आजा मन मोहन मीरा, मेडतडी बुलावे, मेतडली बुलावे।
थानें मीरा बुलावे, मीरा बुलावे थानें दासी बुलावे॥ टेर ॥
बाबो सामायड म्हाने लाड लडायो।
राम जानें राणाजी ने क्यूँ परणायो॥
थाँ सूँ प्रीत लागी राणा, दाय नहीं आवे॥ 1 ॥
तुलसी की कण्ठी माला, सेवा सालीग्राम की।
जप तप छोडो मीरा, धून घनश्याम की॥
भगवा उतारो मीरा, राणा समझावे रे॥ 2 ॥
पत्थराँ ने काँई पूजो, यूँ बोले राणा।
मूरत जीमावो जद, साँची प्रीत जाना॥
दासी उदासी मीरा, आँसू ढलकावे रे॥ 3 ॥
प्रभु नाम की मीरा भाई रे दिवानी।
थे काँई जानों राणा, प्रीत पुरानी॥
जन्म जन्म को साथी मोहन मुरारी॥ 4 ॥
दूध कटोरो भरीयो लाई मीरा बाई।
आरोगोनी नाथ, थानें मारी की दुहाई।
भक्तां की तो लाज राखो, लाज बचावोजी॥
मीरा की पुकार सुनकर, मोटो धणी आयो।
दूध कटोरो भरीयो, गले गटकायो॥
मीरा की तो लाज राखी, लाज बचायो जी॥
अमर सुहागन भागन, राठोडा की जाई।
पीहर सासरीयो दोनों, तारी मीरा बाई।
मीरा की तो ओलूडी ने, माधव सिंग गावेजी।
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