जाग्य म्हारा भाग्य प्रेम गुरु मिल्या
घर बैटा ही रे
आज निद उग्यो भलाई रे
करोड करोड बंदन गरु दाता के
चरण के माई रे
गरु सा री महीमा अधिक
गौविंद से वर्णीन जाई रे
जीबा के कारण तारण दाता
देही बनाई रे
आप ही नाव आप के वटीया
पार लगाई रे
जीवा के कारण तारण दाता
जुग माही आई रे
पार ब्रह्म परमेश्वर स्वामी भर्म मीटाई रे
दमडा रा जोड अबे नहीं चाले
राम दुआई रे
हंस राज केवट सतगुरु के गाँव बधाई रे
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