द्वारकार नाथ झुला झुले है झुलन में
छायो है आनन्द आज पौकरण नगर में
कुकुरा पगलिया माडिया दुध भरीयो धर ने
लियो है अवतार धणिया आज मरुधर में
भादवा री बरखा, मोर नाचे वन में
कोयलीया किलोर करे, आज उपवन में
मे नादे झुलावे ताने प्यारा लिया मन में
बटे है बदाई आज सारा ही नगर में
खाली है झोली मारी, आया है भरन ने
हरजी भारी बाबा थारी शरण में
द्वारका का नात झुला झुले है झुलन में
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