तीर्थ-स्थल सिर्फ लोगों की आस्थाओं से ही जुड़े हों, ऐसा नहीं है। तीर्थ-स्थलों और मंदिरों के सहारे इनका प्रबंधन साल दर साल करोड़ों की कमाई भी कर रहा है। भगवान वेंकटेश्र्वर मंदिर, अक्षरधाम मंदिर, माता वैष्णो देवी तथा तिरूमाला तिरूपति देवस्थानम टस्ट सरीखे अनगिनत मंदिर-टस्ट आदि हैं, जहां दान-पुण्य और मन्नतों के रूप में करोड़ों का चढ़ावा चढ़ता है और सैकड़ों जिंदगियां इन्हीं के सहारे टिकी हुई हैं। मिसाल के तौर पर तिरूमाला के भगवान वेंकटेश्र्वर मंदिर को ही ले लीजिए। यहां सिर मुंडवाने वाले श्रद्घालुओं के बालों से मंदिर करोड़ों रुपये की सलाना आमदनी कर रहा है। यहां तक कि इन बालों की बिाी के लिए बकायदा टेंडर तक निकाले जाते हैं जिनमें न सिर्फ भारत के लोग बल्कि दूसरे देशों के लोग भी बालों की नीलामी में बढ़- चढ़कर भाग लेते हैं। अतः मंदिर में बैठे नाई सिर्फ ईश्र्वर में आस्था रखने वालों के बाल ही नहीं काट रहे, एक गरीब देश में ईश्र्वर के नाम पर भारी-भरकम रकम भी काट रहे हैं।
हर साल करोड़ों श्रद्घालु ईश्र्वर को बाल समर्पित करते हैं। बरसों से चली आ रही तिरूमाला तिरूपति देवस्थानम टस्ट की यह परंपरा कई सालों से कमाई का एक बड़ा जरिया बनी हुई है। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक टीटीडी ने वित्त वर्ष 2008-09 के लिए 1,925 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी है। मंदिर के बालों की नीलामी में रुचि रखने वालों में विदेशी बड़ी संख्या में हैं। पिछले साल इन्हीं बालों की नीलामी के द्वारा मंदिर में 2.5 करोड़ रुपये बड़ी आसानी से उगाह लिये गये थे। इतना ही काफी नहीं, मंदिर टस्ट ने नई तकनीक से भी खुद को अप-टू-डेट कर रखा है। ई-सेवा, ई-हांडी, बालों की ऑनलाइन नीलामी, वर्चुअल कतार की व्यवस्था और यहां तक कि लड्डू बनाने वाली मशीनों को भी मंदिर ने अपना लिया है। बालों की बिाी के अतिरिक्त हांडी सेवा, लड्डुओं की बिाी, वीआईपी टिकट और दान-पुण्य भी मंदिर की कमाई का अच्छा जरिया हैं। टीटीडी जैसे ही तमाम दूसरे टस्ट मौजूद हैं, जो दुनिया भर में धार्मिक स्थलों का प्रबंधन करते हैं।
पत्थरों पर नक्काशी से बनाए गए अपने पारंपरिक मंदिरों के लिए मशहूर बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्थान (बीएपीएस) ने दुनिया भर में 700 से ज्यादा मंदिर और करीब 3,300 धार्मिक केंद्रों का निर्माण कर डाला है। दिल्ली का अक्षरधाम मंदिर तो दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर होने के नाते गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉड्र्स में भी शामिल किया जा चुका है। यह मंदिर 200 एकड़ जमीन पर फैला हुआ है। यहां हर हफ्ते 70,000 से 80,000 के बीच दर्शनार्थी आते हैं। सबसे धनी और सबसे बड़े इन दोनों मंदिरों की ही लिस्ट में माता वैष्णो देवी तीर्थ-स्थल को भी रखा जा सकता है। यह कटरा की अर्थव्यवस्था का केंद्र है। उद्योग के अनुमानों के मुताबिक वैष्णो देवी की तीर्थयात्रा से सालाना 474 करोड़ रुपये की आमद होती है। यहां भी तमाम किस्म की सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध कराई जाती हैं, जैसे भेंट, प्रसाद, पूजा और ऑनलाइन दान आदि। पिछले साल तो ऑनलाइन दान से ही इस मंदिर को होने वाली आय 20 करोड़ रुपये पहुंच गई थी।
एक दशक पहले तक आखिर धर्म के इतने विशाल तकनीकी कारोबार की किसने कल्पना की होगी। जो लोग धार्मिक स्थलों तक पहुंच नहीं पाते, उनके लिए तो ऐसी तकनीकी सेवाएं वरदान हैं, इसके अलावा धार्मिक संस्थान आधुनिक प्रौद्योगिकी के साथ कंधे से कंधा मिला कर भी चल रहे हैं। मुंबई के सिद्घिविनायक मंदिर में तो इंटरनेट पर लाइव दर्शन करने की सेवा भी मौजूद है। मंदिर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बताते हैं कि मंदिर में दर्शन के लिए देश ही नहीं बाहर से भी इच्छुक तमाम श्रद्घालु जो यहां पहुंच नहीं सकते, वे लॉग-इन कर मंदिर की वेबसाइट पर वर्चुअल पूजा कर सकते हैं। मंदिर प्रबंधन की प्रसाद की बिाी भी त्योहारी दिनों में खूब बढ़ जाती है। सिद्घिविनायक मंदिर में प्रसाद की बिाी से सलाना 2 करोड़ रुपये तक आमदनी हो जाती है। रोजाना करीब 2000 किलो लड्डू तो बिक ही जाते हैं, मंगलवार और गणेश चतुर्थी जैसे विशिष्ट दिनों में तो बिक्री आसमान छूने लगती है। मंदिर ने वित्त वर्ष 2007 में 27 करोड़ रुपये की कमाई की थी।
धर्म का पर्यटन उद्योग से करीबी नाता रहा है। धर्म ने हमेशा पर्यटन उद्योग को बढ़ाने का ही काम किया है। धर्म में आस्था रखने वाले भारी संख्या में दर्शन के नाम पर पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देते रहे हैं। सभी पर्यटन यात्राओं का करीब कम से कम 19 फीसदी धार्मिक पर्यटन की श्रेणी में आता है। अमेरिका की एक टैवल एजेंसी फोकस राइट की एक हालिया रिपोर्ट के निष्कर्षों में ऐसा कहा गया है कि इसके भारत में कार्यालय हैं और प्रमुख टैवल पोर्टल इसके ग्राहकों में आते हैं। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले साल 70 लाख से ज्यादा लोगों ने वैष्णो देवी के दर्शन किए। उत्तरांचल में होटलों में बुक कमरों का 71 फीसदी सिर्फ हरिद्वार में रहा, इसके बाद 12 फीसदी मसूरी और 3 फीसदी नैनीताल में रहा। यात्रा डॉट कॉम के मार्केटिंग प्रमुख बताते हैं कि टैवल वेबसाइट की काफी संभावनाएं हैं।
मशहूर धार्मिक पैकेज की ओर पर्यटकों का ध्यान आसानी से चला जाता है, क्योंकि इससे उन्हें पैकेज के दाम पर प्रसिद्घ धार्मिक स्थलों को देखने का एक मौका भी मिलता है। इंडिया टाइम्स के एक प्रवक्ता कहते हैं कि हमारे प्रसिद्घ पैकेज में दक्षिण का सर्किट है जिसमें तिरूपति आता है और गोल्डेन सर्किट है जिसमें वाराणसी और आसपास के शहर आते हैं। विदेशियों के लिए स्वर्ण मंदिर इकलौता धार्मिक स्थल है, जो हवाई मार्ग से जुड़ा है और वृंदावन, हरिद्वार व ऋषिकेश अधिकतर सड़क मार्ग से जुड़े हैं। ये दोनों ही उनके लिए बेहतर पैकेज हैं। ग्राहक चाहते हैं कि उनकी तीर्थयात्रा आरामदेह भी रहे। कंपनी एक आध्यात्मिक पैकेज भी लाने की योजना बना रही है, जिसमें धार्मिक समारोहों को केंद्र में रखा जाएगा। केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री यानी ऋषिकेश के अलावा उत्सुक विदेशी सैलानी देश भर के अन्य स्थलों की भी यात्रा करते हैं। वैष्णो देवी, अमृतसर और तिरूपति के अलावा अब अजमेर भी नया पर्यटन स्थल बन गया है, जहां सैलानी जाना चाहते हैं। सरकार का कहना है कि पर्यटन से आने वाले राजस्व का 25 फीसदी हिस्सा धार्मिक पर्यटन का है।
देश के बड़े टूर ऑपरेटर्स में से एक कॉक्स एंड किंग्स के मुताबिक देश के भीतर 70 फीसदी पर्यटन धार्मिक दृष्टि से किया जाता है। इन धार्मिक स्थलों पर पहुंचने वालों में बड़े उद्योगपति, सेलेब्रिटी और युवा प्रोफेशनल हैं, इसके बावजूद यहां उपयुक्त ढांचागत सुविधाएं और होटल श्रृंखला की कमी है। अब शिर्डी में फॉर्च्युन फेम कंपनी गोराडिया होटल श्रृंखला खोल रही है। इस समूह के तीन होटल महाबलिपुरम, मदुरै और तिरूपति में हैं। इन होटलों में एक दिन ठहरने का खर्च 1,699 से लेकर 5,000 के बीच है। फॉर्च्यून पार्क होटल के प्रेसीडेंट सुरेश कुमार कहते हैं कि युवा प्रोफेशनल्स इन स्थानों पर मन हल्का करने आते हैं तो उद्योगपति कोई नया उद्यम शुरू करने के पहले आशीर्वाद लेने आते हैं।
इस तरह अनवरत धार्मिक पर्यटकों के आवागमन का सिलसिला जारी रहता है। कार्लसन होटल्स वर्ल्डवाइड के सेल्स एंड मार्केटिंग डायरेक्टर निखिल धोड़पकर मानते हैं कि धार्मिक शहरों में सफर करना घरेलू पर्यटकों के लिए छुट्टियों का विशेष शगल होता है। समूह के होटल कटरा, हरिद्वार, शिर्डी, बद्रीनाथ में हैं और इनकी मांग 15 से 20 फीसदी की दर से बढ़ रही है। वह कहते हें कि रैडिसन वाराणसी में आने वालों में 80 फीसदी अंतर्राष्टीय पर्यटक होते हैं। कटरा, हरिद्वार में भारी संख्या में घरेलू यात्री पहुंचते हैं। संपर्क मार्ग बेहतर होते जा रहे हैं, इसलिए धार्मिक पर्यटन में इजाफा हो रहा है।
– निनाद गौतम
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