का तो यहां तक कहना है कि प्रादा या गूसी के भी सेकेंड हैंड लग्जरी आयटम बहुत कम पैसों में मिल जाते हैं। लेकिन इसमें देखने की बात यह है कि कहीं कोई आपको नकली माल ही न थमा दे। इसलिए विश्र्वसनीयता की गारंटी को अवश्य देख लें और वापसी नीतियों के बारे में भी जानकारी हासिल कर लें।
- गोल्फ क्लब्स। चमकदार नये क्लब्स से गोल्फ खेलने का आनंद ही कुछ और है, लेकिन यह इतने महंगे होते हैं कि अगर सेकेंड हैंड भी खरीद लिये जाएं, तो बड़ी बात होगी। इसलिए स्पोट्र्स शॉप इस्तेमालशुदा क्लब्स भी स्टॉक करती हैं जिन पर 50 प्रतिशत तक का डिस्काउंट होता है। संभावना यह है कि सेकेंड हैंड क्लब्स अच्छे रख-रखाव के मिल जाएंगे, क्योंकि उन्हें नुकसान पहुंचाना कठिन है। यह अलग बात है कि आप किसी ऐसे बेवकूफ से खरीद रहे हैं जिसने गुस्से में उन्हें पत्थरों पर मार कर टेढ़ा-मेढ़ा कर रखा हो।
- वाद्ययंत्र, अगर आप रविशंकर हैं तभी आपके सितार का इस्तेमाल अधिक होगा वरना वह नया-सा ही रहेगा। यही वजह है कि सेकेंड हैंड वाद्ययंत्रों का खरीदना अच्छा सौदा होता है। इंटरनेट की नीलामी साइटों पर आपको पुराने मगर अच्छी हालत में और वह भी कम दामों पर वायलिन, सितार, पियानो आदि मिल जाएंगे।
विशेषज्ञों के अनुसार इनके अलावा जिन सेकेंड हैंड चीजों को खरीदा जा सकता है, वह हैं बोट, किताबें, कैमरा लेंस, फर्नीचर, एक्सक्लूसिव कालीन, ाॉकरी, डीवीडी और जेवरात।
विशेषज्ञों के अनुसार मुख्य रूप से जिन पांच चीजों को सेकेंड हैंड नहीं खरीदना चाहिए, वह हैं-
- बच्चों का पालना। हर साल कई बच्चे सिर्फ इसलिए मर जाते हैं, क्योंकि उनके माता-पिता ने सेकेंड हैंड पालना खरीद लिया था, जो या तो टूट गया या जिससे बच्चे को बीमारी हो गयी या उसका डिजाइन असुरक्षित था। यह इतना बड़ा खतरा है जिसकी भरपाई चंद पैसे बचाने से नहीं हो सकती। इसलिए न सिर्फ पालना बल्कि बच्चों से संबंधित सभी चीजें जैसे स्टोलर्स, कार सीट आदि हमेशा नयी ही खरीदनी चाहिए।
- कंप्यूटर्स, पी.सी. के दाम इतने कम हो गये हैं कि अब आपको सी.पी.यू., की-बोड्र्स, मॉनीटर, माउस यानी एक असेंबल्ड कंप्यूटर सिर्फ 12-14 हजार रुपये तक का मिल जाता है। ऐसी स्थिति में आप सेकेंड हैंड कंप्यूटर खरीदने की सोचते ही क्यों हैं। यह सही है कि सेकेंड हैंड मॉडल इससे भी कम दाम में मिल जाएगा, लेकिन उसमें अप-टू-द-मिनट टेक्नोलॉजी नहीं मिलेगी और आप उसे अपनी जरूरतों के अनुसार कस्टमाइ़ज भी नहीं कर पायेंगे। कंप्यूटर्स इतनी तेजी से नयी टेक्नोलॉजी के साथ आते हैं कि अगर आप सेकेंड हैंड खरीदेंगे तो सिर्फ अपना पैसा ही बर्बाद करेंगे।
- डिजिटल कैमरा, इलेक्टॉनिक सामान बहुत नाजुक होते हैं। एक जरा-सी भूल से भी वह ठीक से काम करना बंद कर देते हैं। इसलिए उनसे फोटो सही नहीं आते। दूसरी बात यह है कि इलेक्टॉनिक सामानों के दाम निरंतर कम होते रहते हैं, मसलन- कैनन पॉवरशॉट2 मेगापिक्सल जो दो साल पहले डेफिनेशन का पैमाना माना जाता था और जो बहुत महंगा था, उसे आज आसानी से खरीदा जा सकता है। लेकिन साथ ही टेक्नोलॉजी में इतना परिवर्तन आ गया है कि सोनी या निकॉन का 10 से 12 मेगापिक्सल वाला मॉडल भी 8 से 12 हजार रुपये में खरीदा जा सकता है। इनमें से कोई भी कैमरा खरीदने के बाद अगले तीन साल तक खूब काम करेगा। जब नया ही इतना सस्ता है तो पुराना वह भी पुरानी टेक्नोलॉजी के साथ क्यों खरीदा जाए?
- फ्लैट सीन टी.वी., पुराने प्ला़ज्मा मॉडल बहुत खराबियों के साथ आते थे, इसलिए सेकेंड हैंड प्ला़ज्मा टी.वी. बिल्कुल न खरीदें। उसकी तस्वीर इतनी खराब आती है कि आपकी समझ में यह नहीं आयेगा कि सीन पर शाहरुख हैं या शरद सक्सेना। 2005 की तुलना में आज एक नये 32 इंच एलसीडी टी.वी. की कीमत में 60 प्रतिशत कमी आ गयी है। अगर आप इस साल दिवाली तक रुक सकते हैं तो दाम और कम हो जाएंगे। फिर जल्द ही एलसीडी सीन की जगह कुछ और चीज सामने आ जायेगी। इसलिए अगर आपका मौजूदा ट्यूब टी.वी. फिलहाल सही काम कर रहा है तो कम से कम सेकेंड हैंड एलसीडी खरीदने की न सोचें।
- एप्लायंसेस, पुरानी वॉशिंग मशीन, टोस्टर या फ्रिज खरीदने के लिए जी ललचा सकता है, लेकिन ऐसा न करें। पहली बात तो यह है कि उनकी वारंटी समाप्त हो रही होगी और दूसरा वह अधिक बिजली खपत कर रही होंगी। इनके नये मॉडल खरीदने में ही अक्लमंदी है। साथ ही ऑनलाइन खरीदारी करने पर टंासपोर्ट का खर्च भी इनके बड़े आकार की वजह से अधिक आता है।
विशेषज्ञों के अनुसार इन चीजों के अलावा हमेशा डीवीडी प्लेयर, गद्दे, माइाोवेव और सेलफोन भी नये ही खरीदें।
– अपराजिता
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