डस गयो रे भूजंगी कालो नाग, राधेजी की ऊँगली में॥ टेर ॥
सात सखी मिल चली बाग में, कर सौलह श्रृंगार।
ऐसो डंक मारे का लीयो, पीलो तो पड गयो हाथ॥ 1 ॥
पीलो पडग्यो हाथ सखीरो, अँग रहयो मुरझाय।
ऐसा डंक मारीयो काली यो, अंग रहयो मुरझाय॥ 2 ॥
एक सखी पानीडो लावे, दूजी जोवे बाट।
तीजी सखी तो पवन ढूलावे, चौथोडी औषध बनाय॥ 3 ॥
बरसाना सुँ वैद्य बुलयो, बैठयो पलँग पर आय।
नाडी की तो खबर ना जाने, नैनों से नैन मिलाय॥ 4 ॥
चन्द्रसखी मोहन को मिलनों, मिलनों बारम्बार।
नन्दगाँव को कुँवर कन्हैयों, ले गयो लाड लडाय॥ 5 ॥
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