अक्सर हम देखते हैं कि मखमली पूंछ वाली गिलहरी मिट्टी को खोदकर दोबारा उस गढ्ढे को ढक देती है। पांच में से एक बार वह सिर्फ ऐसा करने का अभिनय करती है। गिलहरी जमीन के भीतर दबे दानों को अपनी बुद्घिमानी से निकालकर खा लेती है। इसके अलावा गिलहरी ची़जों को चुराकर खाने में भी बुद्घिमान होती है।
शब्दकोष का धनी होता है बंदर
ऐसा माना जाता है कि बंदरों का शब्दकोष काफी समृद्घ होता है। हाल ही में डिस्कवरी समाचार के एक लेख में यह बताया गया है कि कपि (नर वानर) का शब्दज्ञान काफी अच्छा होता है। उनकी भाषा मनुष्य की भाषा से काफी कुछ मेल खाती है। लेकिन वे मनुष्य की तरह अपने विचारों को बेहतर ढंग से अभिव्यक्त नहीं कर पाते।
चतुर नीलकंठ
हाल ही में हुए विभिन्न सर्वेक्षण से यह बात उभरकर सामने आई है कि नीलकंठ भी एक बुद्घिमान पक्षी होता है। नीलकंठ के दिमाग का आकार मटर के दाने जितना होता है। लेकिन उसकी गिनती बुद्घिमान पक्षियों में होती है। नीलकंठ की गर्दन पर छोटे-छोटे धब्बे होते हैं जिन्हें शीशे में सिर्फ वही देख सकते है। नीलकंठ शीशे में अपने आप को देखकर अपनी पहचान कर सकते हैं। अभी तक माना जाता था कि सिर्फ मनुष्य, नर वानर, हाथी और डॉल्फिन ही ऐसा कर सकते हैं। अपने आपको पहचान सकना बुद्घिमता की निशानी है। यही वजह है कि नीलकंठ शीशे में देखकर स्वयं को पहचानता है। इसके अलावा चिम्पैंजी भी ऐसा कर सकते हैं। यह खूबी इस बात का संकेत है कि उनका दिमाग भी काफी विकसित होता है। हममें से जिन्होंने नीलकंठ के व्यवहार को बाग-बगीचे में देखा है, वे जानते हैं कि किस तरह नीलकंठ दूसरे छोटे पक्षियों के घोसलों को अपना बना लेते हैं। साथ ही किस तरह वह दूसरे पक्षियों के घोसलों में घुसकर उनकी चमकीली सजावटी ची़जों की चोरी करके अपने घोंसलों को सजाते हैं।
चालाक कौआ
विभिन्न वैज्ञानिकों ने इन तथ्यों का खुलासा किया है कि कुछ कौए भी बेहद बुद्घिमान होते हैं। वह अपनी गतिविधियों से अपने ते़ज दिमाग होने का परिचय कराते हैं। कौए भी भोजन हासिल करने के लिए तरह-तरह की चालाकियां दिखाते हैं। कौए अपना भोजन इकट्ठा करने के लिए एक-दूसरे के साथ अपने दोस्ताना रिश्ते बनाते हैं, साथ ही स्थिति के अनुसार वह भोजन के लिए एक-दूसरे के साथ छीना-झपटी भी करते हैं। आमतौर पर किसी भी मंद बुद्घि के लिए “बर्ड बेन’ शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। पक्षियों की जब जानवरों के साथ तुलना की जाती है तो पाया जाता है कि पक्षी जानवरों की तुलना में ज्यादा बुद्घिमान होते हैं। इसका बढ़िया उदाहरण कौए होते हैं। अमेरिकी ऑर्निथियोलॉजिस्ट जॉन के. कैरिस का मानना है कि अन्य पक्षियों की तुलना में कौए ज्यादा बुद्घिमान होते हैं। कुछ का तो यह मानना है कि अमेरिकी कौए सबसे ज्यादा बुद्घिमान होते हैं। हालांकि इसके बारे में कई मत-मतान्तर हैं। कुछ लोग तोतों को ज्यादा बुद्घिमान मानते हैं। तोता के दूसरों की आवा़ज की नकल करने की कला से भला कौन परिचित नहीं है। इसके अलावा कई तरह की आवा़जें निकालने में भी यह माहिर होते हैं। कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि पक्षी ज्यादा बुद्घिमान नहीं होते बल्कि वे एक जीतेे-जागते रोबोट होते हैं। जिनकी जीन्स में जन्म से प्रोग्रामिंग होती है। कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि तोतों और कौओं में एक-दूसरे के साथ मिल-जुलकर रहने की भावना अन्य पक्षियों की तुलना में ज्यादा होती है। यह दोनों पक्षी कई बार बड़े-बड़े झुडों में मिलकर रहते हैं और कई बार वे एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं। कुछ पक्षी आपस में कई तरह के खेल खेलते हैं। इनमें गिराना और पकड़ना एक मुख्य खेल होता है जिसमें एक पक्षी लकड़ी की एक शाखा को गिराता है, तो दूसरा पक्षी उसे उठा लेता है। एक दूसरे खेल में पक्षी लटक कर मुंह में एक ची़ज रखकर पांव की ओर से दूसरे को देता है और इसके बाद दूसरा पक्षी भी इसी तरह का करतब करता है। पक्षियों के खेल खेलने की इस योग्यता से उनके सीखने के व्यवहार और उनकी क्षमताओं का पता चलता है। कुछ पक्षी शिकार के दौरान एक-दूसरे के सहयोग से शिकार करते हैं। इसमें एक या दो पक्षी एक-दूसरे जानवर को ढूंढते हैं और उनमें आपसी सहमति बनती है कि वे क्या खाना चाहते हैं। इसके बाद वह अपने शिकार को पकड़ते हैं।
– नौशाबा परवीन
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