देवीभागवत के अनुसार देवी के एक सौ आठ शक्तिपीठों में कल्याणी देवी का एक पीठ है। यमुना नदी के तट पर कल्याणी देवी के नाम से एक मुहल्ला बसा हुआ है। मंदिर में मॉं कल्याणी चतुर्भुजी रूप में सिंह पर सवारी किए हुए विराजमान हैं। मूर्ति के शीर्षभाग में एक आभा चा है। मस्तक पर योनि, लिंग एवं फणीन्द्र सुशोभित है। मूर्ति के दक्षिण में भगवान शंकर की प्रतिमा है, जिनके अंक में पार्वती विराजमान हैं। मूर्ति की दाहिनी ओर गणेश की प्रतिमा और बायीं ओर हनुमान जी की मूर्ति है। इतिहासकारों के अनुसार ये पत्थर की मूर्तियां दसवीं शताब्दी की हैं। पुरातत्वविदों के अनुसार मां कल्याणी देवी की मूर्ति लगभग डेढ़ हजार वर्ष पुरानी है। मत्स्यपुराण एवं ब्रह्मवैवर्तपुराण में भी मां कल्याणी का उल्लेख हुआ है।
चैत्र एवं आश्र्विन नवरात्रि के अतिरिक्त आषाढ़ कृष्णपक्ष की अष्टमी, चैत्र कृष्णपक्ष की अष्टमी एवं शरद पूर्णिमा को मॉं का विशेष श्रृंगार एवं पूजन होता है, जिसे देखने के लिए श्रद्घालुओं की अपार भीड़ उमड़ पड़ती है। इस मंदिर का जीर्णोद्घार सर्वप्रथम 1893 ई. में किया गया। मॉं कल्याणी के मंदिर के निकट भवनाथ भैरव का प्राचीन मंदिर है।
शिवकुटी का मंदिर
इलाहाबाद शहर के उत्तरी छोर पर गंगा के किनारे शिवकुटी का मंदिर व आश्रम स्थित है। यहां पर श्री 1008 श्री नारायण प्रभु का आश्रम है। इसकी स्थापना श्रीनारायण महाप्रभु ने सन् 1948 में की थी। यहां लक्ष्मीनारायण का भव्य मंदिर है। उसमें गणेश व लक्ष्मी की मूर्तियां भी हैं। सभी मूर्तियां संगमरमर की बनी हैं। आश्रम परिसर में दुर्गाजी का एक मंदिर है। प्रत्येक वर्ष शिवकुटी के मेले के नाम से यहॉं श्रावण मास में विशाल मेला लगता है।
कमौरीनाथ महादेव मंदिर
यह शिव मंदिर इलाहाबाद के सूरज कुण्ड मुहल्ले के पास रेलवे कॉलोनी में स्थित है। यहां पर पंचमुखी महादेव की मूर्ति है। सन् 1859 ई. में रेलवे लाइन के बनते समय भी यह मंदिर था, जिसके कारण रेलवे लाइन को तिरछा करना पड़ा था। निजामुद्दीन अहमद के “तब्तकाते अकबरी’ जो 1575 ई. का ग्रंथ है, में इस मंदिर का उल्लेख बताया जाता है। महादेव की मूर्ति गुप्तकाल की बनी हुई प्रतीत होती है। कहा जाता है कि भगवान् शंकर ने कामदेव का यहॉं वध किया था, जिसके कारण इन्हें कामारि (कमौरी) महादेव कहते हैं। मंदिर के सामने एक प्राचीन कुआं व पीपल का पेड़ है। शिवरात्रि पर यहां विशाल मेला लगता है।
हाटकेश्र्वरनाथ मंदिर
यह मंदिर इलाहाबाद नगर के मध्य में जीरो रोड पर स्थित है। ग्रंथों में वर्णित है कि पाताल में हाटकेश्र्वर शिवजी का स्थान है। कर्मपुराण में तीर्थों में हाटकेश्र्वर का उल्लेख है। स्कन्दपुराण में कहा गया है –
तन्दृष्ट्वात्रिदशास्सर्वे शूलेशं हाटकेश्र्वरम्।
प्रणम्य हृष्टरोमाणो यथा प्रोत्फुल्ल पंकजम्।।
वामन पुराण में गोदावरी तीर्थ में हाटकेश्र्वर महादेव का स्थान बताया गया है- स्नात्वा गोदावरी तीर्थ दिदृक्षु हाटकेश्र्वरम्। वामनपुराण में ही अन्यत्र कहा गया है-किमेतदिति चौकत्यैव प्रजग्मु हाटकेश्वरम्।
वर्तमान मंदिर संवत् 1952 में गोविन्द रामदेव द्वारा बनवाया गया था। मंदिर में भगवान शंकर का लिंग, कार्तिकेय, गणेश, नंदी, पार्वती और सूर्य की प्रतिमाएँ हैं। संवत् 1994 में मंदिर का जीर्णोद्घार हुआ था। मंदिर में नागर लोगों की धर्मशाला भी है। अधिकतर श्रद्घालु खिड़की से ही भगवान् हाटकेश्र्वर का दर्शन करते हैं।
बरगद घाट का शिव मंदिर
इलाहाबाद नगर में मीरापुर के पास यमुना नदी के तट पर बरगद घाट पर एक शिव मंदिर है। यहां तांबे के घेरे में काले पत्थर का शिवलिंग है। शिवलिंग के ऊपर सर्प का फण है। मंदिर परिसर में एक पुराना बरगद का पेड़ है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह पेड़ हजारों वर्ष पुराना है। प्रांगण में चार पीपल के पेड़ हैं। मंदिर परिसर के ऊपरी हिस्से में हनुमानजी की पत्थर की लेटी हुई प्रतिमा है। महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने यहां एक लाख गायत्री महामंत्र का पुरश्र्चरण किया था।
सिद्घेश्र्वरी पीठ मंदिर
यह इलाहाबाद के सिविल लाइंस बस अड्डे के सामने स्थित है। इस मंदिर में भगवान शंकर, अष्टभुजा देवी व हनुमानजी की प्रतिमाएँ हैं। मंदिर परिसर में ही माता का चौरा है, जिस पर मनोकामना की पूर्ति हेतु लोग शुावार को सिन्दूर का लेप करते हैं। यह सिद्घिदात्री देवी का पीठ है। इसका उल्लेख गणेश शाबरी व अच्युत रामायण में मिलता है।
लोकनाथ मंदिर
यह मंदिर इलाहाबाद के प्राचीन मुहल्ले लोकनाथ में स्थित है। स्थानीय लोगों के अनुसार मंदिर लगभग दो-ढाई सौ वर्ष पुराना है। शिवलिंग के ऊपर तांबे का नाग फन फैलाये हुए है। मंदिर परिसर में सिंहवाहिनी दुर्गा की संगमरमर की प्रतिमा है। मंदिर प्रांगण में एक पुराना कुआं है। प्रांगण में कार्तिकेय, शेषनाग, शंकर एवं नंदी की पत्थर की प्रतिमाएँ भी हैं।
– निर्विकल्प विश्वहृदय
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