जन्म लियो जाने मरनों पडसी मौत नगाडो सिर कूटेरे।
लाख उपाय करो म्हारा भाी, भजन बिना नहीं छूटे रे॥ टेर ॥
यम राजा को आवेरे झूलेरो, प्राण पलक में छूटे रे।
हिचकी ऊपर हिचकी आवे, नाडियाँ तडातड टूटे रे॥ 1 ॥
भाई बन्धु कुटुम्ब कबीलो, राम रूठया सब रूठे रे।
एक पलक में प्राण जावसी, घाल रति में थने फूँके रे॥ 2 ॥
जिवडा ने जमडा ले चाल्या क्रोध कर कर टूटे रे।
गुरजां री घमंसान उडेलां, तुरन्त तालवो टूटे रे॥ 3 ॥
जिवडा ने नरकां मांहि नाके, गिद्ध कागला चूटे रे,
करमारो हिन कीच मांहि पडियो, भजन बिना नहीं छूटे रे ॥ 4 ॥
चतुराई सब धूल में मिलगी, कर्म कांठा ही फूटे रे
भुगतला तुं लख चौरासी, पकड पकड यम लूटे रे॥ 5 ॥
राम सुमिरले सुकृत कर ले, मोह जाल से छूटे रे।
कहे कबीर सुनो भई साधु, राम नाम धने लूटो रे॥ 6 ॥
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