खम्मां खम्मां ओ धणियाँ रुणेचा रा धणिया।
थानें तो ध्यावे आखो मारवाड़ हो आखो गुजरात
अजमाल जी रा कँवरा॥ टेर ॥
लोगां सुं सुन बाँझड़ा दुःखी हुया अजमाल।
कुद पड़या जल द्वारका, पहँच्या है ठेट पताल॥
भादखा री दूज रा जद चँदो करे प्रकाश।
रामदेव बन आवसुं, राखीजे म्हारो विश्वास॥
धरा रे पिछम सुं म्हारा, देवजी पधारिया॥
कूं कूं रा पुगल्या माँडे अँगना॥ 1 ॥
बडा तो बिरमदेव छोटा रामदेवजी।
छोटोंड़ा कठा सुं आया बोलो म्हारा देवजी।
द्वारका रा नाथ झूले, पालना माँही।
पानी रो दूध, बनायो धणीयाँ॥ 2 ॥
बालापन में कोढ़िया रा, कोढ़ मिटाया।
न्यारा न्यारा रोगीयाँ रा, रोग मिटाया॥
आन्धलिया और पाँगलिया ने मारगीयो दिखाया।
परचा दिया हो मालक, नित नित रा॥ 3 ॥
भादखो गरजीयो, मेहड़ल्यो बरसीयो।
खेतड़ल्या में मनामन धान निपजीयो॥
समुन्दर तालाब कुँआ, नीरं भरीया॥ 4 ॥
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