शर्म कर

मानव अंग प्रत्यारोपण के व्यापार ने,

डॉक्टर कुमार को बना दिया निशाचर

दौलत की भूख की अग्नि

भस्म कर गई मानवीय व्यवहार

बना दिया गया

एक निकृष्ट घृणास्पद व्यापार

शर्मनाक घटना

गैर कानूनी

गैर इंसानियत तौर-तरीकों ने

शर्मसार मां की ममता को

धिक्कारते हुए नम कर दी होंगी आँखें

शर्मिंदा मां

चीत्कार कर कह उठी

क्यों हुई पैदा मेरी को़ख से

ऐसी खौफ़नाक, बेशर्म औलाद

जिसने विद्या की भी तौहीन की

संतप्त सरस्वती मां के भी

नयनों से झरे होंगे ढेरों आँसू,

देवता स्वरूप पेशे का

दौलत के उन्माद में खो दिया सम्मान

अंग बेचने वाला सौदागर बन

विद्या का किया घोर अपमान

लालच ने सोच के बंद कर दिये द्वार

मिट्टी में मिला दिया स्वाभिमान

शिक्षा का दुरुपयोग कर

अवैध व्यापार से खो दिया कमाया हुआ मान

 

–     किरन सेठ,

सोमाजीगुड़ा, हैदराबाद

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