उधो करमन की गती, न्यारी, उधो करमन की गती।
छोटे छोटे नैना दिये हाथी को, रण में रहे अगाड़ी।
सुन्दर नैना दिये मृगा को, वन वन फिरे उगाडी॥ 1 ॥
वैश्या शाल दुशाला ओढ़े, पतिव्रता फिरे उगाड़ी।
मूर्क राजा राज करते है, पण्डित फिरेत भिखारी॥ 2 ॥
गंगा मिठी, यमुना मिठी, समुन्दर कर दियो खार।
उज्ज्वल वरुन दिये बगुला को, कोयल कर दीके॥ 3 ॥
हमको जोग भोग कुब्जा को, हम निव रहत दुःखारी।
कहत कबीर सुनो भई साधु भाव तरनन हारी॥ 4 ॥
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