घर अवतार रूणीचे आया रामा
पिछम धरा रे माये प्रकरीया
लाख आज अ जी रामा जमाल
मोय दुर्बल री सुन लिजो
टेर (दुथा धार निकंलग अवतारी रामा
एक अरज मारी सुन लिजों
दुब्रल वचन सुनोंनी अजमालरा
और सुनेला मारो कुन हेलो) टेर
मैं रे लोभीयो, मेरे लालची
कुन जाने भक्ति कुन हेलो॥ टेर ॥
पुत कपुत मामड़ मिन धारी रामा
पिता पुतर वाली सुन लिजो॥ टेर ॥
करनी री कलम भजन वालों पानो
साई जो राज थारी डुल रहिओ
के थो रे समया बेडा पार लगाजो
नहीं तो राज थारी माला लो (टेर)
गुरु शरणा में शाधु गणपत बोले
अलस मोड बाबा दर्शन दो (टेर)
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