अनेक अवसरों पर संकल्प लेने की प्रथा भारत में सदियों से चली आ रही है। उन संकल्पों के पीछे एक उद्देश्य होता था, जो व्यक्ति के स्वयं के हित में, परिवार के हित में, समाज के हित में हुआ करता था। पिछले कुछ वर्षों से नववर्ष पर भी संकल्प प्रथा भारत में भी आम हो गई है। नववर्ष पर किशोर, युवा, मध्यम आयु के लोग इस प्रथा में अपना विश्र्वास व्यक्त करते हैं और साल के शुरु में कोई न कोई संकल्प अवश्य ही लेते हैं। कुछ लोग डंके की चोट पर तो कुछ मित्रों या परिवार को बताकर, कुछ महज डायरी में लिखकर तो कुछ मन ही मन। यह प्रथा तो बहुत अच्छी है और हमारी भारतीय परम्पराओं से मेल भी खाती है, किन्तु परम्परा के साथ-साथ संकल्प निभाने की दृढ़ इच्छा शक्ति भी तो होनी आवश्यक है। यह परम्परा युवाओं की इच्छाशक्ति को सकारात्मक दिशा देती है। उन्हें अपने कर्त्तव्य और अपने व्यक्तित्व के विकास के प्रति जागरुक करती है।
तो क्यों न इस नये साल पर हम भी नया संकल्प ़जरूर लें और उसे अवश्य निभाएं। यह जरूरी नहीं कि हम बहुत कठिन संकल्प लें, जो व्यावहारिक न हो और टूटने पर हमारा इस प्रथा से विश्र्वास ही उठ जाए। इस वर्ष हम अपनी पढ़ाई, कॅरियर एवं अपने लक्ष्यों के प्रति जो भी संकल्प लें, उसे व्यावहारिकता के तराजू पर तौलकर लें। अपनी क्षमता जान-समझ कर लें और फिर अगर एक बार लें तो हम अगले ही दिन उस पर काम करना, उस पर केन्द्रित होना आरंभ कर दें। कल पर न टालें, क्योंकि कभी भी कल नहीं होता है। हर सुबह के बाद एक कल आता है और कल के इंतजार में हम सालों गवां देते हैं, इसलिए कल कभी नहीं, जो करना है, जो हमें संकल्प लेना है आज लें और इस पर आज से ही हमें अमल करना है।
कुछ संकल्प लोग अपने आंतरिक व्यक्तित्व को तराशने के लिये लेते हैं जैसे अपने ाोध पर काबू पाने का, कुछ नया सीखने का, संबंधों को सुधारने का। ये छोटे-छोटे संकल्प व्यावहारिक तो होते ही हैं साथ ही ये हमारे व्यक्तित्व को साल-दर-साल निखारते भी हैं और हमें लोकप्रिय भी बनाते हैं। कुछ ऐसे ही संकल्प हम यहां बता रहे हैं।
ङ इस वर्ष मैं मित्र अधिक और शत्रु एक भी नहीं बनाऊंगा।
ङ मैं अपने शर्मीलेपन को आत्मविश्र्वास में बदलना चाहूंगा।
ङ मैं पुराने और विश्र्वस्त दोस्तों के साथ अपने बिगड़े हुए संबंधों में सुधार जरूर करूंगा।
ङ संगीत या एक कला जरूर सीखूंगा।
ङ एक नयी रुचि विकसित करूंगा।
ङ मम्मी-पापा को भी पर्याप्त समय दिया करूंगा।
ङ घर के एक काम की पूरी जिम्मेदारी मेरी इसी साल से शुरु होगी।
ङ इस नये साल से सिगरेट छोड़ दूंगा।
ङ अन्य बुरी आदतें छोड़ने का संकल्प।
ङ अब लोगों को अपना फायदा न उठाने दूंगा।
ङ अब जल्दी सोकर उठने की आदत डालकर सुबह का वह कीमती समय पढ़ने या अन्य काम में लगाना शुरु करूंगा।
ङ अब और हताशा नहीं। नया साल और नया उत्साह, पिछला सब भूल जाना चाहिए।
इस तरह से हम अपने व्यक्तित्व की कमियों के अनुसार अपने लिये संकल्प ले सकते हैं। पर हमें यह हमेशा ध्यान में रखना चाहिए कि संकल्प लेना तो बहुत आसान है, लेकिन उसको निभाना बहुत कठिन है, यह एक चुनौती है हमारे लिए, इसका पूरे आत्मविश्र्वास के साथ सामना करना चाहिए। हमारे संकल्प से नया आत्मविश्र्वास और बेहतर व्यक्तित्व का विकास जरूर होता है और हमारा लक्ष्य भी हमें प्राप्त होता है एवं साथ ही साथ हमारे संयम और इच्छाशक्ति का अच्छा विकास होता है। हम नयी चुनौतियों का सामना करने के लिए भी तैयार रहते हैं।
जितना आंतरिक व्यक्तित्व आवश्यक है, उतना ही बाहरी व्यक्तित्व भी आकर्षक हो, यह आज के समय की मांग है। सुन्दरता या कुरूपता का व्यक्तित्व के आकर्षक-अनाकर्षक होने से कोई संबंध नहीं होता है। कई सुन्दर लोग अपनी लापरवाही से बेहद अनाकर्षक लगने लगते हैं और कई ठीक-ठाक या साधारण चेहरे वाले व्यक्ति भी अपने रख-रखाव एवं अपने पहनावे, चाल-ढाल से बहुत ही सुन्दर दिखने लगते हैं तो क्यों न हम अपने बाहरी व्यक्तित्व के प्रति कुछ संकल्प लें और स्वयं को इस नये साल में आकर्षक और लोकप्रिय बनाने का ही संकल्प लें।
हमें हमारा पहनावा समय की मांग के अनुसार चुस्त-दुरुस्त रखना होगा। अगर हमारा वजन ज्यादा हो तो उसे कम करें अगर हो सके तो आप व्यायाम को अपनी दिनचर्या में जरूर शामिल करें। संतुलित खान-पान आपकी त्वचा को अच्छा रखता है। हमें फास्टफूड कम से कम मात्रा में लेना चाहिए, हमें फास्टफूड की जगह जूस, फ्रूट सलाद लेना चाहिए। अपनी त्वचा की सफाई के लिए सोने से पहले पांच मिनट अवश्य समय निकालें। सुबह गुनगुने पानी में शहद-नींबू और आठ से दस ग्लास पानी पीने का प्रण हमारे सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए अच्छा साबित हो सकता है। हानिकारक कॉस्मेटिक्स का कम से कम इस्तेमाल करें। अपने बालों को एक नया स्टाइल दें नया साल, नया लुक। हम अपने हंसने, बोलने, चलने में एक नया सूफियाना ढंग ला सकें, जो कि नाटकीय न लगे। अगर हमें लगता है कि हम बहुत बुरा हंसते हैं या बोलते समय कुछ अटकते हैं या शब्दों का चयन ठीक ढंग से नहीं कर पाते हैं तो हमें इनमें सुधार करना चाहिए। यदि हमारी चाल सही नहीं है तो इसके बदलाव पर धीरे-धीरे अभ्यास करें, बिना किसी को बताए।
ऐसे कुछ संकल्प हमारे व्यक्तित्व में सकारात्मक सुधार जरूर ला सकते हैं। अन्ततः यहां एक और बात है कि हम अपनी एक आदर्श छवि अपने मन में बनाएं और कोशिश करें कि हमें उसके जैसे ही बनना है, तो जरूर हम-आप अपने संकल्पों पर खरे उतर सकते हैं और उसको निभा भी सकते हैं। इस तरह का हो नया साल और हमारी जिन्दगी में भी कुछ नया करने का जज्बा।
– रीमा राय
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