गणराज गुणों की जहाज, लाज रख लेना मेरी
हो लाज रख लेना मेरी जी हो लाज रख लेना मेरी॥
कर अस्नान चढाऊ चन्दन शंकर सुवन भवानी के नन्दन
वन्दन कर कर जोड, देव मैं आज्ञाकारी जी॥
विद्या विमल बुद्धि के दाता, जो सुमिरे से सदा सुख साता
एक दन्त भुज चार धार मुसे असवारी जी॥
शुक्ल वरण और स्थूल शरीरा, उज्वल दन्त जडे नग हीरा
ऋषि मुनि कर कर सेव, सदा आत्म हितकारी जी॥
ओम बजावे झाँझ मन्जिरा, ढोलक ओम बजावे
ओम बजावे पेटी बाजो, रामूडो जस गाँवे॥
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