बड़े महानगरों में ही नहीं, छोटे शहरों में भी कामकाजी महिलाओं की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। कामकाजी महिलाओं को घर का काम करने के लिए नौकर-नौकरानियों पर निर्भर रहना पड़ता है। आजकल महानगरों में तो घरेलू नौकरों द्वारा नए-नए अपराधों को अंजाम दिया जा रहा है। घर के सदस्यों को खाने में जहर मिलाकर देना और उसके बाद घर का माल लेकर चंपत हो जाना, धन के लालच में हत्या जैसा जघन्य अपराध करना आजकल घरेलू नौकरों के लिए आम बात हो गई है। जो लोग घर में बिना पुलिस की जांच के घरेलू नौकर रखते हैं, उनके नौकर शुरूआती दिनों में ही आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दे देते हैं। पुलिस के लिए उन्हें ढूंढ़ना एक बड़ा सिरदर्द बन जाता है, क्योंकि पुलिस थानों में उनका कोई रिकॉर्ड दर्ज नहीं होता।
जो लोग घरेलू कामकाज के लिए नौकरों पर निर्भर रहते हैं या जिनके यहां नौकरानियां आकर दिन में काम करके जाती हैं, उनके लिए भी उन नौकरानियों से काम लेना इतना आसान नहीं होता। अकसर औरतें शिकायत करती देखी जाती हैं कि आज उनकी काम वाली न आने के कारण उन्हें दिनभर घर का काम करना पड़ा। कई महिलाएं तो इन नौकरानियों की, घर की छोटी-छोटी चीजों पर हाथ साफ करने की आदत से भी काफी परेशान देखी जाती हैं। इस तरह की तमाम शिकायतें हमें अपने आसपास सुनने को मिलती हैं।
घर के काम करने के लिए नौकरों पर निर्भर रहना दरअसल हमारी अपने द्वारा पैदा की हुई सिरदर्दी होती है, जिसके दर्द से छुटकारा पाना पूरी तरह से हमारे अपने वश में होता है। यदि गृहिणी चाहे तो वह अपनी सूझबूझ से न केवल अपने घर के तमाम कामों को अच्छे ढंग से कर सकती है बल्कि वह एक अच्छी प्लानर होने के साथ-साथ एक नौकर के रूप में भी काम कर सकती है। घर के काम स्वयं करने से न केवल इससे कई तरह की समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है बल्कि वह अपने बजट में थोड़ी राहत भी महसूस कर सकती है। घर के काम खुद करने से उसे घर का खाना पकाने के लिए लो कोलेस्टोल कुकिंग ऑयल की भी जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि घर का काम करने के दौरान वह अपनी एक्स्टा कैलोरीज को आसानी से कंज्यूम कर सकती है। इसलिए समय है नौकर-नौकरानियों पर निर्भर होने के बजाय अपने घर के कामों को स्वयं किया जाए और घर के बजट को भी आसानी से राहत दिलायी जा सकती है।
अपनी दादी-नानी के मुंह से हम हमेशा से यह सुनते आए हैं कि घर के सदस्यों के लिए आजीविका कमाना पुरुष का काम है और घर में रहकर बच्चों की देखभाल करना और घर के दिनभर के कामकाज करना औरतों की जिम्मेदारी है। यह बात अब गुजरे जमाने की हो गई है। दुनिया हाइटेक हो गई है। अपने जीवन के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए अब पति-पत्नी, दोनों को काम करना पड़ता है। पत्नी यदि कामकाजी है तो उसे यदि घर का भी पूरा काम स्वयं करना पड़े तो उसके लिए इस दोहरी जिंदगी को निभाना काफी कठिन हो जाता है। इसलिए यदि आप चाहते हैं कि घर का काम गृहिणी स्वयं करे तो इसके लिए पूरे परिवार को इसमें हिस्सेदारी करनी होगी। हाउसवर्क को टीमवर्क बनाएं और परिवार के हर सदस्य को घर की अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपें। रात का खाना खाने के बाद पति यदि पत्नी के साथ झूठे बर्तनों को साफ करने में मदद कराए तो इसमें हर्ज क्या है? इससे न केवल पत्नी पर काम का बोझ कम होता है बल्कि इससे दोनों के बीच संबंध मधुर बने रह सकते हैं। छोटे बच्चों को भी घर में छोटे-छोटे काम करने सिखाए जा सकते हैं, मसलन- डाइनिंग टेबल पर खाना लगाना, पौधों को पानी देना, फर्नीचर की डस्ंिटग करना और फ्रिज में ठंडा होने के लिए वाटर बॉटल रखना व बर्फ की टे में पानी भरना वगैरह।
घर में बने खानों का स्वाद लाजवाब होता है, यह हम सभी जानते हैं। घर में यदि इडली-डोसा बनाया जाए, तो वह न केवल स्वादिष्ट रहता है, बल्कि हाईजीनिक भी होता है। इसके बावजूद वर्किंग महिलाओं को चाहिए कि वह बाजार में मौजूद रेडी टू ईट, पैकेट फूड आइटम्स की खरीदारी करें। परिवार के हर सदस्यों की पसंद के अनुरूप उन्हें विशुद्घ, लंबी प्रिाया वाले खाने बनाकर देने की बजाय जल्दी बनने वाले पैकेट आइटम के जरिए खाने की चीजें बनाएं। क्योंकि इससे बेहद जरूरी कामों के लिए वक्त निकालना आसान हो पाएगा।
बच्चों को भी यह इंस्टैंट फूड बेहद पसंद आते हैं, उन्हें इनका स्वाद ज्यादा अच्छा लगता है। हां, इससे बजट में थोड़ा इजाफा जरूर हो सकता है, लेकिन यदि घर का बना विशुद्घ खाना जिसे एक मां बड़ी मेहनत से अपने बच्चों के लिए तैयार करे, लेकिन जो बच्चों को पसंद न आए और वह फ्रिज में पड़ा बासी होता रहे, इससे बचने के लिए वर्किंग मॉम को सुपरस्मार्ट बनना होगा। बाजार में मौजूद नए-नए विकल्पों पर गहरी निगाह रखनी होगी।
हम सभी यह जानते हैं कि घर का काम गृहिणी के लिए ही नहीं बल्कि बाकी सदस्यों के लिए भी एक बढ़िया व्यायाम होता है। फर्श पर पोंछा यदि बैठकर लगाया जाए या खड़े होकर, इससे शरीर की एक्सरसाइज होती है। बाजार में जाकर घर की चीजों की खरीदारी करने से वॉक होती है। कितना अच्छा लगता है, यदि घर का काम अपने आप किया जाए और नौकरानियों पर निर्भर न हुआ जाए। इससे आप दूसरी औरतों की तरह रोज काम वाली की परेशानी से बच सकती हैं। पूरी दुनिया के डॉक्टरों का मानना है कि घर का काम सबसे बढ़िया व्यायाम है। घर के काम करने के दौरान पूरे घर में इधर-उधर चलना-फिरना, दरवाजों, खिड़कियों की डस्टिंग करना, बार-बार सीढ़ियां चढ़ना, कूलर में पानी भरना, कपड़े धोना, इन तमाम कामों से शरीर का व्यायाम होता है।
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि हमारी नौकरानी हमारे काम को बाकी घरों के काम की तरह अपने काम का ही एक हिस्सा मानती है। आप अपने घर को सबसे ज्यादा प्यार करती हैं, यही वजह है कि आप अपने घर की हर चीज को लेकर ज्यादा संवेदनशील रहती हैं। मानकर चलें कि घरेलू नौकरानियां आपके घर की हर चीज को उतने प्यार से नहीं उठातीं, जितनी संवेदनशीलता से आप अपने घर की चीजों को लेती हैं। अपने घर की तमाम चीजों की बेहतर साज-संभाल के लिए यह जरूरी है कि घर का काम स्वयं करें। इसलिए आज ही घर का पूरा चार्ज संभालें और अपने परिवार के बाकी सदस्यों की मदद से घर के पूरे काम को मैनेज करें।
नीलम अरोड़ा
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