मन्जारी सून सून कथा कुडा वर्त कीन्हौ
दीपक तेले भगावीयो मुवा पकड़ लीना
टेर इसडी भक्ति ना किजीए जूग में होवेला हो सी
अंत काल जमडा मारसी गल दे देरे फाँसी
इसडी भक्ति ना किजीए
जैसा रे लख फल गल चलीया बायकरे संगा
टू करें न्यारा रम रहया हिरदे बजरंगा लखजैसी
भक्ति ना किजीर
उपर सु वुक उजला मन मैलारे भाई
आँख मिच मुनी भया मछीया, गट कांई
बुगला भक्ति ना किंजीर
जैसा कुन्जड जल डसीया भितर करत किलोड
नाथ धाय बाहर आवीया सिर दालत घुडा
हस्ती भक्ति ना कीजिए
लोहारे पारस संग रम्या पलटी यान ही अगा
के पारस अतली नहीं नहीं तो रहचारे बिचवा
साथ सती दोय सरमा बन्धीया काँचे धागे
कहत कबीरा धर्मोदास ने जाधर काल नहीं लागे
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