सुनी द्वारका सु कृष्ण पधारीया रे
भलो कियो तंवरा को
अजमलजी री आशा पूरी
मैटीयों काल रो धागे
ध्वजा बन्द चाकर हू चरण को
इस री भुल गती राको अन्नदात
नौकर हू धणीया को
बदमत तनों वालों बगसायो
साथ थारी थो माको
डुबत जाहाज बोहता री थारी
पकड लियो थे नाकों
मोठा मोठा गढ़ जितीयारे
रावण मारीयों पाको
सिता काज बाली गढ़ लंका
हनुमान ने हाको
द्रोर्पदा रो छिर बडपयों
आम बगायों पाडवा को
नानी बाई रो भरीयो मायरो
बाल जिवायो वग सारो ध्वजा बन्द
छोटा रामदे बडा विरमदे
जोडो बनीयो भाया की
माता मैनादे करे आरती
कलश थापने राखों
लिले चढ़ धणी आई रामदेव
हल बल रामदेव
हरी चरण भारी हरजी बोले
पत बाणा री राखो
ध्वजा बन्द चाकर हु चरणा को।
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