तन के तम्बुरे में दो साँसों के तार बोले।
जय सियाराम राम जय राधेश्याम श्याम॥
जय सियाराम राम जय राधेश्याम॥
अब तो इस मन के मंदिर में, प्रभु का हुआ बसेरा।
मग्न हुआ मन मेरा छूटा, जन्म जन्म का फेरा॥
तन की मुरलीया में, साँसों के तार बोले, जय सियारा॥ 1 ॥
लगन लगी लीला धारी से, जगी रे जगमग ज्योति।
राम नाम का हीरा पाया, प्रभु कृष्ण नाम का मोती॥
प्यासी दो अँखियों में, सुर का श्रृंगार डोले॥ 2 ॥
जय सिया राम राम जय राधे श्याम॥
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