धीन माता धीन धरती, थने कदे न देखी फिरती।
आदि भवानी माँ धरती, तुं बड़ा बड़ा ने चरती॥ टेर ॥
धरती रा धनिआपा राखता, नहीं है वारे हाथा रे।
कुम्भकरन रावण बली दोझा, गया धड़िंधा खाता॥ 1 ॥
भीमा जैसा महाबली जोधा, नित आवे वे कुश्ती।
जाय हिमालय हाड़ गालीयों, नहीं आवे सोमत्ति॥ 2 ॥
नाँव तो नाँवड़िया खड़ता, नदियाँ बेवे जब गती रे।
चाँद सूरज सरोदे बे वे, नगदर आवे फिरती॥ 3 ॥
भेरूनाथजी ने सत् गुरु मीलीया, सत्गुरु मिलिया सुमरती।
राजा मान गुरां रे शरणे, देखी जोत भभकती॥ 4 ॥
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