सत् गुरुजी से मिलवा चालोजी, सज सिन्गारो।
सज सिन्गारो सुरता सज सिन्गारो॥
ज्ञानगुरुजी से मिलवा चालो हे, सज सिन्गारो॥ टेर ॥
निर गंगा जलसिर पर नारो कचरो भरीयो निवारो।
ज्ञान साबुन से माथो धोओ, बेग करो सिन्गारो॥
चमक घाघरो पहन सुहागन, नेम को नाडा डारो।
सुरथा की गाँठ जुगत कर लेना, लोग हँसेला सारो॥
चेतन चूँदडी ओढ सुहागन प्रेम की पटडी पाडो।
राम नाम रो गोटो लगाय लो झिनो घूँघट काढो॥
नाथ गुलाब मिलीया गुरु पुरा, खुल्यो भरम रो तारतो
भवानी नाथ सत् गुरुजी रे शरणे सेजा लगयो किनारो॥ 4 ॥
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