दिन बन्धु दीना नाथ मोरी सुध लीजिए
भाई नाही बन्धु नाही कुटुम्ब परिवार नाही
ऐसो कोई मित्र नाही जाने जाछन जावीए
रूपे को रुपयों नाही सोने को सलयो नाही
कोडी पैज्ञा पास नाही कनने जाय कहिये
चाकरी रो चाव नही खेवीरो उपाय नही
ऐसो कोई साहू नाही जिनने जाय कहिए
मोटी मोटी जँहाज वारी भक्तारा थे
कारण सारीयाँ
छोटी सी एक नय्या मौरी उनने पर कीजिए
केवे मलुक दास छोड़े दो पराई आस
राम धन पाम के हरि गुण गावीये
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