सँग चढो वीर हनुमान देवता सारा हो देवता सारा।
तुम रिद्धी सिद्धि संग ले आवो, गजानन्द प्यारा ॥ टेर ॥
गढ रणत भुवन में आप बिराजो देवा।
एक चढ मूसक् असवार करू मैं थारी सेवा ॥ 1 ॥
माता थारी पार्वती है देवा।
एक पिता तो शंकर देर, करूँ मैं थारी सेवा॥
घृत सिंदूर थारे अँग चढे है देवा।
एक गल मोतियन री माल, करूँ मैं थारी सेवा॥
चावल चन्दन पुष्प चढाऊँ मैं देवा।
थारे मोदक भोग लगाय, करूँ मैं थारी सेवा॥
एक सूर्य गाय रो दूध मँगाऊ देवा।
थारे गूदडी खीर रँदाय, करूँ मैं थारी सेवा॥
दासजी खश गावे है देवा।
थारे चरणा में शीष नवाय, करूँ मैं थारी सेवा॥
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