प्रायः देखने में आता है कि इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे हिंदी में काफी कमजोर होते हैं। हिंदी में वह वर्णमाला के अक्षरों के बीच के सूक्ष्म अंतर को नहीं समझ पाते। जिसकी मूल वजह उनकी हिंदी जैसे विषय में कम रुचि होना होता है। इसके अलावा कई स्कूल हिंदी जैसे विषय को उपेक्षणीय विषय बना देते हैं। हिंदी के अलावा बच्चों की अंग्रेजी, हिंदी की रीडिंग भी सही नहीं होती। हालांकि स्कूलों में रीडिंग और राइटिंग कंपीटीशन होते हैं, लेकिन इसमें कम ही बच्चे अच्छा परफॉर्म कर पाते हैं। ज्यादातर बच्चे अंग्रेजी-हिंदी दोनों विषयों की रीडिंग अच्छे ढंग से नहीं कर पाते। इसमें काफी हद तक माता-पिता जिम्मेदार होते हैं, क्योंकि रीडिंग की आदत बच्चों को छोटेपन से ही डाली जानी चाहिए। बच्चे को स्कूल में भेजने के बाद से ही नियमित रूप से रीडिंग का अभ्यास कराना चाहिए।
बच्चा जब बहुत छोटा होता है, सुनकर रिस्पांस देना शुरू करता है, तभी से ही माता-पिता को चाहिए कि वह बच्चे के सामने कुछ न कुछ पढ़कर या तेज आवाज में बोलकर उसका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करें। जब बच्चे की कोई अपनी भाषा विकसित नहीं होती, तब भी वह ध्वनि के द्वारा संकेत ग्रहण करता है। बच्चा जब कुछ महीनों का हो जाता है तो वह पुस्तकों में बने चित्रों को देखकर खुश होता है। माता-पिता की आवाज सुनकर वह रिस्पांस देता है। इस उम्र में अगर बच्चे को बड़े-बड़े चित्रों वाली किताबें देखने को दी जाएं तो उसकी धीरे-धीरे उसमें रुचि पैदा होने लगती है। बच्चा जब 3-4 साल का होता है, तो उसे प्री-स्कूल में भेजने से पहले घर में ही अंग्रेजी व हिंदी की वर्णमाला वाली पुस्तकें पढ़ने के लिए दें। यदि बच्चे के बड़े भाई-बहन हैं तो उन्हें भी बच्चे को शिक्षित करने का काम सौंपें। छोटे बच्चे भी अपने छोटे-भाई बहन को बेहतर ढंग से सिखा सकते हैं। बच्चा जब थोड़ा-सा बड़ा हो जाता है तो उसमें रीडिंग की आदत विकसित करें। प्रतिदिन 10 मिनट रोज निकालें। बच्चे के साथ बैठें, उसे किताब पढ़ने के लिए दें। यदि वह पढ़ने में असमर्थ है तो स्वयं उसे पढ़कर सुनायें। उसके प्रयासों की हमेशा सराहना करें। उसे हतोत्साहित न करें। छोटे बच्चे प्रायः ऐसी कविताओं की किताबें पढ़ना पसंद करते हैं, जिनमें छोटी-छोटी बातों को कविता के द्वारा बताया जाता है। बच्चों को उन्हें पढ़ने में बहुत मजा आता है। आप स्वयं भी उन कविताओं को अभिनय द्वारा बच्चे को पढ़कर सुनायें। बच्चे को एक ही किताब, एक ही कविता बार-बार पढ़कर सुनायें, इससे उसकी याद करने की क्षमता तेज होती है। याद रखें, बच्चे को याद करने के लिए लाइनों को बार-बार पढ़ना, सुनना और उनके साथ अपना परिचय बनाना सबसे अधिक प्रिय लगता है।
बच्चा जब थोड़ा बड़ा हो जाता है तो उससे स्कूल से लौटकर आने के बाद अपनी दिनचर्या के विषय में खुलकर बात करें। बच्चा जो कुछ भी बताना चाहे, उसे सुनें। उन्हें अपने जीवन में होने वाली प्रतिदिन की गतिविधियों को विस्तार से वर्णित करना बताएं। बच्चे को किसी भी विषय में खुलकर बतायें। उसे किसी भी विषय की जानकारी विस्तार से दें और उसे स्वयं अपनी देखी, सुनी, समझी चीजों को विस्तृत ढंग से बताने के लिए कहें। इन तमाम तरीकों से बच्चे के भीतर कहानी लिखने की क्षमता विकसित होती है। बच्चे में चीजों को विस्तार से जानने, समझने से उसका ज्ञान बढ़ता है। बच्चे को किसी अवसर पर कोई खिलौना या उसकी पसंद की कोई चीज देने की बजाय उसे किताबें गिफ्ट करें। अपने रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों को भी अपने बच्चे को किताबें गिफ्ट के रूप में देने के लिए प्रोत्साहित करें। बच्चा जितना अधिक किताबों के साथ अपना सरोकार बनाएगा उतनी ही उसकी पढ़ने में रूचि होगी। अपने आस-पड़ोस में स्थित किसी लाइब्रेरी का उसे सदस्य बनाएं। बच्चे को प्रति सप्ताह उस लाइब्रेरी में लेकर जाएं और उसके साथ तरह-तरह की पिक्चर बुक्स, कहानी की किताबें ढूंढ़ने में मदद करें।
बच्चे में किताबों के प्रति रुचि जगाएं। किताबों की खरीददारी करते समय बच्चे को हमेशा साथ रखें। उसे जो विषय पढ़ने में अच्छा लगता हो, वही खरीदें। बच्चे को एक ही बार में कोई किताब पूरी पढ़ने के लिए बाध्य न करें। वह किताब को यदि रूटीन से थोड़ा-थोड़ा पढ़ना चाहता है तो उसे पढ़ने दें ताकि वह पुस्तक का अध्ययन अच्छे ढंग से पढ़ सके। बच्चे को ऑडियो बुक्स दिलवाएं, उसके साथ बैठकर उसे सुनें। जो बच्चे स्वयं अच्छे ढंग से पढ़ नहीं पाते, लेकिन जिन्हें कहानियां सुनना अच्छा लगता है, ऐसे बच्चों के लिए ऑडियो बुक्स एक बेहतर माध्यम होती हैं। रीडिंग से जुड़ी हुई प्ले गेम्स, स्पैलिंग गेम्स, बोर्ड गेम्स के द्वारा उनके पढ़ने की आदतें विकसित करने का प्रयास करें। जो पेरेंट्स और बच्चे रीडिंग को एक सीरियस एक्टिविटी बनाते हैं, उनके भीतर पढ़ने का शौक ज्यादा बढ़ जाता है। बच्चों को कॉमिक्स पढ़ने के लिए दें। उनमें कॉमिक्स के चरित्रों को अलग-अलग आवाज के द्वारा पढ़कर बच्चे में रीडिंग की आदत को ज्यादा पुख्ता करें। बच्चे को रीडिंग के एवज में ईनाम देना गलत न मानें। यदि बच्चा किसी एक किताब की कई दिन तक लगातार रीडिंग करता है तो उस किताब की रीडिंग की समाप्ति के बाद बच्चे को अच्छा-सा गिफ्ट दें।
कई बच्चे किसी के सामने किताब की रीडिंग करने में हिचक महसूस करते हैं। वह रीडिंग अकेले में करना पसंद करते हैं। ऐसे बच्चे रीडिंग के दौरान क्या पढ़ते हैं? इसके विषय में पूछने पर भी शर्माते हैं। बच्चे के भीतर इस प्रकार की शर्म को कम करने का प्रयास करें। उसे दूसरों के बीच में बैठकर रीडिंग करने के लिए प्रोत्साहित करें। बच्चे को समझाएं कि आप हर समय उसके साथ हैं। यदि रीडिंग के दौरान किसी शब्द को पढ़ने या समझने में उसे दिक्कत होती है तो उसका मजाक न बनाएं, बल्कि उसे प्यार से समझाएं और उसका अर्थ बताएं।
बच्चे को सिखाना एक लंबी प्रिाया होती है। छोटेपन से ही बच्चा चीजों को बार-बार दोहराकर अपने दिमाग में याद करना सीखता है। यह कहा भी जाता है कि कुछ चीजें तो बच्चों को बार-बार पढ़ने-लिखने से ही याद होती हैं। बचपन में याद की गई कविताएं, पहाड़े, संख्याएं उसे ताउम्र नहीं भूलतीं। इसलिए बच्चे को बेहतर ढंग से सिखाने का मूल मंत्र है दोहराना, दोहराना और दोहराना।
– नंदना गौर
You must be logged in to post a comment Login