आज तो आनन्द, म्हारे सत् गुरु आया पावना
सत् गुरु आया पावना, योगेश्वर आया पावना॥
आज तो आनन्द म्हारे सत् गुरु आया पावना॥ टेर ॥
फेफा अन्धी फेफ ज्यारे, फूलाँ रा बिछावना
जिन पर म्हारा सत्गुरु बैठया, पँखा पाँव ढूला बना॥
चाँवल राँदू उजला रे, माथे घृत घलावना
खीर खाँड़ रा अमृत भोजन, संता ने जीमावना॥
हिंगलू पाया ढोली या, रेशमरा बिछावना
जिन पर म्हारा सत्गुरु पोढ़ी या सँता रे चँवर ढूलावना॥
काना में कूण्ड़लिया सोहे, मुरलीया बजावना।
जल जमुना में कूद पड़या है नागनाथ घर आवना॥
मथुरा जी में कँस मारीयो, लँका गढ़ में रावणा।
बली के द्वारे आप पधारिया, रूप धारियों बावणा॥
अढ़सट तीर्थ कोर्ड यज्ञ भाई गोमती में नावना।
सतारे शरणे निरा बोले, हर्ष हर्ष गुण गावना॥
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